सेक्सी चाची के चूत में हमार कुंवारी लंड – bhojpuri xxx
bhojpuri xxx : मेरे सारे कामुक दोस्तों को मेरा सस्नेह नमस्कार|मेरा नाम पंकज है| मैं बिहार में रहता हूँ|मैं आपको अपनी सोच की एक ऐसा काल्पनिक देसी चाची की चुदाई हिंदी में सुनाने जा रहा हूँ जिसने मेरे जीने का नजरिया बदल दिया|
उसे वासना से भर दिया था|बचपन से ही मैं एक होनहार, पढ़ाकू और एक आदर्श छात्र था| स्कूल, मोहल्ला, दोस्त, रिश्तेदार सभी में मेरी एक सकारात्मक छवि थी|
साथ ही मैं कला में चित्रकला, मेहंदी, रंगोली बनाने आदि में निपुण होने के कारण इसके लिए आस पास के इलाके में काफी मशहूर भी था|सब कुछ अच्छा चल रहा था|पर अठारह साल का होते ही मेरे शरीर में कुछ अलग से बदलाव होने लगे|
हर औरत में मुझे सिर्फ वासना ही दिखने लगी थी|मेरे पास अपने लौड़े को हिलाने के अलावा (हस्तमैथुन) कोई इलाज नहीं रहता था|देखते ही देखते मैं पोर्न, कामुक किताबें, सेक्सी कहानियां इनका नियमित एडिक्ट बन गया|
दिमाग में हर घड़ी, हर पहर सिर्फ चुत चोदने के ख्याल आने लगे|मेरी पड़ोसन चाची का नाम सुषमा था| और आश्चर्य की बात ये थी कि जिसे मैं सालों से इज्जत की नजर से देखता था, उसमें अब मुझे कामदेवी दिखने लगी थी|
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पर वो मुझे अभी भी नटखट, प्यारा और होनहार बच्चा ही समझती थी|वो मुझे अपने बेटे की तरह मानती थी और अक्सर अपने बच्चों को मेरी मिसाल देती रहती थी|सुषमा 38 साल की महिला थी और उसके दो बेटे और एक बेटी थी|
फिर भी उसका जिस्म ऐसा कसा हुआ था कि अच्छे अच्छों के मुँह और लंड में पानी आ जाए|चाची की शादी बड़ी उम्र के आदमी से हुई थी और वो शायद ही उसे कामसुख दे पाता होगा|
उसकी बेटी की शादी हो चुकी थी|छोटा लड़का पूना में रहता था और बड़ा लड़का अक्सर अपने बूढ़े बाप के साथ खेत के काम के लिए पास के गांव चला जाता था|इसलिए मेरी पड़ोसन सुषमा अक्सर घर पर अकेली ही रहती थी|
मेरे माता,पिता दोनों अपनी ड्यूटी के लिए घर से बाहर रहते थे|इसलिए मैं बोर होने पर पड़ोसन के घर चला जाता था, जिससे उसका भी मन बहल जाता|वो मुझसे खुलकर सारी बातें करती थी|
वो नयी टेक्नोलॉजी, मोबाईल का इस्तेमाल या अन्य चीजों के लिए हमेशा मुझसे ही सलाह मांगा करती थी|मैं हमेशा उसकी मदद करता था और उसे नयी नयी चीजें सिखाया करता था|
इसलिए उसका मुझ पर बहुत विश्वास था|मैं अपनी ज्ञान की बातें बताकर और रोचक तथ्य (फॅक्ट्स) सुनाकर हमेशा उसे प्रभावित करता था|अब तो वो मेरा आंख बंद करके विश्वास करने लगी थी|
उसका बदन तो क्या कहना, सिर से लेकर पांव तक अप्सरा थी वो!उसके घने,काले, लंबे,महकते बाल, काजल से सजी पानीदार खूबसूरत आखें|नाजुक सी नाक, बिना लिपस्टिक के भी जानदार लगें!ऐसे गुलाब से रसीले होंठ … दिल करे बस चूम लूं उन्हें|
उसके स्तन काफी बड़े और कसे हुए थे| उसकी नाजुक कमर की लचक तो जैसे दिल की धड़कनें तेज कर दे|सुषमा की गांड देखो तो लगे कि कोई मस्त शेरनी चल रही हो, बड़ी पर लचकदार गांड थी|
इस सब पर सोने पर सुहागा सा उसके बदन का हल्दी सा गोरापन लिए होना|देखते ही इंसान का रस उसकी चड्डी में छूट जाए, ऐसा जिस्म था उसका|पर लोगों के लिए दुर्भाग्य की बात ये थी कि वो बहुत कम घर से बाहर निकलती थी |
