लंड खड़ा कर देने वाली चुदाई की कहानी – Antarvasna
Antarvasna : नमस्कार दोस्तों ,मेरा नाम संतोष है| हर दिन जब रात होता है तो हम सभी लड़कों के लंड खड़े हो जाते है| और जब कोई चूत हमारे पास नही होती तो बस हाथ का ही सहारा रहता है| पर सूखे सूखे क्या हाथ मारना|
कोई मस्त कहानी तो बनती है| इसलिए दोस्तों,antarvasnastory.net.in पर कई सालों से सेक्सी कहानी पढ़ने के बाद आज मैं भी आपक सभी को अपनी सेक्सी कहानी सुना रहा हूँ|
दोस्तों, मैं नया नया जवान हुआ था| सिटी मोंटेसरी स्कूल में साधना मिस हम सब बच्चो को पढाती थी| मैं में पढ़ रहा था, पर चुदाई और मैथुन क्या होता है, ये मैं जान गया था| साधना मिस हम बच्चो की क्लास टीचर थी|
वो काफी बुड्ढी थी| १० १५ साल से वो पढ़ा रही थी| साधना मिस की मैं बहुत इज्जत करता था| वो मुझे हर टेस्ट में गुड देती थी, क्यूंकि मेरे साले जवाब सही होते थे| मेरे कुछ दोस्त मुझे गंदी फिल्मे दिखाते थे|
चूत चीज़ क्या हैआप गांड लीजिए part 1- Antarvasna
मैं उस समय नादान था, पर दिल में ख्वाहिश तो थी ही की काश कोई लड़की मेरी गर्लफ्रेंड बन गए| कुछ महीनो बाद जुलाई आई तो साधना मिस से अपनी लड़की मुस्कान का नाम मेरे ९ क्लास में लिखवा दिया|
चूँकि मुस्कान मिस जी की लड़की थी , इसलिए वो आगे वाली सीट पर बैठती थी| मैं भी हमेशा आगे वाली सीट पर बैठता था|मैं पढ़ने में होसियार था, वही साधना मैडम की लड़की भी बहुत होशियार थी|
कुछ ही दिन में हम दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी| कई बार वो मुझसे मिलने मेरे घर आती थी| साधना मिस वैसे तो बड़ी सख्त मिजाज थी, पर मेरा रिकॉर्ड अच्छा था, इसलिए मुस्कान को मेरे घर आने देते थे|
वो डरती भी थी क्यूंकि मुस्कान अब जवान हो चुकी थी| एक बार में एक लड़का और लड़की क्लास रूम में चुदाई करते हुए पाये गए थे| तबसे सभी टीचर थोडा डरने लगे थे|
जब मुस्कान का बर्थडे पड़ा तो उसने मुझे अपने घर पर बुलाया| फिर २ महीने बाद मेरा बर्थडे पड़ा तो मैं मुस्कान को बुलाया|उस दिन मैं तो उस पर मर मिटा जा रहा था| गुलाब का फूल लग रही थी |
जहाँ मैं साढ़े ५ फिट का था वहीँ वो ५ फिट १ इंच की थी| अभी अभी नई नई जवान हुई थी| मम्मे भी अब बड़े होकर पक गए थे| अब वो भोगने और चोदने खाने लायक सामान हो गयी थी| हो सकता है|
आप लोग कहे की संतोष कितना चोदू आदमी है, अपनी मैडम की लड़की की ऐसा कह रहा है| पर इसके जवाब में मैं तो कहूँगा की जब लंड खड़ा होता है और फन मारता है तब माँ की माल लगती है|
लंड को तो बस वही ५ इंच गहरा छेद चाहिए होता है| खड़ा लंड तो तब ही बस शांत हो सकता है| सिर्फ बाते पेलने से तो लंड शांत नही होता| इसको तो बस १ छेद चाहिए होता है चोदन के लिए| फिर कैसी मिस और कैसी टीचर|
जब मुस्कान आ गयी तब ही मैं केक काटा| इसमें कोई दोराय नही की मैं उससे प्यार करने लगा था| मैं आज सोच भी लिया था की आज मुस्कान को प्रोपोस मार दूँगा|
मुस्कान का बदन भरा हुआ था, उसी से मैं उसके मस्त भरे बदन का अंदाजा लगा सकता था| जैसा फैशन टीवी पर दिखाते है की लडकियां पतली पतली बांस के खंबे की तरह सिकडी पहलवान होती है|
मुस्कान उस तरह की बिलकुल नही थी| बिलकुल देसी मछली थी| आह उसके चोदने को मैं कबसे बेक़रार था| कितने सपने देखे थे उसके लिए मैंने| पर साधना मिस से मैं बहुत डरता था, मेरी बड़ी फटती थी उनसे|
चूत चीज़ क्या है आप गांड लीजिए part 2-Antarvasna
क्यूंकि बचपन से वो और उनकी डंडी ही मैंने देखि थी| सारे लड़के भी बहुत डरते थे उसने|बर्थडे का केक कट गया तो सब मेहमान फिर से अपनी अपनी मंडली में खो गए| मैंने मुस्कान को अपने बगीचे में ले आया|
