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कमसिन कविता की चूत की गर्मी का इलाज मोटा लंड- Antarvasna sex story

हेल्लो दोस्तों मैं आप सभी का antarvasnastory.net.in में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से इसका नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती जब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ।

मैं उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है। मेरा नाम संदीप है। मै गुजरात में रहता हूँ। मेरी उम्र32साल है। मै देखने में बहुत ही हैंडसम लगता हूँ।

मेरा लंड 8 इंच का है। मेरा कद 5 फ़ीट 9 इंच का है। लड़कियों की फूली चूंची देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जात है। मुझे लड़कियों की मटकती गांड देखने में बहुत मजा आता है। मै चोदने में तो अच्छी अच्छी रंडियों को भी रुला दिया है। मुझे 34,28,36 का फिगर बहुत ही पसंद है।

जब भी मुझे कोई लड़की देखती है मेरा मन उसे चोदने को करने लगता है। पड़ोस की लड़कियां मुझपे मरती है चुदवाने को। कॉलेज के दिनों में भी मैंने कई लड़कियों को पटाकर उनकी चूत को फाडा।

अब अपनी कहानी पर आता हूँ। दोस्तो मैं दिल्ली में जॉब करता हूँ। मैं यहां एक कंपनी में मैनेजर हूँ। यहां कपडे का काम किया जाता है। यहां एक से एक लड़कियां काम करने के लिए आती है। मैं जब भी उनको देखता हूँ तो मेरी नियत खराब हो जाती है।

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कमसिन कविता की चूत की गर्मी का इलाज मोटा लंड- Antarvasna sex story

एक दिन मेरी कम्पनी में एक लड़की आई। उसने मुझसे कहा- “सर यहां कोई जॉब मिलेगी”मेरी तो नियत ही डोल गयी। लंड उसे देखते ही खड़ा हो गया। मेरे सामने एक 26 साल की गोरी लंबे कद की लड़की खड़ी हुई थी।

मै उसे गौर से देखने लगा। वाह क्या मस्त माल थी जिसको देखकर इन्द्र भी अपना होश खो दे। मैंने आज तक ऐसी लड़की नहीं देखी थी। जी करता था उसका रेप ही कर डालूं। उसके दोनो चुच्चे बहुत ही सॉलिड लग रहे थे। मुझे वो पसन्द आ गई। वो खूबसूरती की बला मेरे सामने खड़ी थी।

उसके हाथों में कुछ फाइल वगैरह थी। उसके बाल रेशम जैसे सिल्की सिल्की थे। वो बालो को बिखराये हुए थी। जब भी अपने बालों को आँखों के सामने से हटाती तो मेरा लंड चैन फाड़कर बाहर आने को बेकरार ही जाता।

उसने आँखों में काजल लगाया हुआ था। जैसे नौकरी के लिये नहीं धंधा करने के लिए आयी हो। गालो पर ढेर सारी क्रीम लगाये हुए थी।मैं उसके एक एक अंग को नीचे से ऊपर तक देख रहा था।

उसकी होंठो पर गुलाबी रंग का लिपस्टिक लगा हुई थी। लिप लाइनर तो होंठो पर चार चांद लगा रही थी। उसने काले रंग की सलवार समीज पहनी हुई थी। मै भी उसकी खूबसूरती में डूब गया और मंत्र्मुघ्द होकर उससे बैठने को कहा। वो मुझसे बैठ कर बाते करने लगी।

मै बार उसके चुच्चे को देख रहा था। वो भी समझ गई की ये मुझे चोदना चाहता है। उसकी समीज में चुच्चो में गड्ढा दिख रहा था। मैं उसकी चूंचियो को किसी भी कीमत पर पीना चाहता था। मैने उसे नौकरी पर रख तो लिया।

लेकिन उससे पहले अकेले में अपने साथ मिलने को कहा। वो भी दर दर की मारी लग रही थी। उसने मुझसे मिलने का वादा भी कर लिया। दूसरे दिन रविवार था।
मैने उसे अपने घर का पता देकर आने को कहा।

वो दूसरे दिन 10 बजे तक घर पर आ गई। दोस्तों गुजरात में मै अकेले ही रहता हूँ। मेरे घर के सारे लोग गांव में रहते है। मैंने उसे अंदर बुलाया। कामवाली ने चाय लाकर दी। पीकर हम दोनो बात करने लगे।