वो लगभग अपने सारे बाहर के काम मुझसे ही करवाती थी| जैसे दुकान से कुछ लाना हो वगैरह वगैरह| इसलिए मेरे दोस्त, यहां तक कि अड़ोस,पड़ोस के बच्चों से लेकर बड़ों तक बहुत से लोग मुझसे जलते थे|
मैं पड़ोसन को जब जब हो सके, निहारता रहता था| कभी प्यार की आंखों से, तो कभी हवस की|फर्श पर पौंछा लगाते हुए वो अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खौंसे रखती थी|मैं उसके मम्मों को मिनटों तक निहारता रहता था|
उसके दोनों बम ब्लाउज से जैसे फटे जा रहे हों| उसके गले और दोनों स्तनों के बीच की दरार से बहता हुआ पसीना उसे और मालदार बना देता था|चाची के घर के बगीचे में एक अमरूद का पेड़ था|
उस पर लगने वाले बेहतरीन फल वो मेरे लिए बचाकर रखती थी|पर मुझे तो उसके उन अमरूदों से मतलब था जो वो अपने आंचल के पीछे छिपाए रखती थी|मैं सोचता ही रहता था कि आखिर कब इस जिस्म का सुख ले पाऊंगा|
अचानक वो दिन आ गया|कुछ दिनों में सुषमा के बहन की लड़की की शादी थी| इसके लिए उसे हाथों पर मेहंदी बनवानी थी|
और जैसा कि मैंने बताया कि मैं अच्छी खासी मेहंदी बनाता था पर शादियों के वगैरह ऑर्डर नहीं लेता था|
ये बात सुषमा को पता थी, फिर भी उसकी विनती पर मैं पिघल गया और उसके हाथों पर मेहंदी बनाने के लिए तैयार हो गया|दूसरे दिन जब मैं सामान लेकर उसके घर गया, तो वो हमेशा की तरह घर में अकेली ही थी|
मैंने आवाज लगाई, सुषमा चाचीजी!वो बोली, पंकज , मैं नहा रही हूँ, तब तक तुम सोफे पर बैठो| बस पांच मिनट में आई|मुझे लगा कि ये मेरे लिए सुनहरा मौका है| क्यों ना चुपके से उसके नंगे बदन का दर्शन कर लूं|
मैं दबे पांव गया, पर खिड़की में अन्दर से कांच लगा हुआ था| मैं मायूस होकर लौट ही रहा था कि मुझे बाथरूम के बाहर लगी खूंटी पर टंगे उसके कपड़े दिख गए| जिन्हें वो नहाने के बाद पहनने वाली थी|
वो देखते ही मेरे खुरापाती दिमाग में एक जबरदस्त ख्याल आ गया|मैं तुरंत घर भागा और घर से खुजली वाला पावडर लेकर आया, जो मैं एक दोस्त का मजाक बनाने के लिए लाया था| उसमें अभी बहुत सारा बचा था|
मैंने वो जल्दी से लाकर बराबर बराबर मात्रा में उसकी ब्रा और ब्लाउज पर छिड़क दिया और बाकी बचे पाउडर को एक तरफ छिपा कर रख दिया|अब मैं जाकर सोफे पर बैठ गया|
थोड़ी देर बाद वो अपने हल्के गीले बदन पर वो खुजली वाले कपड़े पहनकर आ गयी|मैं जल्दी से अपने काम पर लग गया| मैंने फटाफट सुषमा के दोनों हाथों पर मेहंदी बनाना शुरू कर दिया|
मैंने दोनों हाथों पर थोड़ी थोड़ी मेहंदी लगा दी थी ताकि उसके दोनों में से कोई भी हाथ खुजली न कर सके|थोड़ी ही देर बाद पावडर अपना मजा दिखाने लगा| उसकी बेचैनी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी|
फिर भी वो सहे जा रही थी|और करती भी क्या बेचारी!मैं सब जानकर भी अंजान बन रहा था|दोनों हाथों पर लगभग आधे से ज्यादा मेहंदी बन चुकी थी|अचानक वो गहरी, लंबी सांसें लेने लगी|
उसने बहुत कोशिश की, पर आखिर उसके बदन ने बता ही दिया कि कुछ तो गड़बड़ है|मैंने पूछा, क्या हुआ कोई दिक्कत है?
