चुत की पुरानी हवस भतीजे से बुझवाई – Aunty Sex Story
नमस्कार दोस्तो,मेरा नाम सविता है, मेरी उम्र 35 वर्ष है, रंग गोरा और मेरा फिगर 36-32-40 है।मैं मध्यप्रदेश में अपने पति के साथ रहती हूँ। मेरे दो बच्चे हैं, दोनों दूसरे शहर में नौकरी करते हैं।
मेरे पति एक govt में काम करते हैं। मेरे पति सुबह 8 बजे ऑफिस चले जाते हैं और शाम 7 बजे के बाद ही आते हैं| मैं पूरा दिन अकेली रहती हूँ या अपने कुछ सहेलियों के साथ कभी कभी पार्टी कर लिया करती थी।
मेरा दिन अच्छा कट रहा था। एक दिन मेरे पति ने मुझे अचानक बताया कि उनके भाई का लड़का हमारे शहर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये आ रहा है और वो हमारे साथ हमारे ही घर में ही रहने वाला है।
मुझे यह सही नहीं लगा, उसके हमारे घर में रहने से मेरी पूरी आज़ादी छीन जाएगी| INDEPENDENT CALL GIRLS IN JAIPUR पर बात घर की थी तो मजबूरन मुझे मानना पड़ा। मैंने ऊपर के कमरे में उसके रहने का इंतजाम कर दिया।
मोहन सीधा साधा लड़का था, पढ़ाई लिखाई में भी अच्छा था| मैं कई बार उससे मिली हूँ और वो मेरी काफी इज़्ज़त भी करता है लेकिन अभी मुझे उसका आना पसंद नहीं था। कुछ ही दिनों में मोहनघर आ गया। वो 22 साल का बड़ा लड़का हो गया था, कद काठी भी अच्छी हो गई थी|
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मैं तो पहले उसे देखती ही रह गई|फिर मैंने उसे ऊपर का कमरा दिखा दिया। अब मोहन हमारे साथ हमारे घर में रहने लगा| वो काफी शर्मीला लड़का था। शुरू से ही कम उम्र के लड़के मुझे काफी पसंद हैं|मेरे पति की उम्र 50 साल की हो गई है, अब उनमे पहले जैसे बात नहीं रही तो अब मेरी यह दबी हुई इच्छा अब मोहनको देख के बाहर आने लगी थी।
एक दिने मैं सूखे कपड़े लेने छत पे जा रही थी| तभी मेरी नजर बाथरूम पे पड़ी जो मोहनके रूम के बगल में था।उसका दरवाजा थोड़ा खुला था और अंदर मोहननंगा नहा रहा था।
वो बिल्कुल दरवाजे के पास खड़ा शावर से नहा रहा था और खुले दरवाजे से झांटों के बीच लंड साफ़ दिख रहा था| उसका 7 इंच का लंड बिल्कुल मेरे सामने था, मैं तो हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ भी सकती थी।
जवान लंड देखते ही मेरे तन बदन में आग लग गई, मैं तो बस खड़ी खड़ी देखती ही रह गई और दरवाजे के पीछे वो मजे से नहा रहा था। थोड़ी देर बाद जब उसका लंड दरवाजे से छिप गया तब मैं किसी तरह खुद को मनाती हुई नीचे आ गई, कपड़े भी नहीं लाई।मोहन प्यारा तो था ही … पर अब मुझे वो और भी प्यारा लगने लगा था। अब मैं उसका और भी ध्यान रखने लगी और धीरे धीरे उसके करीब आने की कोशिश करने लगी।
वो मेरे पास केवल 4 साल के लिये आया था और अब मैं बिना समाये गंवाये जल्द से जल्द उसका लंड लेने के लिये तड़प रही थी। अब मुझे अपने पति में कोई इंटरेस्ट नहीं था, मुझे तो बस मोहनही चाहिये था।
मैं चाहती थी कि पहल मोहनकरे क्यूंकि घर की बात थी, कुछ गड़बड़ हुई तो पूरी उम्र सुनना पड़ेगा| अपने पति, अपने बच्चों को मैं क्या मुँह दिखाऊंगी। मोहन जिस बाथरूम में नहाता था उस बाथरूम की कुण्डी थोड़ी मुश्किल से लगती थी|
शायद इसलिए नहाते समय बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रखता था। अब मैं हर रोज अपने भतीजे के लंड का दीदार करती थी और कई बार जब वो कपड़े बदल रहा हो, उसी समय बहाने से उसके कमरे में चली जाती थी और वो मुझे देख के शर्मा जाता था।
