Antarvasna

पागल जेठ जी ने मेरी गांड फाड़ी दी – Antarvasna

Antarvasna: मैं एक शादी शुदा औरत हूँ। मैं हाउस वाइफ हूँ और सारा दिन घर पर ही रहती हूँ। मैं खाली समय में सेक्स विडियो देखना और नई नई सेक्स कहानियां पढना पसंद करती हूँ।

मेरी एक सहेली ने मुझे हमारी वासना के बारे में बताया था, तब से मैं रोज यहाँ की मस्त Bhojpuri Sex  स्टोरीज पढ़ती हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रही हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।

ये मेरी जिन्दगी में घटी एक सच्ची घटना है।मेरी ससुराल उत्तम नगर में पड़ती है। मेरे २ बच्चे है। मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते है और रोज रात में मेरी चूत मारते है।

दोस्तों,मेरी जिन्दगी मजे से बीच रही थी पर २ साल पहले मेरी जिन्दगी में जबरदस्त भूचाल आ गया। मेरे जेठ मेरी जिठानी को ठीक से पेल नही पाते थे|

वो अक्सर मुझसे शिकायत करती थी की जेठ जी तो उन्हें कायदे से चोद ही नही पाते है।धीरे धीरे इसी बाद को लेकर जेठ और जिठानी में तू तू मैं मैं होने लगी।

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पागल जेठ जी ने मेरी गांड फाड़ी दी - Antarvasna

धीरे धीरे मेरी जिठानी जादातर समय अपने मायके में ही रहने लगी। कुछ दिन बाद हम लोगो को पता चला की वो अपने मायके में ही किसी सूरज नाम के लड़के से फंस गयी है और जी भरकर उसी से चुदवाती रहती है।

इस बात को लेकर मेरी ससुराल में कलह मच गयी। मेरे जेठ कहने लगी की छिनाल इस कारण मायके में ३ ३, ४ ४ महीना पड़ी रहती है। मोटे लंड का जुगाड़ छिनाल ने मायके में ही कर लिया है तो अब यहाँ क्यों आएगी।

मेरे ससुर और सास मेरी जिठानी को जान से मारने की बात करने लगे. क्यूंकि ये बात पूरी रिश्तेदारी में खुल चुकी थी और बदनामी भी भरपेट हो रही थी। पर जब सब लोग जिठानी के मायके गये |

तो खूबसूरत जिठानी को देखकर मेरे जेठ फिर से पिघल गए।दीपिका !!मेरी जिठानी का नाम,जो तूने उस सूरज से साथ किया, मैं सब माफ़ करता हूँ।

हमारी नाक और मत कटवा और चुप चाप घर चल!!” जेठ ने सूरज के प्यार में पागल जिठानी से कहा.नही….अब मैं सूरज के साथ ही रहूंगी। मैं उससे प्यार करती हूँ। उसके साथ मैं कई बार सो चुकी हूँ और चुदवा चुकी हूँ!!”

मेरी जिठानी ने भरी महफिल में साफ साफ़ कह दिया। वहाँ कुल ६० लोग तो आराम से थे। भरपेट बदनामी हुई। मेरे जेठ, सास, ससुर और हम पति पत्नी की इज्जत जिठानी सरे आम नीलाम कर रही थी।

दीपिका …..देख प्यार से समझा रहू पर अभी मान जा….वरना मैं तेरी बोटी बोटी काट के रख दूंगा!..” मैं जेठ ने धमकी दी पर जिठानी पर कोई असर नही पड़ा।

जिठानी सूरज का लंड कई बार खा चुकी थी और अब जेठ का लौड़ा खाने के मूड में वो नही थी। इस मामले को सुलझाने के लिए हर आदमी अलग अलग राय देता था।

ससुर और जिठानी के बाप तो उसे जहर देकर मारने की बात कर रहे थे। पर मेरे जेठ जिठानी को बहुत प्यार करते थे।इसलिए ये जानने के बाद की वो बदचलन औरत है

जेठानी को अपनाने को तैयार थे। कुछ लोग सोच रहे थे की कहीं जेठानी रातो रातो सूरज के साथ भाग ना जाए। बड़े बूढों और उम्र दराज वाले लोगो का दिमाग भी काम नही कर रहा था।

इसी बीच मेरे जेठ ससुर और गाँव के अन्य लोगो ने मिलकर सूरज को गोली मार दी।अगर सूरज ही नही रहेगा तो मेरी जिठानी प्यार किस्से करेंगी।

लेकिन सारी कहानी तब उलटी पड़ गयी जब जिठानी को पता चला की सब लोगो ने षड्यंत्र करके सूरज को गोली मार दी है और उसे जान से मार दिया है। मेरी जिठानी और सूरज से साथ साथ जीने मरने की कसमे खायी थी।

