सेक्सी कम उम्र की मौसी की चुदाई – Antarvasna
Antarvasna : नमस्कार दोस्तों! मैं दिखने में काफी सुन्दर हूँ और मेरा कदकाठी भी ठीक है| मैं मध्य प्रदेश के भोपाल का रहने वाला हूँ| मैंने 20 की उम्र तक 5 गर्लफ्रैंड बनाई और सभी की चुदाई भी की।
फिलहाल कटिहार में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा हूँ।मेरी ये पहली कहानी है antarvasnakahani.net पर इसलिए कोई गलती होने पर पहले से क्षमाप्रार्थी हूँ। मेरी यह कहानी एक कल्पना न होकर थोड़ी मसालेदार सच्चाई है।
जो अगर साथ रहा तो आगे चलकर एक बड़े सेक्स कथानक का रूप लेगी।कहानी शुरू होती है नवम्बर 2016 से जब मैं ताजा ताजा गबरू हुआ था, मैं 12 वीं में था। सेक्स का पूरा ज्ञान जो इंटरनेट से बटोरा गया था, अब तक दो लड़कियां चोद चुका था।
दूसरी तरफ मेरी कहानी की नायिका, मेरी मौसी ,माँ की चचेरी बहन सोनी भी 21 की होकर कहर ढाने लगी थी।मौसी मुझसे 3 साल बड़ी थी, बचपन में हम साथ ही खेला करते थे। उसका तो पता नहीं … पर सोनी का साथ मुझे बहुत पसंद था|
मैं शायद चाहता था उसे।गाँव गया तो प्लान बना मामाजी के घर घूमने का … तो मैं पापा की बाइक लेकर जा पहुंचा मेरे ननिहाल।जैसा कि होता है यहाँ मेरा जोरदार स्वागत हुआ… मामा-मामी और सब बड़ी खुशी से मिले|
पर मेरी नजरें तो मेरी हिरोइन को ढूंढ रही थीं। लेकिन पता चला मोहतरमा अभी स्कूल से ही नहीं लौटी। गलत समझे आप … मौसी पढ़ती नहीं, एक निजी स्कूल में छोटे बच्चों को पढ़ाती थी।
गांव की लड़कियों की ये बहुत बड़ी परेशानी है, 12वीं के बाद वो तो पढ़ना चाहती थी लेकिन पास में कोई कॉलेज नहीं था। पढ़ाई के लिये बाहर जाना पड़ता, जिसकी इजाजत लड़कियों को और वो भी पंजाबी परिवार में, सम्भव ही नहीं जी!
खैर दोपहर तक सोनी घर आई और आते ही उफ्फ! सारे जिस्म के रक्त को महज 7 इंच के एक अंग में भर देने वाली वो जफ्फी (झप्पी)।कसम से मुझे और मेरे उस्ताद दोनों को ताउम्र याद रहेगा वो लम्हा।बाबू कहाँ था साले इतने दिन?
