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होटल में चुदाई का वह यादगार दिन :- hotel sex

नमस्कार, अन्तर्वासना में यह मेरी पहली सेक्स कहानी है और मैं बहुत ही पुराना पाठक हूँ.
अन्तर्वासना की सेक्स कहानियां पढ़ पढ़ कर मैं एक किशोर से जवान बना.

यह होटल में चुदाई मेरी पहली चुदाई की है और एक अत्यंत कामुक लड़की के साथ हुए संभोग की कहानी है.
उस लड़की का नाम नेहा था और वह 2015 का साल था.

उस वक्त सरकारी नौकरी की तैयारी को लेकर मैं पटना में रहता था.

मैं एक 6 फीट लंबा और दुबला पतला गोरा लड़का हूं, जिसकी उम्र का अंदाज आप चेहरे देख कर नहीं लगा सकते.

उस वक्त मेरी उम्र करीब 21 वर्ष की होगी.
जबकि मेरी नायिका नेहा की उम्र 20 वर्ष थी.

नेहा मेरी दूर भाभी की बहन है. वह भी यहीं पटना में रह कर कम्पीटीशन की तैयारी कर रही थी, साथ में पार्ट टाइम जॉब भी कर रही थी.

भैया की शादी के वक्त से ही हम दोनों के मिलने पर ‘हाई हैलो’ चल रहा था.
अपने दिल के जज्बात न वह बोल पा रही थी और न ही मैं!एक बार अचानक वह मुझे स्टेशन पर मिल गई और बातचीत के क्रम में मैंने उससे उसका नंबर मांग लिया.
उसने दे भी दिया.बस फिर क्या था, समय बहुत तेज गुजरा.

दो जवान दिल आपस में मिलने लगे, हम दोनों में प्रेम पनपने लगा, रसभरी बातें होने लगीं और हमारी अन्तर्वासना हिलोरें मारने लगी.

हमारी बात सेक्स को लेकर भी होने लगी और वीडियो कॉल पर हम दोनों एक दूसरे को अपने अंगों की नुमाइश भी करने लगे.

फिर बात जल्द ही कमरे में आने तक पहुंच गई, जो नियमत: प्रेम का सबसे उत्तम और अतिमहत्वपूर्ण पड़ाव है.

नेहा बहुत ही खूबसूरत लड़की है, इतनी ज्यादा सेक्सी … जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
मासूम सा चेहरा, हिरनी जैसी आंखें, थोड़ी से चपटी सी नाक जो उसके गोल गोल मुख को और सुंदर बनाती है.

एकदम से लालिमा लिए हुए होंठ, उभार के साथ कड़े स्तन, जो बिल्कुल गोल गेंद के आकार लिए हुए!
थोड़ा भरा हुआ जिस्म, बहुत ही गहरी दरार के साथ बाहर को निकले हुए जबरदस्त गोल गोल चूतड़, जो जींस पर अपनी फिटिंग से सबके नेत्रों को स्वतः ही आकर्षित कर लेते.

उसकी मोटी जांघें और सबसे खूबसूरत … उसके कपड़े पहनने का अंदाज.

मित्रो, लड़की कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो, यदि वह ढंग से कपड़े न पहनें … तब खूबसूरती सिमट जाती है और यदि ढंग से पहने तो खूबसूरती निखर जाती है.
यहां तक की नाखूनों के नेल पेंट भी बहुत ही आकर्षक दिखते थे.

सिर्फ प्राकृतिक ही नहीं बल्कि उसे मानव निर्मित चीजों के संपूर्ण उपयोग का ज्ञान था.
जिन लोगों ने काम का आनन्द लिया होगा, वे जानते होंगे कि ढंग से कपड़े निकालना भी अपने आप में एक संपूर्ण अहसास होता है.

पुरुष भले लड़की को नंगी देखना चाहे, पर जो प्रेम या खूबसूरती कपड़ों में दिखती है, वह नंगी देखने में कहां!

और शृंगार तो नारी का सर्वोत्तम हथियार होता है.

वह दिखने में बॉलीवुड अभिनेत्री श्रद्धा कपूर जी के जैसी थी.

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जब हमारा मिलन यूं ही एक होटल के कमरे में हुआ, तब उसकी आंखों के चुम्बन से शुरू हुआ हमारा प्रेम … एक दूसरे के होंठों से होता हुआ आगे बढ़ता चला गया.
यह प्रगाढ़ चुंबन हमारे प्रेम को प्रमाणित कर रहा था.

धीरे धीरे मैंने अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाना शुरू किया.
प्रेम में उसका समर्पण ही कहिए कि उसने धीरे धीरे मेरी शर्ट और बनियान को अलग करके मेरे सीने पर उभरे एक निप्पल को मुँह में लेकर जबरदस्त तरीके से चूसने लगी.

जब तक मैं उस प्यासी लड़की की शर्ट को उतार उसकी 34 नंबर की काली ब्रा के बीच अपना मुँह डाल कर चूसने चाटने लगा.

फिर उसकी ब्रा उतरने के साथ ही अचानक से मेरी वासना मेरे ऊपर पूर्ण रूप से हावी हो चुकी थी और मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में लेकर जोर से काट ली.

उसकी मदभरी सिसकारी निकल गई- आह प्यार से काटो न!
यह सुन कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे पीछे पलट दिया और अपनी छाती उसकी पीठ से सटा दी.

उसी दरमियान मैंने अपना लंड उसकी भारी गांड की दरार में कपड़े के ऊपर से ही सटा दी और लंड रगड़ने लगा.

मुझसे मेरी ठरक सहन ही नहीं हुई और जल्द ही मेरे लौड़े से वीर्य का पतन मेरे अंडरवियर के अन्दर ही हो गया.

