जीजा के ठरकी दोस्त ने दीदी की चुद मारी -Antarvasna Sex Story
Antarvasna Sex Story :दोस्तो नमस्कार, मेरा नाम चन्दन कुमार है|मेरी उम्र 19 वर्ष है|शुरू से ही मैं अपने मामा जी के ही घर रहता हूं और वहीं रह कर पढ़ाई भी करता हूँ|
मेरे मामा जी सरकारी नौकरी में हैं| उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं|बेटी का नाम निहारिका है और वो सबसे बड़ी है| उनकी शादी दो साल पहले हो गई थी| वो अब अपने ससुराल में रहती हैं|
एक दिन की बात है| जीजा का मामा के पास फोन आया और वो बोले- मुझे ठेके के काम से अक्सर बाहर जाना होता है, तो किसी को वहां से कुछ दिनों भेज दीजिए|
मामाजी ने मुझे ही बोला- तेरी परीक्षा अभी हुई ही है, स्कूल तो जाना हो नहीं रहा है| इसलिए तू निहारिका दीदी की ससुराल चला जा और कुछ दिन वहीं रह लेना|तो मैं वहां चला गया|
जीजा जी ठेकेदार थे|उन्होंने शहर में दो मंजिला बहुत अच्छा मकान बना रखा था|दीदी जीजा जी सब नीचे वाले ही फ्लोर पर रहते थे|ऊपर सब खाली ही रहता था|
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मैं ऊपर के ही कमरे में रहने लगा क्योंकि मुझे सिगरेट पीने की आदत थी|ये मेरे उधर रहने के दो दिन बाद की बात है|जीजाजी शाम को घर आए और बोले- मुझे काम से बाहर जाना है, तो चलो मुझे स्टेशन बाइक से छोड़ दो|
जीजाजी को स्टेशन छोड़ कर मैं आया और खाना खाकर ऊपर चला गया|मैं टीवी देखने लगा|टीवी देखते हुए करीब 9 बज गए तो मैंने सोचा एक सिगरेट पी ली जाए, उसके बाद सोया जाएगा|
मैं एक सिगरेट जला कर छत पर टहलने लगा|तभी मैंने देखा कि कोई नीचे खड़ा है|मैं पहचानने की कोशिश करने लगा|तभी दरवाजे का गेट खुला और वो आदमी अन्दर आ गया|
मुझे लगा शायद जीजाजी ट्रेन कैंसिल हो गई है या फिर उनको जिस काम के लिए जाना था, वो हो गया है इसलिए लौट आए हैं|ये सब सोचते हुए मेरी सिगरेट खत्म हो चुकी थी तो मैंने नीचे जाकर पता करने का मन किया|
जल्दी से जाकर हाथ धोए और कुल्ला करके नीचे जाने लगा|मैंने सीढ़ी से उतरते वक्त रोशनदान से देखा कि वो जीजाजी नहीं, उनके दोस्त थे|उनके ये दोस्त इंजीनियर थे और अक्सर जीजा जी के साथ घर पर आते थे|
वो घर आए हुए थे और दीदी को वहीं ड्राइंग रूम में खड़े खड़े चूम रहे थे|मैं सीन देख कर हक्का-बक्का रह गया और चुपचाप सीढ़ी पर बैठ कर सब देखने लगा|
कुछ देर में वो सोफे पर बैठ गए और दीदी उनकी गोद में बैठकर उनको चूमे जा रही थीं|फिर दीदी उनकी शर्ट के बटन खोलने लगीं और उनकी छाती को चूमने लगीं|
ऐसा करते करते दीदी सोफे के नीचे उतर गईं और पैंट के बटन खोलकर लंड बाहर निकाल कर अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी थीं|उनका बड़ा लंड देखकर ऐसा लगा कि दीदी कोई लोहे का पाइप पकड़ी हुई हों|
काफी लम्बा और मोटा लंड दीदी के मुँह में नहीं आ रहा था, फिर भी वो उसे मुँह में ले रही थीं|दीदी कभी लंड के अगल बगल चाटतीं, कभी आंड चूसने लगतीं|
ऐसे ही दस मिनट तक दीदी लंड के साथ खेल करती रहीं|तभी लंड से पिचकारी छूटी और दीदी का पूरा मुँह वीर्य से सन गया|फिर दीदी ने तौलिया से चेहरा साफ किया और अपनी सलवार खोलकर फिर से उनकी गोद में बैठ गईं|
उन्होंने दीदी की पीठ पर हाथ फेरते हुए उन्हें अपनी बांहों में समेट लिया था|फिर उन्होंने दीदी की दोनों चूचियों को आजाद कर दिया|वो दीदी के दोनों तने हुए चूचों को अपने हाथों से मसलने लगे|
दीदी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी|कुछ देर बाद उन्होंने दीदी को घुमाया और उनकी दोनों चुचियों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसने लगे|