धीरे धीरे कुछ महीने बीत गए, अब मैं और मोहनकाफी नजदीक आ गए थे। अब मोहनऊपर से नंगे बदन केवल निक्कर में मेरे सामने आ जाता था, मैं भी उसे ऐसे दिखती जैसे कोई बात नहीं … लड़के घर में ऐसे ही रहते हैं।पर मेरी चूत अब भी खाली थी और मोहनके लंड के लिये तड़प रही थी। मुझे अब ये समझ में आ गया था कि लंड लेना है तो अब बात मुझे खुद आगे बढ़ानी पड़ेगी।
मैं दिन के समय सलवार सूट या टॉप और लोअर पहनती हूँ। मैं इन कपड़ों में साधारण सी हाउसवाइफ दिखती हूँ और रात में नाइटी। मेरी नाइटी स्लीवलेस और बड़े गले की है, इसमें मैं सेक्सी दिखती हूँ|
ये नाइटी अब तक मैं अपने पति का सामने ही केवल पहना करती थी पर अब यह नाइटी मैंने मोहनके सामने भी पहनना शुरु कर दी ताकि उसे अपने बड़े बड़े चूचों का अच्छे से दीदार करा पाऊं।
अब मैं उठते बैठते मोहनको अपने स्तनों की दीदार करने लगी| उसकी नजर तो मेरी चूचियों की घाटी में आकर मानो फंस ही जाती थी, जब भी हमारी नज़र मिलती तो वो झेम्प जाता और मैं मुस्कुरा देती।
एक दिन मैं नाइटी पहन के अपनी छत पे प्लांट लगा रही थी| तभी वहाँ मोहनभी आ गया|मैं मौका देखते ही अपने नाइटी घुटनों तक मोड़ के कुछ इस तरह बैठ गई कि सामने आने से मोहनको मेरी मोटी मोटी जाँघें और पैंटी साफ़ दिखे।
मोहनपहले तो थोड़ी देर बड़े ध्यान से मेरी नाइटी के अंदर देखता रहा, मैं भी मजे से दिखाती रही| पर थोड़ी ही देर में वो छत की दूसरी ओर जाने लगा| मैंने उसे तुरंत बुलाया और उससे इधर उधर की बातें करने लगी ताकि मैं उसे ज्यादा समय तक मैं उसे अपने नंगे अंगों को दिखा पाऊं।
ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए पर बात अब भी बनती नज़र नहीं आ रही थी|वो बड़ा सभ्य लड़का था। अब मैं छत पे कपड़े सुखाने को मोहनको भेज दिया करती थी जिसमे मेरी ब्रा और पैंटी भी होती थी।
वो भी बड़े प्यार से मेरे ब्रा पैंटी को सुखाता था।एक दिन मुझे अपनी एक सहेली के यहाँ जाना था| मैंने मोहनको कहा- मुझे लेट हो रही है और मेरा सूट प्रेस नहीं है, प्लीज मेरा सूट प्रेस कर दो, नहीं तो मैं लेट हो जाऊंगी।
मोहनमेरे कमरे में ही मेरा सूट प्रेस करने लगा और मैं अपने रूम के अटैच्ड बाथरूम में नहाने चली गई। मैं जल्दी नहा कर अपने सफ़ेद पेटीकोट को अपने वक्ष के ऊपर बाँध कर बाहर आई और उसे जल्द प्रेस करने को बोलती हुई अपने बाल संवारने लगी।
सफेद पेटीकोट मेरे गीले बदन से पूरा चिपक गया था। मैं चारों तरफ घूम घूम कर बाल संवार रही थी ताकि मोहनको अपना बदन अच्छे से दिखा पाऊं| मोहन भी चोरी चोरी मुझे निहार रहा था।
सफेद पेटीकोट में मेरी 36 इंच की चूचियाँ जबरदस्त लग रही थी|जब मैं झुक रही थी तो पीछे से मेरी नंगी चूत भी दिख रही थी। यह सब देख कर मोहनका बुरा हाल हो रहा था।वो जल्दी से प्रेस करके बाहर जाने लगा तो मैंने उसे फिर रोक लिया और इधर उधर की बातें करने लगी। फिर उसकी और पीठ करके पेटीकोट खोल के ब्रा पहनने लगी|आईने में मोहनकी बैचनी मुझे साफ़ दिख रही थी।
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मैंने मोहनको अपनी ब्रा का हुक लगाने को कहा|वो डरते डरते मेरे पास आया और हुक लगाया, उसके हाथ काम्प रहे थे| मैंने उसे कहा- अब तुम्ही रोज मेरी ब्रा का हुक लगा दिया करना, मुझे हाथ पीछे जाने में प्रॉब्लम होती है।
वो हामी भर कर वहीं खड़ा रहा, जैसे वो बुत बन गया हो, जैसे उसे कुछ समझ ही ना आ रहा हो| फिर मैंने वहीं उसके सामने ब्रा में कैद अपनी चूचियों को दिखाते हुए पेटीकोट नीचे कमर पर बाँधा|
वो मेरे बदन को निहार रहा था और मैं उससे इधर उधर की बातें कर रही थी जैसे यह सब नार्मल था। फिर मैंने उसके सामने ही पैंटी पहनी|मोहन ऐसे व्यवहार कर रहा था जैसी मानो मैंने उसे सम्मोहित कर लिया हो|
