दो लौड़ों के बीच में फसी रजिया की चुत – bhojpuri chudai ki kahani
bhojpuri chudai ki kahani : सभी दोस्तों को मेरा हैलो| मेरा नाम सुमन है| मैं मुंबई के पास एक छोटे से कस्बे में रहती हूं|मेरी शादी हुए सात साल हो गये हैं|मैं अपनी सफ़र सेक्स कहानी बता रही हूँ|
एक बार मुझे किसी ज़रूरी काम से नागपुरजाना था| मेरे पति मुझे भोपाल स्टेशन तक छोड़ने आये|मेरे हाथ में केवल एक बैग ही था| उस दिन मैंने एक स्लीवलेस ब्लाउज पहना था |काले रंग की साड़ी पहनी थी| हल्का मेकअप किया हुआ था|
मैं स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रही थी|पति भी साथ ही थे|तभी मैंने देखा कि दो लड़के मेरी ओर बार बार देख रहे थे| पहले तो मैंने इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन फिर मेरी भी नज़र उन पर जाने लगी|रात को 11 बजे ट्रेन आई|
मुझे जनरल में जाना था| मेरी कोई रिजर्वेशन नहीं थी| मेरे पति ने मुझे जनरल वाले डिब्बे में चढ़ा दिया|तभी मैंने देखा कि वो दो लड़के भी उसी जनरल वाले डिब्बे में चढ़ गये|ट्रेन चल पड़ी और मैंने पति को हाथ हिलाकर विदा किया|
वो पीछे रह गये और ट्रेन स्टेशन से निकल गयी|मैं डिब्बे के अंत में शौचालय के पास ही खड़ी थी|फिर वो दोनों लड़के मेरे वाली साइड ही आकर खड़े हो गये| मैं इधर वाले दरवाजे के पास थी और वो उधर वाले दरवाजे के पास थे|
कुछ देर में वो सरक सरक कर मेरे पास ही आ खड़े हुए|दोनों मुझसे बातचीत शुरू करने लगे| मैंने भी सोचा कि चलो रास्ते में टाइम पास हो जायेगा|उन दोनों ने अपना नाम जय और राज बताया| वो भी नागपुरअपने घर जा रहे थे|
फिर ऐसे ही बातें होती रहीं| वो दोनों काफी मजाकिया थे और मुझे बहुत हंसा रहे थे|ट्रेन चले हुए एक घंटा हो गया था और 12 बजने वाले थे| अब वो लोग धीरे धीरे ट्रेन के धक्कों के बहाने मुझे छूने की कोशिश कर रहे थे|
मैंने अभी उनको कुछ नहीं कहा| राज की नजर बार बार मेरे ब्लाउज के अंदर झांकने की कोशिश कर रही थी| मेरा पल्लू पूरा ऊपर तक नहीं था और उसको मेरी चूचियों का उभार हल्का सा दिख रहा था|
वो दोनों मेरे बदन को ऊपर से नीचे तक निहार रहे थे| दोनों एक साथ देख रहे थे इसलिए मैं उनकी नजर में ज्यादा नजर नहीं मिला रही थी|ऐसे ही बातें होती रहीं|लगभग 12|30 बजे का टाइम था कि एकदम से ट्रेन के डिब्बे की लाइटें बंद हो गयीं|
एक धक्के के बहाने से राज मेरे ऊपर आ गिरा और उसने मेरी चूचियों को दबा दिया| जबकि जय ने पीछे से मेरी गांड पकड़ ली|उसने एक दो बार मेरी चूची दबाई और जय ने मेरी गांड दबाई|फिर वो दोनों एकदम से पीछे हो गये|
कुछ सेकेन्ड्स के खेल में ही उन दोनों ने मेरे बदन में झनझनाहट पैदा कर दी|दो जवान लड़के मेरे जिस्म के पूरे प्यासे थेअकेली अंधेरी रात में दो जवान लड़कों से इस तरह से चूची दबवाना मुझे मदहोश कर गया|
मेरी चूत में खलबली मच गयी| मेरी धड़कनें एकदम से तेज हो गयीं|अभी तक मैं उन दोनों के हंसी ठहाकों के कारण मजाक के मूड में थी लेकिन अब मेरे बदन में एकदम से आग लग गयी|
वो दोनों मुझे देखकर मुस्करा रहे थे| अब राज मेरे पीछे की ओर आकर खड़ा हो गया| डिब्बे के अंदर की ज्यादातर लाइटें बंद हो चुकी थीं|लगभग सभी लोग सो चुके थे|पांच मिनट के बाद फिर से एक बार पूरे डिब्बे की लाइट चली गयी|
एकदम से जय मेरे से आगे की ओर से लिपट गया और पीछे से राज ने अपना लंड मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी गांड पर सटा दिया|मैंने धीरे से जय के कान में कहा- क्या कर रहे हो ये? कोई देख लेगा|