कामवाली को भी मैंने खूब चोद कर मजा ले चुका था। आपको भी पता होगा की कोई स्त्री अपनी हो या किसी दूसरे की वो एक बार पसन्द कर ले तो किसी लड़की के साथ देख कर जल जाती है।

ऐसा ही कुछ कामवाली भी कर रही थी। मैंने उससे उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम कविता बताया। मै तो उसके चूंचियो को ही बार बार देख रहा था। मैंने उसे नौकरी के बदले में कुछ अपनी भी मांगे रखी।

मैंने उससे कहा- “मै तुम्हारी जरूरत को पूरा करता हूँ। तुम मेरी जरूरत को पूरा कर दो। उसके बाद मैं तुम्हे नौकरी दे दूंगा” antarvasnastory.net.in उसने पूछा- “सर आपकी कौन सी जरूरत पूरी करनी होगी”

मैं- “हर लड़के की कुछ जरूरत होती है। जो सिर्फ लडकियां ही पूरा कर सकती हैं”
कविता – “मै कुछ समझी नहीं आप कहना क्या चाह रहे हैं” मैंने सब कुछ साफ़ साफ़ बता दिया। “तुम्हे एक रात मेंरे साथ सोना होगा।

नौकरी लेनी हो तो ये तुम्हे मंजूर करना होगा” वो कमसिन कली बार बार मुझे देखती और कुछ बोल नहीं पका रही थी। कुछ देर बाद कविता – “आपने ऐसा सोच कैसे लिया की मैं चुदवाऊँगी। मै कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ”

मै- “तो ठीक है मेरे यहां कोई जगह खाली नहीं है। तुम कही और ढूंढ लो”
कविता – “हाथ जोड़ते हुए। आप ऐसा न करे सर मै बहुत ही मजबूर हूँ”

मै- “अगर तुम एक रात चुदवा लोगी तो कुछ चला नहीं जायेगा। चमड़े का है घिस नही जाएगा। एक दिन चुदवाने से कुछ नही होगा। और तुम जैसे अपने बॉयफ्रेंड से करती हो बस एक ही रात मेंरे साथ भी कुछ वैसा ही कर लो”उसने बहुत ही हाथ जोड़ा मनाया लेकिन मैं नहीं माना।

अंत तक वो चुदने को राजी हो गई। वो शाम को आने का वादा करके बाहर से चली गई। मै शाम का इंतजार करने लगा। बाहर गया और कुछ खाने पीने का सामान लेकर आया। फ्रीज में सब रख दिया।

दोस्तों मेरी सेक्स टाइमिंग हस्तमैथुन करते करते कम हो गई है। जब भी मुझे किसी को चोदने का मौका मिलता है। मैं गोलियां खाकर टाइम बढ़ाता हूँ। मुझे याद आया तो मैं पास के मेडिकल से vigora100 एक टेबलेट लेकर आया। साथ में ही चॉकलेट फ्लेवर का कंडोम भी ले आया।

लड़कियों को चॉकलेट कुछ ज्यादा ही पसन्द होती है। मैं घर आया उसके कुछ ही देर बाद वो खूब सज कर आ गई।पार्लर से लगता था होकर आई है। भौंहे सेट कराकर एक रापचिक माल दिख रही थी।

मेरी तो आज किस्मत खुल गई थी। मैंने उसे झट से घर में अंदर करके कुण्डी बंद किया। उसके कपडे लाइट के सामने आते ही चमचमाने लगे। वो बहुत ही जबरदस्त लग रही थी।

उसने उस दिन लाल रंग की लैगी और डिजाइनर गोल फ्राक पहने हुई थी। मैंने दवा खा ली। उसको भी सारा लाया हुआ सामान खाने को कहा। उसने कुछ नहीं खाई। मैने उसे अपने बेडरूम में जाकर बिस्तर पर बिठाया।

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वो बैठ कर मुझे बहुत ही कातिलाना नजरो से देख रही थी। मैंने उसे पूछा- “कभी तुमने चुदवाया है”कविता – “हॉ लेकिन बहुत दिन हो गया। मेरा एक बॉयफ्रेंड था उसी के साथ मैंने कई बार सेक्स किया है”

मै- “तब से तुम्हारा मन चुदने को नहीं करता था??” कविता – “करता है लेकिन किसी का लंड मुझे पसंद ही नहीं आता। सब का लंड छोटा होता है।