ऐसा करते करते उन्होंने दीदी के पजामे का नाड़ा खोल दिया और दीदी के चूतड़ों पर हाथ फेरने लगे|इतने में ही दीदी सोफे से उतरीं और अपनी टांगों में फंसा अधखुला पजामा पूरा निकाल कर फेंक दिया|
अब दीदी केवल चड्डी पहनी हुई थीं| वो सोफे पर टांगें खोल कर बैठ गईं|फिर वो उठे और अपनी आधी खुली पैंट को निकालकर दीदी के पास नीचे बैठ गए और दीदी के पैरों को चूमने चाटने लगे|
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कुछ देर में उन्होंने दीदी की चड्डी को निकाल दिया| तब मैंने भी दीदी की गुलाबी चूत का दीदार किया|दीदी की छोटी सी चूत देखकर मैं परेशान हो गया कि इतना मोटा और लम्बा बड़ा लंड अन्दर कैसे जाएगा|
फिर उन्होंने दीदी की चूत में एक उंगली डाल दी और हिलाने लगे|दीदी के मुँह से आह आह निकलने लगा|कुछ देर बाद दीदी ने उनका सर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उनका मुँह अपनी चूत के पास ले आईं|
फिर जीजा जी के दोस्त ने दीदी की चूत को चूसना चालू कर दिया|दीदी आह आह करने लगीं|ऐसा करते करते कुछ मिनट हुए होंगे कि तभी दीदी ने उनके सर के बाल जोर से पकड़े और अपनी टांगों में दबाने लगीं|
मुझे ऐसा लगा कि वो जीजा जी के दोस्त की मुंडी को अपनी चूत में घुसा लेंगी|दीदी तेज आवाज के साथ झड़ चुकी थीं और वो निढाल हो गई थीं|जीजा जी के दोस्त का मुँह दीदी की चूत से अलग हो चुका था|
उनके मुँह पर दीदी की चुत की मलाई लगी हुई थी, बाल बिखरे हुए थे और आंखों में नशा था|ये सब करते करते जीजा जी के दोस्त का लंड अब तक कड़क होकर खूंखार हो चुका था|
मर्द का लंड किसी घोड़े का लंड दिखाई दे रहा था|जीजा जी के दोस्त ने दीदी को चुदाई की मुद्रा में किया और उनकी दोनों टांगों को फैला कर लंड पेलना चाहा|
तो दीदी बोलीं- सब कुछ यहीं करोगे राजा … चलो बेड पर चलते हैं| बाकी का काम वहीं करेंगे|उनहोंने दीदी को किसी फूल की तरह अपनी गोदी में उठाया और मदमस्त हाथी की तरह कमरे की तरफ चल दिए|
अब तक का नजारा देख कर मैं पागल हो चुका था; मैं अब अपनी दीदी की चुदाई की पूरी फ़िल्म देखना चाहता था|मैं भी झट से उतरा और बाहर गैलरी से होता हुआ कमरे की खिड़की के पास आ पहुंचा|
खिड़की बंद थी|मैं खिड़की के सनशेड के ऊपर चढ़ गया और वहां से ऊपर के रोशनदान को देखा|
वो खुला हुआ था|मैं वहीं से अन्दर झाँक कर देखने लगा|
दीदी बेड पर चित पड़ी हुई थीं और वो दीदी की दोनों टांगों को अपने कंधों के ऊपर रख कर पेलने की तैयारी में थे|जीजा जी के दोस्त अपने मोटे लंड पर थूक लगा कर मालिश कर रहे थे|
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दीदी उनके मूसल को देख कर कामातुर हुई जा रही थीं|उनकी नन्हीं सी चूत हाथ भर के लंड से खुद को चिरवाने के लिए फड़क रही थी|जीजा जी के दोस्त ने थोड़ा सा थूक दीदी की चूत पर लगाया और लौड़े को चूत के मुँह पर रख दिया|
इतने में दीदी कसमसा कर बोलीं- धीरे धीरे करना राजा … नहीं तो पिछली बार की तरह बिना चोदे ही जाना पड़ेगा|उन्होंने कहा- वो पहला बार था इसलिए इतना दर्द हुआ था|
तुम्हारी चूत से खून भी निकला था| पर अब ऐसा नहीं होगा मेरी रानी|ऐसा कहकर उन्होंने लंड को चूत की फांकों में धंसा दिया और लंड सैट होते ही एक जोरदार धक्का दे दिया|
दीदी दर्द से कराहीं और उछल गईं|उस चक्कर में जीजा जी के दोस्त का लंड दीदी की चूत से फिसल गया|दीदी मीठे दर्द का अहसास करती हुई हंस कर बोलीं- चूक गया निशाना … अब आराम से करना| मुझे दर्द भी होता है|
उन्होंने दुबारा से लंड पर थूक मला और दीदी की चूत पर लंड रख दिया|इस बार वो धीरे धीरे लौड़े को चुत की दरार में दबाने लगे|दीदी की मुट्ठियां भिंचने लगीं और आंखों की पुतलियां फैलने लगीं|