बस इसी कसम को सोच कर जिठानी ने घर में गेहूं में रखी सल्फास की ४ बड़ी बड़ी गोलियां खा ली और अस्पताल ले जाते जाते उनकी मौत हो गयी।

असली ड्रामा तो जिठानी के मरने के बाद शुरू हुआ। एक तो जेठ की ४० साल में बुढौती में शादी किसी तरह हुई थी और अब जेठानी भी स्वर्ग सिधार गयी।

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पागल जेठ जी ने मेरी गांड फाड़ी दी - Antarvasna

उसके गम में मेरे जेठ पागल हो गये और पूरी तरह से जिठानी की याद में मेंटल हो गये। मेरी जिठानी भले ही बदचलन थी और आवारा थी, पर जेठ की आँखों का तारा थी वो।

धीरे धीरे मेरे जेठ अपनी सुध बुध खोने लगे। मेरे पति, सास और ससुर ने कभी नही सोचा था की जिठानी सूरज के प्यार में जहर खा लेंगी।

आजकल कौन लड़की इतनी जल्दी जहर खा लेती है। जिठानी के मायके वाले भी ये सोच रहे थे की सूरज के रास्ते से हटने के बाद जिठानी ससुराल आकर रहने लग जाएंगी।

पर सारी चाल उलटी पड़ गयी। मेरे पति और ससुर जेठ जी को मोटर साईकिल पर बिठाकर जिला अस्पताल ले गये और उनको मनोरोग वाले डॉक्टर को दिखाया।

डॉक्टर ने बताया की इनको इनकी पत्नी की मौत की वजह से बहुत बड़ा सदमा दिमाग में लगा है। किसी सुंदर औरत को रात में जेठ के कमरे में भेजा जाए और विश्वास दिलाया जाए की इतनी पत्नी जिन्दा है

तब ये उसकी चुदाई करेंगे तब ही इनको होश जाएगा।अब सबसे बड़ी बात थी की किस जवान औरत को रात में जेठ के कमरे में उसकी बीबी बनाकर भेजा जाए।

मेरी सास, ससुर और मेरे पति का बुरा हाल था। बेटी प्रियंका……अब तुझे ही दीपिका बनकर मेरे बड़े लड़के के कमरे में जाना होगा। बेटी तू उसको खुश कर देना।

उसके साथ सो जाना और धीरे धीरे मेरा बेटा सही हो जाएगा। बाद में सब ठीक हो जाएगा” मेरी सास एक दिन बोली। फिर मेरे ससुर और पति भी रोज मुझसे गुजारिश करने लगे।

बहू….तू तो चुदी चुदाई पहले से है। तू कुछ दिन नाटक करके दीपिका का भेष बनाकर मेरे बड़े लड़के के कमरे में रात में चली जा, तो मुझे मेरा बेटा वापिस मिल जाएगा!!” ससुर बोले।

मेरे पति भी इसी तरह की गुजारिश करने लगे। मैं तो समझ नही पा रही थी की क्या करू। पर मेरे जेठ के सदमे को ठीक करने के लिए मुझे ऐसा नाटक करना ही था।

अगले दिन मैं मान गयी और रात होने पर मैं जेठ के कमरे में चली गयी और उनके पैर दबाने लगी। उनको दिमाग में सदमा लगा था।

उनका दिल कह रहा था की उसकी आवारा बदचलन और दुसरे से सेट हो चुकी बीवी दीपिका अभी जिन्दा है। जैसे ही मैंने उसके बिस्तर पर बैठकर उनके पैर दबाने लगी, वो समझे की दीपिका आ गयी।

मैं जान बुझकर लम्बा घूँघट कर लिया था जिससे मेरे जेठ को लगे की उनकी इश्कबाज औरत दीपिका जिन्दा है।दीपिका तुम आ गयी??” जेठ से खुश होकर बोला.

हाँ पति देव मैं उस सूरज को छोडकर आपके पास चली गयी!!” मैंने साड़ी के घुंघट में मुंह छिपाकर जवाब दिया। उसके बाद मेरे जेठ को विश्वास हो गया की उसकी बीबी जिन्दा है और मरी नही है।

वो मुझे पहचान ना सके, इसलिए मैंने कमरे की लाईट बंद कर दी। उसके बाद तो कुछ बड़ा अलग होने लगा।कमरे में अँधेरे में मेरे जेठ से मुझे बाहों में भर लिया और मेरे गाल, चेहरे, आँखों, गले और सब जगह किस करने लगे।