परंतु वासना खत्म होने के बाद भी प्रेम चलता रहता है या और अधिक हो जाता है, इसका अहसास उस समय हो गया था.

तनिक सी देर रुकने के बाद वापस चुम्मा चाटी, चूची की चुसाई के बाद जल्द ही मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया.
उसने भी मेरे सब कपड़े निकाल दिए और मेरी चड्डी से ही मेरे गीले लंड को पौंछ दिया.

फिर मैंने उसे पीछे करते हुए उसकी नर्म नर्म गांड में अपने दांत गड़ा कर काट लिया.
वह भी काम रस में डूबी हुई चिहुँकी- आह आह!

उसकी कामुक आवाज निकली तो वापस से मेरी वासना चरम पर आ गई.

बस फिर क्या था, अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ पढ़ कर जो ज्ञान हासिल किया था, उसी को याद किया और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखने का दिमाग चल गया.

मैंने तुरंत अपना लंड उसकी बुर के ऊपर रखा.
उस वक्त लंड चुसवाने का या चूत चूसने का ख्याल ही नहीं आया.

फिर जैसे ही पहला धक्का मारा, लंड थोड़ी सी कठिनाई के बाद लंड बुर के कुछ अन्दर तक चला गया.
उसकी आंखों से आँसू बरस रहे थे पर होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी.

उसने आंखें खोल मुझसे आंखों ही आंखों में कुछ कहा … और मैं उस रसभरी चूत में डूबता ही चला गया.

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फिर से सेक्स कहानी के अनुभव का इस्तेमाल कर मैं उसे गंदी गंदी गालियां देने लगा.
मैं बोला- साली, आज तेरी बुर के बाद तेरी मचलती गांड भी फाडूंगा रण्डी!

वह भी मेरे पीठ पर नाखून लगाती हुई बोलने लगी- मेरे राजा जी, जैसे मन करे, वैसे रगड़िए. मुझे अपना बना लीजिए और बस मेरे हो जाइए. गांड का क्या है, जब मन आए, तब मार लीजिए.
उसकी इस बात ने मुझे आनन्द विभोर कर दिया और मैंने अपनी कमर को हल्के हल्के से चलाना चालू कर दिया.

कमर से कमर जुड़ी हुई थी.
नेहा ने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा कर मेरे चूतड़ों से जरा सा नीचे कस दी थीं.

अब मेरी कमर चलती तो लंड उसकी चूत में आगे पीछे सरकने लगता.

वह भी मस्त हो रही थी और अपनी टाइट चूत को ढीला करवा रही थी.

तभी खुद ब खुद मेरे मुँह में उसका एक दूध आ गया और मैंने उसके चूचे को अपने होंठों से दबा कर जोर से खींच लिया.

‘आह आह और जोर से चूसो आह मजा आ रहा है.’

मैं उसके दोनों दूध बारी बारी से खींचते हुए चूसने लगा और उसकी चूत से रस टपकने लगा.
वह झड़ गई थी लेकिन लंड पर झांट बराबर भी असर नहीं हुआ था क्योंकि एक बार उसका रस निकल चुका था.

अब चूत गीली हो गई थी तो लंड सटासट अन्दर बाहर चलने लगा था.
कुछ ही देर में मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी तो नेहा भी दुबारा से यौन संघर्ष करने लगी.

जल्द ही तेज रफ्तार ने हम दोनों को चरम सीमा पर पहुंचा दिया था और धकापेल बेरोकटोक अपनी द्रुत गति से चल रही थी.

इसी तरह एक दूसरे से लिपटे कब हम दोनों चरम को प्राप्त कर गए, पता भी नहीं चला.
लंड निकलने के बाद देखा तो उसके मुँह पर थोड़ा सा खून लगा था, जो हमारे प्यार का रंग था.

नंगी गर्ल चुदाई से लंड से निकला सफेद रस उसकी चूत के अन्दर जा चुका था.
फिर उस दिन उसकी फटी हुई चूत की हालत देख मैंने गांड मारने का इरादा त्याग दिया.

होटल में चुदाई कहानी

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शाम तक एक बार और मैंने उसे बाथरूम में फव्वारे के नीचे ले जाकर बाथरूम के फर्श पर लिटा कर चोदा.
ज्यादा अनुभव नहीं होने के चलते मैं उसे घोड़ी बना कर मजा नहीं ले पा रहा था.

नीचे गर्म जिस्म एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था थे और ऊपर से ठंडे पानी की फुहारें हम दोनों को अति आनन्द पहुंचा रही थीं.
ऊपर से दो बार वीर्य पतन के बाद तीसरी पारी काफी देर तक चलती ही रही.

हमने एक दूसरे को हर जगह चूमा, चाटा, गुदगुदी की और जम कर चुदाई की.

अंत में उसने मेरे सीने के दाने को चूसते हुए अपने हाथों से मेरे 7 इंच के लौड़े की मुठ मारनी शुरू की. बीच बीच में वह मेरे लंड को अपनी गांड में भी सटा देती.

फिर वह मुझसे लंड को अपने दोनों चूतड़ों के बीच में घुसा कर रगड़ने को बोली, तब जाकर मेरा लावा फूटा.

इसके बाद मुझे काफी सुस्ती छा गई.
उसने ही मेरा बदन तौलिया से पौंछा और धीरे धीरे मेरे पैर हाथ और पूरे बदन को दबाने लगी.

थकान ने दोनों को नशे में चूर कर दिया था.
उसके बाद एक एक पैग वोदका पी कर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे में समा कर सो गए.

इस तरह हमारी चढ़ती जवानी की वासना युक्त प्रेम की कहानी का पहला पड़ाव पार हुआ.

आशा है कि आपको यह होटल में चुदाई कहानी पसंद आई होगी.

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