वो बोली, न जाने क्यों बदन एकदम से खुजला रहा है|वो अपना हाथ खुजाने ले जा ही रही थी कि मैंने उसे रोका|
मैंने कहा, रूकिए आप तो ऐसे मेरी सारी मेहनत बर्बाद कर देंगी, मेहंदी मिट जाएगी|वो बोली, पंकज अब तुम ही बताओ, मैं अब क्या करूं?मैं, वो मैं कुछ नहीं जानता| मैंने पहले ही आपको ना बोला था, फिर भी आपकी जिद पर मैं तैयार हुआ|
वो, ठीक है बाबा, मैं तुम्हारी मेहनत खराब नहीं करूंगी| पर क्या तुम प्लीज मेरी थोड़ी मदद कर दोगे?मैं, ठीक है| बताइए मैं क्या करूं?वो, मेरी गर्दन के पास बहुत खुजली हो रही है … थोड़ा खुजा दोगे?
इसी पल का मुझे इंतजार था| मैं उसका बदन खुजाने लगा| धीरे धीरे करते वो मुझे और नीचे और नीचे करती गयी और मैं पूरे प्यार मुहब्बत से खुजाता गया| फिर भी खुजली रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी| वो बेचैन हो गई|
फिर मैंने कहा, शायद पानी से खुजली थोड़ी कम हो जाए!वो बोली, जो तुम ठीक समझो|मैं कटोरी में पानी तो लाया, पर उसमें भी बचा हुआ थोड़ा सा पावडर छिड़क लाया| वो चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी |
उसे उस जलन के आगे कुछ नहीं दिख रहा था| उसके नाजुक स्तन जलन से लाल हो चुके थे|मैंने उसका पल्लू हटाया| एक एक करके उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए|
धीरे से उसकी ब्रा भी निकाल दी, पर हाथों में मेहंदी होने के कारण कपड़े पूरी तरह नहीं निकल पाए और उसके कंधों पर टंगे रह गए| फिर भी वो कुछ नहीं कह रही थी| उसे लगा कि मैं हमेशा की तरह उसकी मदद कर रहा था|
मैंने उस खुजली वाले पानी से उसके दोनों स्तन मसल कर रख दिए| उसे धीरे धीरे हवस चढ़ रही थी| पर उसे आराम नहीं मिल रहा था|तब मैंने सुझाया, शायद थूक से काम बन जाए!वो बोली, कैसे?
मैं, आयुर्वेद में इंसान के थूक से कई इलाज बताए गए हैं|वो, हां वो तो है … करो, जो तुम्हें ठीक लगे, बस जल्दी आराम दिलाओ|मैं उसके मम्मों पर लग गया| उन्हें कुत्ते की तरह चाटने चूसने लगा; उसके निप्पलों को दांतों से चबाने लगा|
काफी देर तक ऐसा करने पर हम दोनों ही ‘ऊह … आह … अम||ऊफ्फ …’ करने लगे और दोनों ने अपना रस छोड़ दिया| पर एक दूसरे को पता नहीं चलने दिया|कुछ देर बाद पावडर का असर उतर गया और उसे ठंडक मिल गई|
फिर हम दोनों ने मेहंदी का अधूरा काम फिर से शुरू कर दिया|थोड़ी देर बाद उसे जोरों की पेशाब लगी और उसकी तीव्रता बढ़ने पर उसने मुझे बताया|वो, मुझे पेशाब करने जाना है|मैं, ठीक है जाओ, पर मेहंदी ना मिटने पाए|
वो पहले से ही बहुत हवस भरी हो चुकी थी, उसने शरारती अंदाज में मुस्कुरा कर कहा, फिर तो तुम्हारी मदद लगेगी|मैं मन ही मन में उछल रहा था| मैंने कहा, हां ठीक है, चलो|उसके संग मैं बाथरूम तक गया|
फिर वो बोली, मैं पेशाब करती हूँ, तब तक साड़ी और पेटीकोट उठाकर पकड़ कर रखो|मैंने एक हाथ से वो पकड़ कर रखा और दूसरे हाथ से उसकी चड्डी उतारने लगा| मुझे उसकी अद्भुत गांड का दर्शन होते ही मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया|