वो बोला- कोई नहीं देखा भाभी जी, आप आराम से खड़ी रहो|मैं अब शान्ति से खड़ी हो गई| जय ने अपने हाथों से मेरी कमर और पेट पर कब्जा कर रखा था |राज मेरे कन्धे और गले को सहला रहा था| अब मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था|
अब जय मेरे पीछे आ गया और राज आगे| वो दोनों मुझसे चिपक गये| राज ने आगे से मेरी कमर को पकड़ लिया और जय ने पीछे से हाथ डालकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया|
मुझे भी मजा आ रहा था इसलिये मैं कुछ नहीं बोल रही थी|फिर राज मेरे एक तरफ और जय दूसरे तरफ गले पर किस करने लगे|दिखावे के लिए मैं उनको रुकने का कहने लगी लेकिन असल में मुझे बहुत मजा आ रहा था|
मगर वो दोनों रुकने को तैयार नहीं थे|राज ने सामने से मेरे होंठों पर होंठ रखकर स्मूच करना चालू कर दिया| मैं भी उसका साथ दे रही थी|जय ने पीछे से अपने खडे लण्ड से साड़ी के ऊपर से ही मेरी गांड पर ज़ोर देना चालू कर दिया|
मैं भी साड़ी के ऊपर से ही उसका लन्ड अपनी गांड में दबवा रही थी और साथ में जय मेरे बूब्स भी दबा रहा था|उन दोनों जवान लड़कों की छुअन और मर्दन से मेरी चूत से पानी की धार बहने लगी|मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था|
मैं राज से बोली- अब इतना ही कर लिया तो डाल ही दो|उसने मेरे कान में कहा- चूसोगी नहीं क्या?लंड चूसने के लिए मैंने मना कर दिया|वो बोला- तो फिर हम दोनों एक साथ ही डालेंगे|मैं बोली- मगर यहां कैसे डालोगे?
उसने मेरी साड़ी के ऊपर से ही मेरी चूत को रगड़ते हुए कहा- तुम बस खड़ी रहना| हम साड़ी उठाकर डाल देंगे|मैंने कहा- नहीं, मैं यहां ऐसे खड़ी हुई साड़़ी को ऊपर नहीं उठा सकती|वो बोला- ठीक है, तो फिर मैं टॉयेलट में जा रहा हूं|
तुम दोनों बाद में एक एक करके अंदर आ जाना|फिर वो शौचालय में चला गया|राज के जाने के बाद जय भी चला गया| अब मैं ही बाहर रह गयी थी|मैंने दो तीन मिनट का विराम दिया और फिर मैं भी चुपके से अंदर घुस गयी|
अंदर जाते ही राज ने दरवाजे को अंदर से लॉक कर लिया और उतने में जय ने मुझे पीछे से भींचते हुए मेरी गांड पर लंड लगा दिया|फिर वो दोनों मुझ पर टूट पड़े| राज ने मुझे पीछे से दबोचा और जय ने आगे से|
मेरे ब्लाउज़ के बटन खोलकर मेरे बूब्स को वो दोनों बारी बारी से चूसने लगे| फिर राज ने पीछे से मेरी साड़ी उठा दी और अपना लन्ड निकाल कर मेरी गांड में सटा दिया|उधर जय ने भी आगे से साड़ी को हाथ से थामा|
उसने भी लंड को बाहर निकाला और मेरी पैंटी को नीचे खींच कर मेरी चूत पर लगा दिया| दोनों मेरी गांड और चूत पर अपने लौड़ों को रगड़ने लगे|मैं तो दो दो लंड लगवाकर मदहोश सी होने लगी| मेरी चूचियां मेरी साड़ी के ऊपर नंगी तनी हुई थीं |
वो दोनों उनको उनके चार हाथों से मसलने में लगे हुए थे| एक चूची पर दो हाथ थे|दोनों के ही लंड सात इंच से कम के नहीं थे| मेरी चूत से इतना पानी निकलने लगा कि लंड की रगड़ से पच पच होने लगी|मैं अब किसी भी तरह चुदना चाहती थी|
मैंने जय के होंठों को चूसना शुरू कर दिया| वो मेरी चूत में लंड को और जोर से रगड़ने लगा| मेरी गांड पीछे से और उठ गयी ताकि राज का लंड मेरी गांड में और अंदर तक रगड़ सके|फिर मैं बोली- अब चोद दो ना कमीनो, क्यों तड़पा रहे हो|
राज आगे आ गया और जय पीछे चला गया| राज ने मेरी एक टांग उठाकर अपनी कमर पर रख ली और मेरी चूत में लंड को धकेल दिया| उसका सात इंची मेरी चूत को खोलता हुआ अंदर जा घुसा और मैं उसके सीने से लिपट गयी|
ऐसा लग रहा था कि चूत में कुई बहुत बड़ा ठोस डंडा घुस गया हो|मुझे बेचैनी होने लगी और मैं बोली- दर्द हो रहा है राज!