वो चुपचाप मेरे अधनंगे बदन को देख रहा था और मुझसे आँखें बचा के अपने लंड को सहला रहा था। उस दिन के बाद मोहन हमेशा मेरी ब्रा का हुक खोला और लगाया करता था|
कई बार मैं उसे खोलने को बुला लेती थी| मैं भी ब्रा पहनते और खोलते समय उसे अपने चूचों के दर्शन करवा देती थी। अब मोहन ज्यादा समय मेरे साथ बिताने लगा था और मेरी ध्यान भी रखने लगा जैसे मानो मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ।
खाना भी हम साथ बनाते थे और किचन में काम करते समय कई बार वो मेरे अंगों को छू देता था जिसके बदले मैं भी मौका देख के उसके अंगों को छू देती या अपने चूचियाँ या चूतड़ उसके बदन से रगड़ देती थी।
जब मोहन कॉलेज जाता या अपने दोस्तों के पास जाता तो मेरा दिल करता था मैं भी उसके साथ चली जाऊं पर मैं खुद को कंट्रोल करती| मोहन भी समझदार था, वो मेरे पति के सामने मुझे दूरियां बना के रखता था।
मोहन के साथ मुझे मजा तो आ रहा था पर अब भी मेरी चूत अब भी खाली पड़ी थी, उसे अब तक मोहन लंड का स्वाद नहीं मिला था। अब हम दोनों एक दूसरे को गले लग के गुड मॉर्निंग विश किया करते थे|
मोहन भी कई बार मुझे जोर से अपने बांहों में जकड़ लेता था और बहाने से मेरे कूल्हों से मुझे पकड़ के मुझे उठा लेता था। कई बार मोहन मुझे पीछे से पकड़ के मेरी गांड में अपने लंड फंसा देता था और कभी मेरे पेट को तो कभी मंगल सूत्र को देखने के बहाने मेरी चूचियों से खेलता रहता था|
मुझे भी बड़ा मजा आता था और मैं भी अपने चूतड़ों को मटका मटका करके अपनी गांड से उसके लंड को मसलने की कोशिश करती रहती थी। एक दूसरे के अंगों को छूना, गाल और गले को चूमना अब हमारे लिए आम बात हो गई थी।
एक दिन मैं नहा रही थी और गलती से तौलिया ले जाना भूल गई क्योंकि तौलिया छत पे था। पहले मैंने नंगी ही बाहर कमरे में आकर तौलिया ढूंढा पर नहीं मिलने पर मोहन को तौलिया लाने को बोल के बाथरूम में वापस चली गई।
थोड़ी देर बाद मोहन तौलिया लेकर आया और मुझे आवाज लगाई| मैंने कहा- दरवाजा खुला है, अंदर आकर रख दो। मोहनअंदर मुझे शावर के नीचे नंगी नहाती हुई देखने लगा|वो बिना पलक झपकाए अपनी चाची को देख रहा था| मैंने पूछा- तुम्हें भी नहाना है क्या? वो बोला- नहीं, ये बाथरूम काफी बड़ा और सुन्दर है।
मैं भी उसके हाथ से तौलिया लेती हुई अपने नंगे बदन को पौंछने लगी| लेकिन मैं चाहती थी कि मोहन तौलिया से मेरे गीले बदन का पानी सुखाये| पर वो चूतियों की तरह खड़ा रहा|
फिर हम बातें करते हुए बाहर आ गए और मैंने कपड़े पहन लिए। उस दिन मुझे मोहन पे काफी गुस्सा आ रहा था, इतनी सुन्दर औरत जिसकी दीदार को सारा मुहल्ला परेशान रहता है,|
वो नंगी खड़ी है और इस चूतिये को बाथरूम दिख रहा था। मोहन समझ गया कि मैं नाराज हूँ| वो मुझे मेरी उदासी का कारण पूछने लगा और ज़िद करके सोफे पे मुझसे चिपक का बैठ गया।जब उसकी जिद बढ़ गई तब मैंने बात पलटने को उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? उसने साफ़ मना कर दिया|
फिर मैंने बातों बातों में पूछा- पहले कभी किसी लड़की को नंगा देखा है क्या?उसने धीरे से शरमाते हुए कहा- चाची जी, आपको कई बार देखा पर आज आपको देख के मजा आ गया।फिर उसने धीरे से पूछा- आप अपने नीचे के बालों को क्यों नहीं साफ़ करती?उसके मुँह से इस तरह की बात की मुझे उम्मीद न थी| फिर भी मैं तपाक से बोली- किसके लिये साफ़ करूं? उसने पूछा- क्यों चाचाजी कुछ बोलते नहीं?