बचपन से ही सब मुझे प्यार से बाबू बुलाते हैं।और फिर ये-वो, ऐसा-वैसा तमाम बेमतलब बातें और इन सब से परे मेरा दिल और दिमाग फिर उसी साजिश में को बनाने में जुटे थे |
जिसे पहले भी कई बार बनाया गया पर अंजाम देने की बारी आते ही हिम्मत जवाब देने लगती थी।कैसे? कैसे सामने बैठी इस कन्या के गुलाबी अधरों का रसपान कर पाऊंगा मैं? 34″ साइज़ के वो मम्मे कब मसल पाऊंगा जो आतुर हैं
पीले पंजाबी सूट के नीचे पहनी हुई सफेद ब्रा से बाहर आने को? उसके 36 के प्योर पंजाबी स्टाइल चूतड़ों पर चपत लगाने का ख्याल ही …बाबू !!! कहाँ खोये हो? गर्लफ्रैंड की याद आ रही है?गर्लफ्रैंड? मौसी वो क्या होता है
मैंने आँख मारते हुए कहा।वैसे कितनी हैं तेरी?सवाल से भी अजीब जवाब, वो भी सवाल के रूप में।मैं इनसे बातों में न तो जीत पाया था न ही जीत पाऊंगा।एक थी मौसी … छोड़ के चली गयी|अब?नहीं है।झूठ?झूठ मतलब?मतलब तू शहर में रहता है
फिर भी औरसिंगल?यार बताया ना … अभी ब्रेकअप हुआ है और शहर में क्या लड़कियां पेड़ों पे लगती हैं। गए तोड़ी और कहा कि आजा मेरी सेटिंग बन जा!!सेटिंग शब्द अधिक दबाव के साथ और सोनी की तरफ इशारा।
दूसरी ओर उनकी मुस्कान जैसे मेरा ये वाक्य कोई पारदर्शी माध्यम हो और उस पार मेरे इरादे।सोनी के साथ मैं पहले भी फ़्लर्ट करता रहता था| वो सिर्फ स्माइल करती और इससे आगे बढ़ने की मेरी हिम्मत नहीं थी।
आंखें तो शायद उसकी भी कुछ कहना चाहती थीं आज।सिम्मी, बाबू चाय पी लो|यह आवाज रसोई से थी|हम बरामदे में पहुंचे, देखा मामी रसोई से चाय-नाश्ता लिये चली आ रही थी।
दिखने में मामी भी कुछ कम नहीं थी; 26 की थी और 2 साल पहले ही शादी हुई उनकी । भरा हुआ शरीर 36″ 30″ 36″। शादी के बाद और भी क़यामत लगने लगी थी।
हिरनी जैसी चाल … ऊपर से बिल्लौरी आंखें …ओ एम जी …खैर इनकी कहानी बाद में।चाय पीते पीते मेरे दिमाग मे एक आईडिया आया- मौसी खेत घूमने चलें?चल, मैं भी बहुत दिनों से गयी नहीं हूं।प्रति उत्तर जिसकी मुझे आशा थी।
शाम 4 बजे मैं और मौसी दोनों ट्यूबवेल पे थे।मौसी चलो नहाते हैं|मेरी अगली चाल।मैं ये सब कर तो रहा था पर अंदर से फटी पड़ी थी। अगर मौसी को अच्छा न लगा तो? मेरी हरकत के बारे में अगर उन्होंने घर पे बता दिया तो?छपाक!!’
तब तक मौसी टंकी में कूद चुकी थी।हमारे गाँव से में पानी को सहेजने के लिए ट्यूबवेल-पाइप के मुहाने के नीचे सीमेंट की टंकियां बनाई जाती हैं।बाबू तू भी आ जा।यार आप दो कदम आगे हो, मैंने यूं ही पूछा था, ठंड लग जायेगी आपको।
ओ मतलबी कहीं के … तेरे लिए ही घुसी हूं पानी में। तू आ रहा है या बाहर आऊँ?नहीं मैं…और फिर 5 मिनट बेमतलब बहस।मैं सिर्फ दिखावे के लिए मना कर रहा था; अंदर से तो मैं कब का टंकी में कूद चुका था।
भीगी हुई मौसी का वो शरीर से चिपका हुआ सूट पानी और लंड दोनों में आग लगाने के लिये काफी था।आख़िरकार मैदान में उतरना ही पड़ा।टीशर्ट मैंने उतार दी थी सिर्फ जीन्स पहने हुए था।
पानी से खेलते खेलते मुझे शैतानी सूझी और मैंने मौसी पे पानी उछालना शुरू कर दिया। जिसकी उम्मीद थी … बदले में मौसी भी मुझपे पानी उछालने लगी।
मैंने एक बार दूर तक नज़र घुमाई … आसपास कोई नहीं था। ट्यूबवेल के पास एक कोठरी भी बनी हुई थी जो शायद मामू ने ही बनवाई थी ट्यूबवेल से संबंधित औजार रखने के लिये।अब मुझे काम बनता नजर आया।
पता नहीं कहाँ से मुझमे हिम्मत आ गयी और मौसी की 26″ की कमर को दोनों हाथों से जकड़कर मैंने पानी में डुबकी लगा दी। ये सब पलक झपकते ही हो गया; सोनी को संभलने का मौका ही नहीं मिल पाया।
अब स्थिति यह थी कि मैं पानी के अन्दर मौसी से सटा हुआ था और उनके जिस्म से निकलती वो प्राकृतिक महक … ओह्ह!और मौसी गुस्से में मुझे घूर रही थी।जैसे-तैसे उन्होंने खुद को मुझसे छुड़ाया और लगी मुझे गालियां देने- साले मेरे सारे बाल भीग गए!