वो बोला- कुछ नहीं होगा भाभी जान| आपको इतना मजा आयेगी कि आप हम दोनों को भूल नहीं पाओगी|
पीछे से जय ने कहा- मैं भी डाल दूं क्या भाभी?मैंने कराहते हुए कहा- रुक जा कमीने, तुझे ज्यादा जल्दी है क्या, मेरी चूत को सांस तो आने दे| अगर चूत का ये हाल है तो गांड तो फट ही जायेगी|
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जय मेरी चूचियों को पीछे से ही दबाने लगा| उसके लंड के झटके मुझे मेरी गांड पर साफ साफ लग रहे थे| उसका लंड बहुतगर्म था जो मुझे चूतड़ों पर अलग से महसूस भी हो रहा था|
फिर राज ने मेरी चूत में धक्के लगाने शुरू किये| मुझे हल्का दर्द हो रहा था|मैं अपने पति से बहुत चुदवाती थी| इसलिए चूत को लंड लेने की आदत बहुत थी|राज का लंड मेरी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर होने लगा| मुझे दो मिनट के बाद मजा आने लगा|
अब मैंने अच्छी तरह से राज को थाम लिया और चूत को खोलकर चुदवाने लगी|राज भी जोश में आता जा रहा था| उसको पता चला गया था कि मेरा दर्द कम हो चुका है इसलिए अब वो मेरी चूत को हथौड़े की चोट की तरह ठोकने लगा था|
उसके झटके बहुत गहरे थे| काफी ताकत थी उसके बदन में| हर झटके के साथ ऐसा लग रहा था कि कोई हथौड़े को ही ठोक रहा है| मेरी चूत में गहराई तक उसका लंड चोट कर रहा था|
जब राज धक्के लगा रहा था तो जय का लंड भी मेरी गांड के छेद में टकरा जाता था| वो मेरी गांड चुदाई करने के लिए बहुत बेताब हो गया था|अब उसने फिर से मेरी गांड में लंड को धक्का देना शुरु किया|मैं कुछ देर मजा लेती रही|
जब उससे रहा न गया तो बोला- अब तो डलवा लो भाभी?मैंने आह्ह … आह्ह करते हुए कहा- हां … हाह्ह … डाल दे तू भी|फिर उसने मेरी गांड के छेद को उंगली से टटोला और फिर अपने हाथ पर थूक लेकर मेरी गांड में मसलने लगा|
उसने काफी सारा थूक मेरी गांड के छेद पर लगा दिया| फिर अपने लंड पर भी लगाया शायद| आगे से मेरी चूत में राज का लंड रेलम पेल हो रहा था|रेल की झोल के साथ ही राज के धक्के मेरी चूत में लग रहे थे| मेरी अन्तर्वासना तृप्त होना शुरू हो गयी थी|
बहुत दिनों के बाद किसी जवान लंड से चुद रही थी मैं!फिर एकदम से मेरी आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया|
जय ने पीछे से मेरी गांड में लंड धकेल दिया था और मुझे बहुत जोर का दर्द हुआ|मैंने राज के कंधे को नोंच लिया|
वो जय से बोला- साले धीरे कर| अगर इसकी आवाज बाहर चली गयी तो सारे मजे की मां चुद जायेगी|जय बोला- हां, सॉरी यार|मैं दर्द में तड़प गयी थी और राज के धक्के थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे|
अब मुझे चूत में भी मजा नहीं आ रहा था क्योंकि गांड में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था|मुझे ऐसा लगा कि जय का लंड राज के लंड से ज्यादा मोटा है|फिर राज मेरी चूचियों को पीने लगा| मेरे निप्पलों को दांत से काटने लगा| मुझे थोड़ी उत्तेजना होने लगी|
कुछ देर तक जय भी मुझे पीछे से गर्दन पर चूमता रहा| फिर मैं धीरे धीरे नॉर्मल होने लगी| अब जय का लंड भी राज के धक्कों के साथ ही मेरी गांड में अंदर बाहर होना शुरू हो गया|मगर जय का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था मुझे|