मैंने कहा- उन्हें जैसे भी मिल जाये सब चलता है, वैसे तुम भी तो साफ़ नहीं करते। यह सुनते ही वो सकपका गया और पूछा- आपको कैसे मालूम? मैं बोली- दरवाज़ा खोल के नहाओगे तो सब मालूम चल ही जायेगा।
कुछ दिन और गुजर गए अब हम दोनों को एक दूसरे के सामने नंगा होने में कोई शर्म नहीं आती थी| पर अब भी हमारे लंड और चूत का मिलन नहीं हुआ था। आग दोनों और थी पर कोई पहल करने को तैयार नहीं था।
कपड़े के ऊपर से तो हम एक दूसरे के बदन को प्यार से सहला लेते थे पर हाथ अंदर ले जा कर सहलाना अभी बाकी था। फिर एक दिन मैंने भी मन बना के बाथरूम में अपने झांटों को साफ़ किया और अपनी पीठ पर साबुन लगाने के बहाने मोहनको अंदर बुलाया।
उस वक्त मैं अपनी पेटीकोट को चूचियों पे बंधी हुई थी और मोहनअपनी निक्कर और टीशर्ट में था। मैंने उसे कपड़े उतरने को कहा| उसने अपनी टीशर्ट तो उतार दिया पर अपनी निक्कर नहीं उतरना चाहता था|
हम दोनों ने कई बार एक दूसरे को नंगा देखा था तो उसकी वो बात मुझे अच्छी नहीं लगी| फिर भी मैंने अपनी पेटीकोट उठा के उसे अपनी बिना बालों वाली सुन्दर चूत का दर्शन करवाए।
मोहन ने यह देख के तुरंत अपनी निक्कर उतार दी और अपना बिना बालों वाले 7 इंच के लंड दिखाया।उसने भी अपने नीचे के बालों को मेरे कहने पे साफ़ कर लिया था।यह देख के हम दोनों ने एक साथ वाओ बोले और नज़दीक आकर एक दूसरे के अंगों को छूने सहलाने लगे।जल्द ही मोहन का लंड खड़ा हो गया।उसने मेरा पेटीकोट और अपनी निक्कर उतार दी और मेरे बदन को पागलों की तरह चूमने सहलाने लगा। मैंने भी उसका लंड पकड़े हुए खुद को उसे सौंप दिया।
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बाथरूम में ये सब करना असुविधाजनक लग रहा था तो मैं उसे उसके लंड से खींच के रूम में ले आई और वहाँ बेड पे लिटा के उसके उसके ऊपर चढ़ के चूमने लगी और मोहन का लंड अपनी चूत में रगड़ने लगी।
मोहनकी सांसें तेज चल रही थी|मैंने धीरे से पूछा- पहली बार क्या? उसने शरमाते हुए हाँ कहा। मैं समझ गई थी कि अब सब मुझे ही करना है। तो मैं मोहन को लिटा के धीरे से अपनी चूत को उसके खड़े लंड पे सेट करके धीरे धीरे बैठने लगी और धीरे धीरे मोहन का लंड मेरी चूत में समाता चला गया।
मोहन लेटा हुआ अपनी गर्दन उठा के यह सब देख रहा था। फिर मैंने मोहन के लंड पे सवार होके जी भर के चुदवाया और फिर मोहन ने मेरे साथ ही अपना पानी मेरे चूत की गहराई में छोड़ दिया।
हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे। थोड़ी देर बाद जब आंख खुली तो मैं अब भी मोहन के ऊपर और मोहन का लण्ड मेरे अंदर था, जो धीरे धीरे अपना आकर ले रहा था।मैंने पूछा- मजा आया? उसने शरमाते हुए हाँ कहा और मेरी चूचियों में अपना मुँह छिपा लिया।
तो दोस्तो, आपको मेरी और मोहन की ये सेक्सी चाची की चुदाई कहानी कैसे लगी? मुझे जरूर बतायें। फिर मोहन मुझे रोज चोदता में उसके लण्ड का मज़ा लेने लगी अगली कहानी मे बताऊगी उसने कैसे मेरी गांड मरी और गांड फाड़ी |