तू …इससे आगे वो कुछ कह पाती कि पता नहीं मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी, मैंने सोनी को दोबारा दबोचा और इस बार सीधे होंठों पे हमला कर दिया।छूटने की तमाम बेकार-नाकाम कोशिशें!
सेक्सी मौसी सास की प्यासी बुर चुदाई – Antarvasna
सोनी मौसी के गुलाबी अधरों का रसपान करने में मैं पूरी शिद्दत के साथ लगा हुआ था। लगभग 5 मिनट स्मूच के बाद मैंने उसके होंठों को आजाद किया।सोनी मेरे इस दुस्साहस से हक्की-बक्की थी- तेरी हिम्मत कैसे हुई?
तू घर चल … भैया को तेरी करतूत बताऊँगी साले! मासी माँ समान होती है| तुझे शर्म नहीं आई मेरे साथ ऐसा करते हुए?और फिरचटाक!!!मेरे मुँह पे सोनी के नाज़ुक हाथों से एक तमाचा रसीद हुआ।
मैं भी ठहरा एक नम्बर का ड्रामेबाज! आंखों से झर-झर बहते आंसू और सॉरी … सॉरी … सॉरी के सटीक समागम ने 5 मिनट लगाए मौसी को पिघलाने में।अच्छा ठीक है, तू रो मत, नहीं बोलूंगी।थैंक यू मौसी … थैंक यू सो मच।
अब ज्यादा बन मत, ये बता तेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गयी? सबके सामने तू बड़ा शरीफ़ बनता है।वो मौसी मैं …वो मौसी तू क्या?यार … प्यार करता हूं आपसे!क्या… रियली? तो बताया क्यों नहीं अब तक?हां … जैसे आज तो आपने हां कर दी हो!
वो अलग मैटर है। और वैसे भी तेरी गर्लफ्रैंड है ना?है नहीं … थी!हां तो?तो आप बन जाओ!जूते मारने तेरे सिर पे मैंने … बेशरमहद है यार … पहले बोलती हो बोला नहीं, अब बोल दिया है तो मान नहीं रही हो।
किस अच्छा करना आता है तेरे को, कहाँ से सीखा?सीखा तो बहुत कुछ है, आप मौका तो दो।चपेड़ न दूँ बुत्थे पे तेरे?अब मुझे एहसास होने लगा था कि हो न हो ये लौंडिया आज ठुक के ही मानेगी|और इसके साथ ही दौड़ना शुरू किया|
राइट आर्म, ओवर द विकेट, अंपायर को पार करते हुए … निर्वस्त्र का ये लाजवाब यॉर्कर और सोनी क्लीन बोल्ड!!!ठीक है, मारो चपेड़! मैं आपसे बात ही नहीं करूंगा। घर जा रहा हूं … बाय।इतना बोलकर पलटा ही था |
मैं … कि मौसी ने पीछे से हाथ पकड़कर मुझे खींचकर अपनी ओर घुमाया … और चटाक!!!एक और थप्पड़ …दूसरा थप्पड़!