ज्यादा से ज्यादा किसी का 4 तो किसी का 5 इंच का ही होता है। मुझे 8 इंच का लंड पसन्द है। मै बहुत ही खुश हुआ। ये इतना ही सोच रही है। मेरा तो 11 इंच का लंड आज इसकी चूत को फाड़कर इसकी औकात दिखा देगा।

मैंने अपना कपड़ा निकाल दिया। वो शर्मा रही थी। मेरे पैंट खोलते ही मेरा 11 इंच का लंड निकालकर खंभे की तरह खड़ा हो गया। वो मेरे लंड को देख कर चौंक गई।
कविता – “उई मम्मी इतना बड़ा लंड! मैंने तो कभी नही देखा।

 

इससे तो चुदने में और भी मजा आएगा”मै- “आज तुम मुझसे चुदने ना आती तो हमेशा के लिए ये मौक़ा खो देती”इतना कहकर मै उसके पास जाकर उसके बदन पर अपना लंड लगाने लगा। उसने मेरे लंड को छुआ। कहने लगी- “कितना गर्म हो गया है”

मै- “इतना तो कुछ भी नही है। तुमको देखकर इससे भी ज्यादा गर्म हो गया था। कल से आज तक मैं कई बार मुठ भी मार चुका हूँ”कविता मेरे लंड को सहलाने लगी। उसकी चूत में भी खुजली होने लगी।

वो उठ कर मुझसे चिपक गई। मैंने उसे कसकर दबा लिया। उसे दबाते ही वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई। मैंने अपना होंठ उसके होंठ पर रख कर चूमने लगा। उसके माथे को चूमते हुए। उसके होंठो को चूसने लगा।

उसके सिल्की बालो को छूने में बहुत मजा आ रहा था। मैं उसके बालो को सहला कर उसके होंठो को पीने में मस्त हो गया। उसकी साँसे तेज हो रही थी। वो जोर जोर से सांस लेने लगी।

उसकी गर्म साँसे मेरे नाक पर पड रही थी। होंठ को काटते ही वो जोर से “..अहहह्ह्ह्हह स्सीई ई ई इ….अ अ अ अ अ….आहा …हा हा हा” की आवाज के साथ चुसाई करवा रही थी। वो भी मेरा साथ दे रही थी।कविता जोर जोर से सब कर रही थी।

मैंने उसके मुसम्मी जैसी चूंचियों पर अपना हाथ रख कर सारा रस निचोड़ने लगा। उसके मम्मे दिखने में ही टाइट थे। छूने पर एक दम मक्खन की तरह मुलायम लग रहे थे। मैने ऊपर से ही खूब दबाया।

मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। पहली बार मै किसी को अपने घर पर बुलाकर उसकी चुदाई कर रहा था। पहले मैं कम्पनी में ही कही कोने में ले जाकर ठोक देता था। मैंने उसके गले को चुमते हुए। उसको गर्म कर रहा था।

मैंने उसके लंबे से गोल फ्राक को निकाल दिया। अब उसकी चूंचियां सिर्फ ब्रा में बहुत ही रोमांचक लग रही थी। चूंचियो को देखते ही मैं पागल होने लगा। मैंने उसकी ब्रा में ही चूंचियो को चाटना शुरू कर दिया।

पीछे हाथ करके मैंने हुक खोलकर मैंने निकाल दिया। उसके बाद दोनो को अपने हाथो में भरकर खेलने लगा। निप्पल फूलने लगे। मैंने अपना मुह लगाकर दोनो को बच्चो की तरह पीने लगा।

उसके बाद उसने मुझे अपने बूब्स में दबाकर और अच्छे से पीने को कहने लगी।
कविता भी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी गांड को सहला कर उसकी लैगी को निकाल दिया। वो अब पैंटी में ही मेरे सामने खड़ी थी।

मैंने उसकी चूत को देखने के लिए। उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी पैंटी को निकाल दिया। उसकी गांड का किनारा तो दिख रहा था। लेकिन गोरी चूत को देखने के लिए उसकी दोनो टांगो को खोल दिया।

दोनों टांगो को खोलते ही उसकी चिकनी चूत के दर्शन हो गया। उसकी चूत में बहुत ही माल भरा हुआ लग रहा था। मैंने मुह लगाकर चाटना शुरु कर दिया। चूत की दोनो टुकड़ो को मैं मुह में भरकर पीने लगा।