मुझे चोदने की तीव्र इच्छा हुई और मैंने अपना आखरी दांव खेल दिया|वो पेशाब कर रही थी, तब उसे पता न लगते हुए जेब में से डिब्बी निकाली और पावडर उसकी चड्डी पर भी छिड़क दिया|
फिर कपड़े पहनाकर अपने काम के लिए बैठ ही रहे थे, तो उसे वही तकलीफ होने लगी … पर इस बार चूत में खुजली शुरू हो गई थी|सुषमा जलन से तिलमिला उठी| उसने खुद को मेरी बांहों में छोड़ दिया|
वो बोली, जैसी मदद तुमने मेरे मम्मों के लिए की थी, वैसी ही मदद मेरी चूत के लिए भी कर दो| प्लीज … प्लीज़|मेरी खुशी सातवें आसमान पर थी|मैं उस पर टूट पड़ा| उसकी साड़ी उठाई, पेटीकोट, चड्डी निकाली|
पूरी शिद्दत से अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया|अपनी जुबान और होंठों से उसकी चूत पर प्यार की बारिश कर दी|वो बोली, आंह मेरे राजा अब रूको मत| न जाने कितने साल बाद इस बंजर जमीन पर बरसात होने जा रही है|
मेरे लिए तो ये हरा सिग्नल था| मैंने उसके गुलाबी होंठ चूम चूम कर लाल कर दिए| उसकी चूचियां चूस कर, दबा दबाकर और सख्त कर दीं|मैंने उसके बदन के हर अंग को चूम लिया|
उसके हाथों में मेहंदी होने के कारण इस चुदाई का पूरा नियंत्रण मेरे हाथों में था|मुझे अपनी हर मुराद पूरी करनी थी| मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था|मैंने उसे बाहर निकाला और लंड देखते ही वो चौंकती हुई बोली, हाय मर गई …|
इतना बडा लंड| लगता है इतने सालों के इंतजार का मुझे दुगना फल मिलने वाला है|मैं, लो मेरी जान … अब ये तुम्हारा ही है|ये कहकर मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया|सुषमा मेरा केला चूसने लगी|
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मन भर लंड चुसवाने के बाद मैंने उसकी तरफ वासना से देखा|वो बोली, अब अपने इस मूसल को मेरी चुत में पेलो और मुझे जल्दी से चोद दो|मैंने पोजीशन बनाई और उसकी चूत में लंड एक ही धक्के में डाल दिया|
वो सिहर गई लेकिन कुछ ही देर में लंड ने चुत को मजा देना शुरू कर दिया था|मैंने कचाकच गचागच करते हुए उसे धरती पर ही स्वर्ग दिखा दिया|न जाने कितनी बार जर्क लगे … फिर हम दोनों झड़ गए|
इसके बाद तो सुषमा मानो बावली हो गई थी|उसने अपनी गांड में, फिर चूत में, फिर मुँह में लेना शुरू कर दिया|ऐसा करते करते शाम होने तक घंटों ये सिलसिला चलता रहा|अब उसके पति और बेटे के वापस आने का समय हो गया था|
हम दोनों ने सब कुछ समेट कर बची मेहंदी पूरी कर ली|मैं अपने घर जा रहा था, तब वो बोली, धन्यवाद बेटा, आज तुमने सच में मेरी बहुत मदद की| क्या फिर से करोगे?मैंने कहा, आपके लिए तो जान हाजिर है| आप जब भी कहेंगी, मैं टूट पडूंगा|
फिर हमने एक प्यार भरी झप्पी और चुम्मी ली और मैं अपने घर आ गया|तब से मैं लगभग हर रोज उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगा|आपको मेरी ये देसी चाची की चुदाई हिंदी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे बताना न भूलें|