मुझे भी अच्छा लगने लगा और मजा आने लगा। उन्होंने मुझे अपने पास लिटा लिया और मेरे गालों पर चुम्मा की बरसात कर दी। वो मुझे अपनी बीबी दीपिका ही समझ रहे थे।

धीरे धीरे मेरे जेठ ने मेरी साड़ी निकाल दी और मेरे काले ब्लाउस की एक एक बटन खोलने लगे। बाप रे!! आज अपनी ही ससुराल में मैं आज एक गैर मर्द से चुदने जा रही थी |

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पागल जेठ जी ने मेरी गांड फाड़ी दी - Antarvasna

सबसे बड़ी बात थी की मेरे पति , सास और ससूर ही मुझे उस गैर मर्द से चुदवा रहे थे।मैं मजबूर थी। मुझे किसी भी तरह अपने जेठ से चुदवाना ही था।

इसलिए मैं दीपिका की आवाज में बात कर रही थी। कुछ देर बाद मेरे जेठ ने मेरे ब्लाउस की सारी बटने खोल दी और निकाल दिया।

दोस्तों आप तो जानते की होंगे की गाँव में कम औरते ही ब्रा और पेंटी पहनती है क्यूंकि गाँव वाले इतने जादा अमीर तो होते नही है।

इसलिय मैंने ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पैंटी पहनी थी। मेरी बड़ी बड़ी ४०” की नंगी चूचियों को देखकर मेरे जेठ जी को पूरा विश्वास हो गया की मैं उसकी पत्नी दीपिका ही हूँ।

वो अपने सारे कपड़े पहनकर नंगे हो गये और मेरे उपर लेट गये और मेरे मुलायम बड़े बड़े मम्मो को अपना माल समझकर पीने लगे।

धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा। रोज मैं अपने पति का लंड खाती थी और आज लम्बे चौड़े जेठ का लंड खाऊँगी। मैं सोचने लगी। जेठ को मेरे मम्मे हाथ में लेकर लप्प लप्प दबाने लगे।

ओह्ह्ह्ह माँ… अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह…. उ उ उ…चूसो चूसो…..और चूसो…मेरे मम्मो को….अच्छे से चूसो” मैं भी दीपिका की आवाज में बोल दिया।

अब तो मेरे जेठ मजे से मेरे दूध को मुंह में लेकर बहुत तेज तेज चूसने लगे। मुझे दर्द हो रहा था, पर मजा भी खूब आ रहा था। आज एक गैर मर्द मेरी नर्म और मीठी छातियों को मजे लेकर चूस रहा था।

सच में एक कमाल का और बिलकुल अलग अनुभव था। जेठ तो मेरे दूध पीकर फुल ऐश कर रहे थे।उसके तेज चाक़ू जैसे दांत मेरी नर्म छातियों को चुभ रहे थे, पर दोस्तो मजा भी खूब आ गया था।

जेठ मुझे अपनी चुदकक्ड औरत दीपिका समझ रहे थे। मेरी दोनों चुचियों को वो बदल बदलकर पी रहे थे।…..अई…अई….अई……अई….इसस्स्स्स्स्स्स्स्……उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह…..मैं चिल्ला रही थी।

फिर जेठ ने मेरा पेटीकोट खोल दिया और निकाल दिया। पैंटी मैंने पहनी नही थी। मेरी भरी हुई चूत के दर्शन जेठ को हो गये थे। जेठ मेरी चूत पर टूट पड़े और बड़े प्यार से सहलाने लगे।

मेरी जिठानी कभी अपने झाटे नही बनाती थी क्यूंकि जेठ जी को अपनी बीबी को झांटो में चोदना बेहद पसंद था।

जब मेरी काली काली घुघराली घास में जेठ बड़ी देर तक अपनी उँगलियाँ चलाते रहे तो उनको पूर्ण विश्वास हो गया की मैं उसकी बीबी कोमल ही हूँ।

बड़ी देर तक जेठ मेरे काली काली नुडल्स जैसी घुघराली झाटो में अपना हाथ सहलाते रहे, फिर मुंह लगाकर मेरी चूत पीने लगे।आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…अई..अई..अई….अई..मम्मी…..” मैं चिल्लाई।

जेठ जी मजे से मेरा लाल लाल भोसडा पीने लगे। मेरे चूत के दाने को वो मजे लेकर चूस रहे थे जैसे उन्हें कोई खट्टा निम्बू चूसने को मिल गया है, बिलकुल ऐसा ही लग रहा था।

इधर मुझे भी काफी मजा मिल रहा था, क्यूंकि मेरे पति कभी भी मेरी चूत नही पीते थे। इसलिए आज रात मैं भी फुल ऐश कर रहे थी। मेरे जेठ जी का सर तो मेरी चूत में अंदर घुसा ही जा रहा था।