मैं उसके लंड को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी|फिर उसने और थूक लगाया और लंड पर मसलने लगा|अब लंड थोड़ा चिकना हुआ तो थोड़ा आराम मिला|अब दोनों ने अपनी रफ्तार पकड़ ली|
ट्रेन पूरी रफ्तार में चली जा रही थी और उन दोनों ने भी अपनी चुदाई की ट्रेन मेरी चूत और गांड में चली दी थी|मैं उन दोनों के बीच में सैंडविच बन गयी थी| मेरी चूचियों में इतना कसाव मैंने कभी महसूस नहीं किया था|
ऐसा लग रहा था कि चूचियों से दूध ही बाहर आ जायेगा|मेरे दोनों छेदों में लंड थे और दोनों ही मस्त पेल रहे थे| मैं मदहोश होने लगी| अब राज भी मेरे चूतड़ों को भींचते हुए चोद रहा था|उधर जय मेरी चूचियों को निचोड़ने में लगा हुआ था|
दोनों के दोनों लड़के मुझे नोच नोच कर खाने में लगे हुए थे और मैं सेक्स के मजे में इतनी खो गयी कि ध्यान ही नहीं रहा कि मैं टॉयेलट में चुद रही हूं|मैं अपनी चूत को राज के लंड की ओर धक्का देना चाहती थी|
लेकिन मैं ऐसा कर पाती इससे पहले ही जय के लंड का धक्का मेरी गांड में लग जाता था| फिर उतने में ही राज के लंड का धक्का लग जाता था|
ऐेसी चुदाई मैंने आज तक नहीं करवाई थी और न ही इतनी उत्तेजना कभी महसूस हुई थी| पांच मिनट की चुदाई में ही मेरी चूत ने ढेर सारा कामरस निकाल कर राज के लंड को भिगो दिया|
मेरी हालत खराब हो गयी| ऐसा लगा जैसे बदन से कुछ निकल गया हो| मैं ढीली होकर राज के बदन से लिपट गयी और जय के लंड के धक्के मेरी गांड में लगते रहे|
राज समझ गया कि मैं झड़ चुकी हूं| अब वो और तेजी से पेलने लगा|मैं बेहोश होने के कगार पर थी|फिर राज बोला- भाभी अंदर ही निकाल दूं क्या?मैंने कहा- नहीं, हरगिज नहीं|वो फिर बोला- तो मुंह में पी लो?मैंने उसके लिये भी मना कर दिया|
अब उसने जय से कहा- जय तू पहले निकाल ले| अभी मैं इसकी चूत से लंड को बाहर नहीं निकालना चाहता| बहुत गर्म है ये|
जय बोला- ठीक है, मैं आने वाला हूं|फिर कुछ धक्कों के बाद जय की स्पीड एकदम से कम होती चली गयी|
उसने बिना पूछे ही मेरी गांड में अपना माल निकाल दिया|मैंने भी उसको कुछ नहीं कहा|उसने फिर अपना लंड निकाल लिया और राज ने मुझे पीछे हटाकर लंड निकाल लिया|वो बोला- मुठ तो मार दो भाभी?
फिर मैं उसके लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगी और वो मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी चूचियों को दबाने लगा|उसका लंड पत्थर के जैसा सख्त और मेरी चूत के रस में चिकना हो चुका था|
कुछ ही झटकों के बाद उसके लंड से वीर्य निकल पड़ा और मेरे हाथ पर आकर फैल गया|शांत होने के बाद उसने पानी की टोंटी खोली और अपने हाथ में पानी लेकर मेरे हाथ को धोया|उसने अपने रुमाल से हाथ को साफ किया|
फिर हम तीनों ने अपने कपड़े ठीक किये|तैयार होने के बाद चुपके से जय ने गेट खोला और वो बाहर निकल गया|अब राज ने मुझे जाने को कहा| दो मिनट बाद मैं भी बाहर का ध्यान रखते हुए चुपके से निकल गयी|
उसके बाद राज भी आ गया|इस तरह से हमने चलती ट्रेन में सफ़र सेक्स का मजा लिया|फिर हम लोग डिब्बे में अंदर की ओर चले गये|अगला स्टेशन आया तो कुछ लोग उतर गये और हमें भी सीट मिल गयी|
फिर जब तक नागपुर नहीं आया वो मेरे बदन से मौका पाकर छेड़खानी करते रहे और मेरा सफर आराम से कट गया|दोस्तो, ये थी मेरी सफ़र सेक्स की कहानी| आपको ये स्टोरी कैसी लगी मुझे बताना जरूर|नीचे दी गई ईमेल पर अपने मैसेज करें|