इससे पहले मैं सम्भलता, तीसरा थप्पड़ |
थप्पड़ों के बाद ताबड़तोड़ चुम्बनों की बरसात और उसके बाद हमारे होंठ ऐसे मिले जैसे कभी किसी समय इनके बीच कोई जगह रही होगी|ये सोचना भी जैसे मुमकिन न हो।
10 मिनट का वो दीर्घकालीन चुम्बन दो जवान जिस्मों की अन्तर्वासना जगाने के लिए काफी था।अब हमने कोठरी की ओर रुख किया। कोठरी में काफी पुआल (धान का कचरा) रखी हुई थी। झटपट उसी का गद्दा बना लिया गया।
एक अजीब विचार मेरे मन में आया कि मामा ने अपना सामान सुरक्षित रखने के लिए ये कोठरी बनवायी होगी| और अब इसी कोठरी में उनकी बहन चुदने वाली है।कोठरी में सोनी तो साहब … टूट पड़ी मुझ पे!
टीशर्ट मैं उतार चुका था, मेरे नंगे जिस्म के अनगिनत चुम्बन लेती जा रही सोनी को मैं सिर्फ देख रहा था। देख रहा था कामुकता की मूरत बनी अपनी उस मौसी को … जिसे पाने की लालसा आज पूरी होने जा रही थी।
अब बारी मेरी थी, सबसे पहले मैंने सोनी के कमीज को उतार दिया। सफेद ब्रा उसके गोरे जिस्म पे खूब जच रही थी। और मौसी के सफेद चिट्टे मम्मों की तो कुछ बात ही अलग थी।
माथे पर एक चुम्मी के साथ शुरुआत करने के बाद मैं धीरे-धीरे नीचे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा।
मेरे दोनों हाथ अपना काम बखूबी कर रहे थे। इनके द्वारा मौसी की कमर और नितंबों का जायजा लिया जा रहा था।
मौसी भी अब कामुक आहें भरने लगीं थी- आह … बाबू रुक जाओ … मत करो … मुझे कुछ हो रहा है … रुको आहह।मैं अपने काम में पूरी शिद्दत के साथ जुटा हुआ था।
किस करते हुए जैसे ही मैंने मौसी की ब्रा को खोला, 36″ आकार के कबूतर बाहर आकर मुझे काम-आमंत्रण देने लगे।उसपे गुलाबी रंग के निप्पल और भी सेक्सी लग रहे थे।
मैं अपने हाथों को रोक न सका और सोनी के बूब्स को पकड़कर जोर से दबा दिया।उम्म्ह… अहह… हय… याह… सोनी कराह उठी-धीरे करो, लग रही है|मौसी की बात को अनसुना कर मैं अपने काम में जुटा रहा।
अब मैं एक हाथ से मौसी के बूब्स दबा रहा था, वहीं दूसरे सलवार के ऊपर से मौसी के जांघों के उस संधिस्थल को तलाश रहा था जो अब तक लीटर भर पानी फेंक कर लगभग आधी पुआल को नहला चुका था।
अब मौसी का एक मम्मा मेरे मुंह में था और दूसरा हाथ में। दूसरे हाथ से मैं मौसी की सलवार का नाड़ा खोलने में कामयाब हो चुका था।अब तक मौसी मुझपे सवार थी लेकिन अब ऊपर आके बागडोर मैंने संभाल ली थी।
मौसी के जिस्म का को चाटने चूसने के उपरांत मैंने मौसी की सलवार उतार दी, जिसे उतारने में मौसी ने मेरी पूरी मदद की।चिकनी गोरी जांघों पर हल्के हल्के रोयें। दूसरी लड़कियों से कुछ अलग ज़िस्म था मौसी का।
मौसी की कच्छी भीगकर पारदर्शी हो चुकी थी।कोई ड्रामा नहीं … कोई ना-नुकुर नहीं … सिर्फ मेरे बालों को सहलाती जा रही मौसी मेरा पूरा साथ देने के साथ लगातार आहें भर रही थी।
अब मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। मेरा 7″ का लंड देखकर मौसी कोई खास हैरान नहीं हुई बल्कि मेरे लिंग को हाथ में पकड़कर हिलाने लगी।मौसी को इस तरह देखकर मुझे कुछ अजीब लग रहा था।
तभी मौसी ने बिना कुछ कहे मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया।यह और भी चौंकाने वाला था।अब सिसियाने की बारी मेरी थी।
यह खेल खेलते खेलते हमें 45 मिनट से ज्यादा का समय हो चुका था। इधर मेरे लंड में दर्द हो रहा था|
उधर मौसी की चूत झरना बनी हुई थी।मैंने अब ज्यादा देर करना उचित नहीं समझा;मैंने मौसी को लेटने का इशारा किया। लेटने के बाद सोनी की गीली हो चुकी पैंटी मैंने उतार दी।क्या चूत थी यार सोनी की … कुछ पल के लिए मैं उसे निहारता ही रह गया।
सोनी की गोरी, अंदरूनी हिस्से के आस पास लालिमा लिए हुए, हल्के रोयें युक्त उस चूत को चाटने का मौका निर्वस्त्र कभी नहीं छोड़ सकता।और वही किया मैंने।वाह…!