…मम्मी…मम्मी….सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” मैं चिल्ला रही और सिसक रही थी।फिर जेठ ही मेरे चूत के दोनों तरफ के गुलाबी गुलाबी होठो को दांत से काटने लगे।

मैं तो अपनी गांड ही उठाने लगी। मैं पागल हो रही थी। मुझ पर चुदाई का जूनून धीरे धीरे चढ़ रहा था। जेठ जी की इन हरकतों के बाद तो अब मेरा भी दिल कह रहा था की मैं आज रात उसने खुलकर चुदवा लूँ और गांड मारवा लूँ।

जेठ की जीभ मेरी चूत के अंदर छेद में घुसी जा रही थी। मैं पागल हो रही थी। हाँ आज मैं खुद अपने जेठ से कसकर और खुलकर चुदवाना चाहती थी।

एक गैर मर्द से चुदवाने वाला मेरा सपना आज पूरा होने वाला था। जेठ बेतहासा मेरे चूत के दोनों होठो को दांत से पकड़कर काट रहे थे। मेरी चूत में वासना और काम की अग्नि जल चुकी थी।

ये सच है की अब मैं बिना चुदवाए नही रहने वाली थी। फिर मेरे ७ फुट के हट्टे कटटे जेठ ने अपना १२” का मोटा लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया और एक झटका जोर से अंदर चूत में मारा।

उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह..” मैं चिल्लाई और मैंने जेठ जी को बाहों में भर लिया।वो अपने ९” मोटे लौड़े से मेरे चूत में गहरे धक्के मारने लगे।

मैं आज एक गैर मर्द से चुदने लगी और मजा मारने लगी। जेठ ने मुझे बाहों में भर लिया था। वो तो सदमे में थे और मुझे अपनी चुदकक्ड बीबी दीपिका ही मान रहे थे।

उनका लंड बहुत जादा मोटा था, मेरे पति से भी जादा मोटा।ये मुझे अपनी रसीली चूत में साफ़ साफ़ महसूस हो रहा था। मैं भी जेठ जी को दोनों बाँहों में अपने मर्द की तरह पकड़ लिया था और पका पक चुदवा रही थी।

मैंने अपनी दोनों टांगो को अच्छे से खोल रखा था और जिससे जेठ ही अच्छे से मुझे चोद सके और उनका मोटा लंड आराम से मेरी चूत में जा सके।

धीरे धीरे जेठ का लंड सट सट मेरी चूत में फिसलने लगा और मुझे जन्नत का मजा मिलने लगा।उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो|

मैं बार बार किसी पगली की तरह चिल्ला रही थी। जेठ जी मुझे फट फट चोद रहे थे। मेरी चूत की अच्छी कुतैया हो रही थी। मैं आज एक गैर मर्द से चुद रही थी और जन्नत के मजे लूट रही थी।

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पागल जेठ जी ने मेरी गांड फाड़ी दी - Antarvasna

जेठ जी का वेग किसी नदी की धारा की तरह बहुत तेज था। वो इतने भारी भारी झटके मेरी रसीली चूत में दे रहे थे की मेरी तो जान ही निकली जा रही थी। मुझे डर था की कहीं मेरी चूत फट ना जाए। सच में ये कमाल का अनुभव था।

मेरे जेठ का मोटा लौड़ा तो जैसे झड़ना तो जानता ही नही था और बस मेरी रसीली चूत की कुतैया करना ही जानता था। मेरे दोनों बड़े बड़े ४०” के चुचे भी जोर जोर से इधर उधर किसी घंटी की तरह हिल रहे थे।

मैं चुद रही थी और अपनी रसीसी बुर में जेठ का मोटा लंड खा रही थी। मेरे जेठ की कमर बार बार मटक मटक कर मुझे पेल रही थी। मैं वासना की आग में जल रही थी और अपने चुतड बार बार उठाकर चुदवा रही थी।

जेठ जी तो किसी अफ़्रीकी मर्द की तरह मुझे चोद रहे थे। मैं जन्नत के मजे लूट रही थी।….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……मैं बार बार चिल्ला रही थी।

उधर जेठ अपना मोटा लंड मेरी चूत के आर पार कर रहे थे। दोस्तों, उस रात मेरे जेठ से मुझे डेढ़ घंटा नॉन स्टॉप चोदा और फिर मेरी रसीली चूत में ही झड़ गये।

इस तरह मैं २ महीने तक जेठ के कमरे में रात में चली जाती और कसकर चुदवाती। २ महीने के बाद वो पूरी तरह से ठीक हो गये। अब जेठ अपनी चुदक्कड़ बीबी दीपिका को पूरी तरह से भूल चुके है।

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