उसकी चूत चूसते ही फूलने लगी। वो सिमट कर बिस्तर को हाथो से कास कर दबा रही थी। धीरे धीरे से “……अ ई…अ ई….अ ई……अ ई….इसस्स्स्स्स्….. ..उहह्ह्ह्ह… ..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज के साथ चूत चटवाने लगी। मुझे बहुत ही मजा आने लगा।

उसकी चूत से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी। चूत के दाने को काट काट कर बहुत ही गर्म कर दिया। वो चुदने को तड़पने लगी। वो मछली की तरह तड़प रही थी। कुछ देर बाद मैने भी अपना लंड उसके मुह में घुसाकर चुसवाने लगा।

वो लॉलीपॉप की तरह मेरा लंड चूस रही थी। कुछ देर तक मैंने अपना चुसाया। उसके बाद कंडोम का पैकेट फाड़ कर अपने लंड पर चढ़ा लिया। चुदाई करने के लिए मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

रगड़ते ही वो जोश से चुदने को बेकरार हो रही थी। दोनों टांगो को अच्छे से खोलकर अपनी उंगलियों से चूत को मसल रही थी। मैने उसके चूत के छेद पर लंड का टोपा रखकर धक्का मारा।

मेरा चिकनाई युक्त कंडोम वाला लंड आधा उसकी चूत में घुस गया। वो जोर जोर से “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” चिल्लाने लगी।

उसकी चूत बहुत दिनों बाद किसी का लंड खा रही थी। मैंने फिर से धक्का मारकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। कमर उठा उठाकर मै उसकी चूत को फाडने लगा।

लंड चूत में लप लप अंदर बाहर हो रहा था। उसकी मशीन से घच पच घच पच की आवाज आ रही थीं। चूत को अच्छे से मै पेलते हुए पूरा लंड जड़ तक घुसाकर चोद रहा था। मेरे लंड के नीचे का थैला दोनों गोलियों सहित उसकी गांड पर लग रहा था। उसे भी मजा आ रहा था।

उसकी चूत का दर्द धीरे धीरे खत्म हो गया। वो भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी। मै हचक हचक कर चोद के थक चुका था। मै लेट गया। कविता चुदाई करवाने में काफी माहिर थी।

उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के छेद से लगाकर बैठ गई। धीरे धीरे मेरा पूरा लंड अपनी चूत में भर ली। उछल उछल कर अपनी चूत में मेरा लंड अंदर बाहर कर रही थी। मेरी कमर पर बैठकर चुदा रही थी।

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कमसिन कविता की चूत की गर्मी का इलाज मोटा लंड- Antarvasna sex story

मैं भी अपना लंड उठा उठा कर छोड़ रहा था। पूरा कमरा उसकी“….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ.. हमममम अहह्ह्ह्हह..अई… अई… अई…..” की आवाज से भर गया। वो जोर जोर से यही आवाज निकालते रही।

वो अपनी चूंचियो को हवा में उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। मुझे उसकी इस तरह की चुदवाई बहुत ही अच्छा लगा। उसके रेशमी बाल भी हवा में उड़ रहे थे।
वो भी थक गई। कविता लंड को चूत में घुसाये ही मेरे ऊपर लेट गई। मैंने उसे उठाकर झुका दिया।

उसके बाद अपने घुटने को मोड़कर उसकी चूत में अपना लंड डाल कर जोर जोर से चोदने लगा। वो किसी घोड़ी की तरह मेरे सामान पर सवारी करने लगी। स्पीड मेरी तो तब बढ़ी जब मैंने उसकी कमर को पकड़कर जोर जोर से आगे पीछे होकर पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में डालने लगा।

वो भी बहुत अच्छे से चुदवा रही थी। कुछ देर बाद वो मेरे साथ ही झड़ गयी। मैं अब उसकी गांड में अपना लंड डाल कर चोदने लगा। वो गांड में लंड घुसाते ही जोर से “आआ आअ ह्हह् ह ह. ….ईईई ईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….” की आवाज के साथ गांड चुदवा रही थी।

गांड चुदाई मै ढंग से कर पाया। हांफ रहा था और अब मेरा लंड भी जबाब दे रहा था। वो भी झड़ने वाला हो गया। मैंने अपना सारा माल उसकी गांड में निकाल दिया। उसके बाद दोनो लोग नंगे ही लेट गए।

मौसम बनते ही रात भर चुदाई का मजा लिया। मैंने उसे रिसेप्शनिस्ट की नौकरी दे दी। अब वो कविता मुझसे पट गयी है। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स antarvasnastory.net.in पर जरुर दे।

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