लाजवाब, लजीज… एक भीनी यौन दुर्गन्ध जो मुझे उस समय दुनिया के सारे पुष्पों को मिलाकर बनाये गए इत्र से अधिक मनभावन लग रही थी। एक ही बार में सोनी की चूत के ऊपर …और अंदर मौजूद रस को गटक गया मैं।
अब खेल समाप्ति की ओर जा रहा था … चूत को चाटना छोड़कर मौसी को आंख मारकर मैंने उनकी दोनों हवा में उठा ली; तेजी से खींचकर मौसी को अपने करीब लाने के बाद मैंनेउनकी योनि पर अपना लिंग रख दिया |
वो अहसास शायद मैं कभी नहीं लिख पाऊंगा।मैंने मौसी से कहा- मौसी थोड़ा दर्द होगा, पहली बार में सबको होता है। सह लोगी?बदले में सोनी सिर्फ मुस्कुरा दी।जैसे मैंने वो सवाल पूछ लिया हो जिसका उत्तर वो पहले से जानती है।
लन्ड को सेट करने के बाद, मैंने उत्तेजना और एक ही बार में लक्ष्य को बेधने की धुन में एक जोरदार शॉट मारा। पर ये क्या बिना किसी बाधा के मेरा लन्ड चूत की जड़ तक पहुंच चुका था।और मौसी रोना तो दूर की बात … चिल्लाई तक नहीं।
सिर्फ एक लंबी आहह हहह के साथ मेरा पूरा लौड़ा लील लिया था सोनी ने।मेरा माथा ठनका … मौसी के चेहरे को देखा, आँसुओं का नाम-ओ-निशान नहीं, बल्कि वो अब भी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी।
बोली- क्या हुआ बेटा? तुझे क्या लगा सिर्फ तू ही गर्लफ्रैंड-बॉयफ्रेंड खेलना जानता है?ख्वाब था मेरा कि सोनी की सील मैं ही तोडूंगा लेकिन इसकी माँ की चूत … मेरा दिमाग खराब हो चुका था। मन ही मन मैं उसे हजारों गालियां दे रहा था।
मेरा लन्ड अब भी उसकी चूत में जड़ तक समाया हुआ था।उधर सोनी ने मुझे शांत देखकर नीचे से खुद झटके मारने शुरु कर दिए।मैंने भी सोचा ‘अब जो हुआ सो हुआ’और पिस्टन की सी गति से सोनी की चूत का भुर्ता बनाना शुरू कर दिया।
आहह हह … उफ़्फ़ … कम ऑन बेटू … चोद दे मुझे … चोद कुत्ते … तेज आहह हहहह … सोनी वासना के वशीभूत होकर लगातार सिस्कार रही थीऔर मैं इन सब बातों को बेमतलब समझकर सारा गुस्सा सोनी की नाजुक चूत पर निकलने में लगा हुआ था।