एक गुलाब का फूल तोडा और उसको दे दिया|मुस्कान !! आई लव यू!! मैंने कहावो बिलकुल से झेप गयी| कुछ देर तक तो कोई जवाब ना दिया| मैं तो टेंशन में आ गया| क्यूंकि मैं उसे सिर्फ चोदना खाना ही नही चाहता था|
पर प्यार भी बहुत करता था| इसलिए मैं थोडा इमोसनल भी था| कुछ देर बाद मुस्कान हँसी और हाँ में उसने सिर हिला दिया| दोस्तों, मैं इतना खुश हुआ की लगा मैंने दुनिया जीत ली है| लगा मैं बिल गेटस बन गया हूँ |
दुनिया का सबसे आमिर आदमी हूँ| मैं मुस्कान को अपने कमरे में ले आया|वो भी अपनी मर्जी से आई थी| मेरे घर में हर तरह पार्टी चल रही थी| हनी सिंह के गाने बज रहें थे| मेहमान ही मेहमान थे|
मेरे कमरे में मेरी मौसी की लडकियां बैठी थी, मैं उसको बाहर निकला| मुस्कान मेरे साथ अंडर आ गयी| वो भी जान गयी थी की हम दोनों कुछ ना कुछ करेंगे| अंदर आते ही मैंने प्यार से मैं उसको कभी कभी बेबी भी कह देता था|
को सीने से लगा लिया| हम दोनों लिप लोक होकर किस करने लगे| मुस्कान बड़ी ही मासूम थी, जरा भी चंट नही थी| बड़ी सीधी लड़की थी तभी मुझे उससे इश्क हुआ था|
मैंने मुस्कान को बाँहों में भर लिया, उसके होठों पर गर्म गरम चुम्बन लेने लगा| पहली बार किसी लड़के के होंठ पी रहा था| बड़ी बात होती है ये|बेबी के होठ पीते पीते हम दोनों गरम हो गए|
मैंने बेबी की आँखों में बस झाका और मुझे जवाब मिल गया| यही तो प्यार में होता है, बात करने की जरुरत ही नही होती| सारी बातें बस आँखों आँखों में ही हो जाती है| वो भी चुदने को अपने मन से तैयार थी|
बेबी ने पिंक रंग की कुर्ती पहन रखी थी| बिलकुल घर का देसी लाग लग रही| मैंने उसके पुरे बदन को बाहों में भर लिया और हर जगह सहलाने लगा| उसकी, कंधे, पीठ पर मेरा हाथ गया|
फिर उसकी कमर पर मेरा हाथ गया| और फिर उसके हिप्स पर मेरा हाथ गया| भरे भरे गोल गोल हिप्स को छूते ही मेरे दिल ने कहा रोज रोज मुस्कान तो तुमको मिलेगी नही पंकज|
मौके का फायदा उठाओ और इस कच्ची कली को चोद लो| वरना कल किसने देखा है| कहीं साधना मिस किसी और स्कूल में पढाने चली गयी तो|बस मैंने मुस्कान को अपने बेड पर घसीट लिया|
वो भी चुदासी थी और कोई नु नुकर उसने नही किया| मैं भी उसके बगल लेट गया| चुदाई की सुरवात चुम्मा चाटी से हुई| काफी देर तक तो चिपका चिपकी चली| आँखों के इशारे में चुदाई का संकेत हो गया|
मैंने खुद मुस्कान की गुलाबी कुरती को उतार दिया| जैसे जैसे उसके बदन से एक एक कपड़ा निकलता गया बेबी भव्य रुपए के दर्शन होते गए| अंत में वो अपने आलसी प्राकृतिक रूप में आ गयी|
वो लड़की अपने असली भव्य रुप में आ गयी| वो वस्त्रविहीन हो गयी| मैं भी कपड़े निकाल दिए| बेबी के रूप को मैं निहारता रह गया| छरहरा इकहरा बदन आज कल की छोकरियों के बिलकुल विपरीत |
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जो फास्ट फ़ूड खा खाके मोटी और भद्दी हो जाती है| मेरे सामने उसका नया नया यौवन से परिपूर्ण बदन खुला हुआ था| मुस्कान के चेहरे पर नूर ही नूर झलक रहा था, उसकी मासूमियत की खूबसूरती|
उसके कुंवारे होठ जिसको अभी तक किसी लड़के ने नही पिया था|उसके उभरे चिकने चुच्चे जिसके चूचकों पर १० रुँपये के सिक्के की साइज़ के काले घेरे थे| जिसको अभी तक किसी से नही चखा था|
बार बार मैं मुस्कान के चेहरे को चूमने लगा| मन तो हुआ की इसकी मासूमियत को नष्ट ना करू| इसको ना चोदू| ऐसे ही काम चला लूँ, पर इस महापापी लंड का क्या करता| इसको तो ४ इंच का छेद चाहिए ही ना|