लंड का सुपारा चूत की फांकों को फैला कर अन्दर फंस चुका था|दीदी के मुँह से ‘आह इस्स मर गई आह धीरे …’ की आवाजें निकलने लगीं|ऐसे ही धीरे धीरे करते करते जीजा जी के दोस्त ने करारा झटका दे दिया |
अपना आधा लंड चूत को फाड़ कर अन्दर घुसा दिया|दीदी चिल्लाने लगीं- उई मां … दर्द हो रहा है … जल्दी से बाहर निकालो आह फट गई मेरी … जल्दी से निकालो|
जीजा जी के दोस्त ने अपने लंड को हल्का सा पीछे की तरफ खींचा, तब जाकर दीदी थोड़ा चुप हुईं|दीदी के चुप होते ही उन्होंने एक जोरदार धक्का दे मारा |इस बार पूरा लंड दीदी की चूत में उतार दिया|
साथ ही उन्होंने दीदी के मुँह को दबा दिया|दीदी दर्द से कलप गईं और हाथ-पैर पटकने लगीं; उनके मुँह से गूँ गूँ की आवाज आने लगी|जीजा जी के दोस्त ने करीब एक मिनट तक ऐसे ही दीदी के मुँह को दबाए रखा|
जब दीदी थोड़ा नॉर्मल हुईं, तो उन्होंने मुँह छोड़ा|बेचारी दीदी अब भी दर्द के मारे सिसक रही थीं|दीदी से ज्यादा तो मैं सोच सोच कर परेशान था कि दीदी की इतनी छोटी सी चूत में इतना बड़ा लौड़ा घुसा कैसे!
जीजा जी के दोस्त बोल रहे थे- मेरी जान … अभी एक दो बार और दर्द झेलना पड़ेगा| उसके बाद तो इतना मजा आएगा कि तुम ही कहोगी पूरा पेल दो राजा|दीदी दर्द से मुँह दबा कर हंसने की कोशिश करने लगीं|
उनके ऊपर चढ़े हुए जीजा जी के दोस्त दीदी के कभी होंठों को चूसते तो कभी चूचियों को|कुछ देर बाद दीदी को भी मजा आने लगा था क्योंकि दीदी भी नीचे से चूतड़ उछाल रही थीं|
थोड़ी देर बाद दीदी उनसे जोर से लिपट कर आह आह करने लगीं और शांत हो गईं|कुछ देर बाद वो लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगे, तब तक दीदी एक बार और झड़ चुकी थीं|
दीदी अब थक चुकी थी और बोलीं- अब छोड़ दो राजा … दूसरे दिन फिर करेंगे|उन्होंने कहा- मेरा भी झड़ जाने दो, छोड़ दूँगा|दीदी बोलीं- तुम्हारा न जाने कब झड़ेगा| मेरा तो दो बार हो चुका है!
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तो वो बोले- अगर ऐसे ही धीरे धीरे करूँगा तो रात भर में भी नहीं झड़ेगा| हां जोर जोर से करूँगा, तो दस मिनट में हो जाएगा| बस तुम दर्द बर्दाश्त कर लो|दीदी ने भी शायद सोचा कि चलो कुछ ही देर की बात है|
बर्दाश्त कर लेती हूं, दीदी के कहा- ठीक है, जैसे मर्जी करो, मगर दस मिनट से ज्यादा नहीं|ऐसा सुनते ही जीजा जी के दोस्त ने फिर से दीदी के टांगों को ऊपर उठाया और और बैठ कर जोर जोर से लंड पेलना चालू कर दिया|
दीदी की मां चुद गई और वो फिर से रोने लगीं|लेकिन इस सबका असर जीजा के दोस्त पर नहीं पड़ रहा था, वो अपनी ही धुन में लगे हुए धकापेल चुदाई कर रहे थे|
कमरे से केवल फच फच और दीदी के रोने के आवाज गूंज रही थी|ऐसा लग रहा था, जैसे कमरे में भूकम्प आया हो|कुछ देर बाद वो दीदी से जोर से लिपट गए औऱ दीदी भी उनकी कमर में अपनी टांगें फंसाकर जोर से लिपट गईं|
अब कमरे में सिर्फ लंबी लंबी सांस लेने और छोड़ने की आवाज आ रही थी|कुछ देर बाद दोनों शांत होकर चुपचाप लेटे रहे|मैं भी शांति से वहां से उतरा और अपने लंड की मुठ मारकर ठंडा हुआ|
छत पर जाकर एक सिगरेट फूँकी और कमरे में जाकर सो गया|की चुद मारी कहानी कैसी लगी, आप लोग कमेंट्स में बताइएगा जरूर!
मैं आगे भी अपनी छिनाल दीदी की बहुत सी सेक्स कहानी लिखूंगा, जो मैंने अपनी आंखों से देखी हैं|ऐसी कयामत भरी चुदास कहानी पढ़ने के लिए antarvasnastory.net.in पर बने रहना। हम आपको पूरा यकीन दिलाते हैं आपकी पसंद की हर कहानियां लेकर आएंगे। और चुत औऱ लन्ड की गर्मी शांत करते रहेंगे।