ये मेरी बात ना सुनता| इसलिए मैं चुदाई की दिशा में बढ़ गया| सबसे पहले बेबी के दोनों गुलाबी कुंवारे होंठों को पी कर उनकी सारी लाली चुरा ली| जैसे मधुमखी फूल पर बैठ कर उसका सारा नूर सारा पराग चुरा लेती है|
मेरे हाथ लगातार उसके चुच्चों पर लगातार गश्त लगा रहें थे जैसी पुलिस रात में पुरे शहर में गश्त लगाती| बेबी के इस भव्य रूप के मैंने आज पहली बार दीदार किया था|
स्कूल ड्रेस में तो वो मुझे हमेशा बहन जी टाइप की लगी थी पर आज ऐसे उसके खुले नग्न रूप में वो मुझे आदर्श प्रेयसी लग रही थी|मैंने पूरी तरह से उसको अपने में भर लिया| उसके सिर को मैंने प्यार से पकड़ लिया |
उसके सिक्के जैसे काले घेरों को पीने लगा| मुस्कान के नंगे बदन की खुसबू मेरे नथुने में चली गयी| मैं बेबी को पूरी तरह से अच्छे से भोगना चोदना चाहता था| कहीं कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहता था|
मैं उसको खुद में लपेट लिया था, रुमाल की तरह वो मुझे सिमट सिकुड गयी थी| साधना मिस से उसके लिए सोने की चैन बनवाई थी| नई नई सोने की चेन उसके गले में बहुत जच रही थी|
एक बार तो लगा की मैं उसके साथ गोवा या कोई पर्यटन स्थल पर आया हूँ और हनीमून मना रहा हूँ| उसकी बगलों में बड़ी बारीक़ हल्के हल्के बाल थे| अभी बेबी पूरी तरह से बालिग भी नही हुई थी |
मैं उसको भोगने जा रहा था| उसने अपने लचीले पतले हाथों से मुझे जकड रखा था|मुस्कान के बदन में बड़ी नवीनता थी| चिकना बदन था जिसको अभी तक किसी से नही चोदा था| मैं उसके दोनों दूध पीने में डूबा था|
इसके साथ ही दूसरे खाली दूध को हाथ में लेकर होर्न की तरह दबा देता था| बेबी चिहुक उठती थी| उसके रूप और खूबसूरती पर मैं आसक्त था| बाहर मेरे जन्मदिन पर मेरे दुसरे दोस्त |
रिश्तेदार और उसके खून चूसूं बच्चे हनी सिंह के गानों पर डांस कर रहें थे| मैं इधर अपनी साधना मिस की लड़की के साथ महा चुदाई की महा पाठशाला लगा रहा था| लहकते, मचलते उसके जिस्म को लेकर |
मैं कहीं दूसरी दुनिया में खो गया था| अब नीचे की तरह बढ़ रहा था, उसका मखमली पेट, उसकी नाभि को मैंने चूम लिया| बेबी खिलखिलाकर हंस पड़ी| नाभि से पेडू से होकर हल्की हल्की बारों की बड़ी महीन बारिक लाइन थी|
जो उसकी बुर तक जाती थी| चीटियों की तरह मैं एक एक बाल को चूमता चूमता मैं बेबी के पेडू पर आ गया| फिर बुर पर आ पंहुचा जैसे अंग्रेज सोने की तलाश करते करते भारत आ पहुचे थे|
बेबी की बुर पर हल्की हल्की झांटे थी| उसकी चूत की तरह उसकी झांटे भी अभी कुंवारी थी| मैंने अपना सिर उसकी झांटों के बादल में डाल दिया और कहीं खो गया| मैंने अपना मुह उसकी झांटों में छिपा लिया |
जैसे जब मासूम छोटा बच्चा अपनी माँ से रूठ जाता है तो घर में कहीं किसी कोने में छिप जाता है| हम दोनों प्रेमी प्रेमिका का चुदाई का बड़ा मन भी था, समय भी था , मौका भी था और दस्तूर भी था| अब तो चुदाई होनी लाजमी थी|
हम दोनों एक दूसरे में पति पत्नी की तरह समा गए थे| मुस्कान को आज इस तरह पाकर मैं खुद को बिल गेट्स जितना अमीर समझ रहा था| मैंने झांटों को बीच से अपनी उँगलियों से हटाया तो चूत मिल गयी|
मैं पीने लगा,हल्का नमकीन स्वाद मेरे मुह में आया,बेबी के चेहरे की भाव भंगिमांए बदने लगी| मैं लपर लपर करके उसकी चूत पीने लगा| मैंने अपना लंड उसके भोसड़े पर रख दिया और धक्का मारा|
कई दफा लंड इधर उधर भाग गया| मैंने उसकी दोनों जाँघों को पकड़ा, लंड को रिसेट किया और अंडर पेला| उसकी कुंवारी पवित्र सील टूट गयी| मैं बेबी को चोदने लगा| उसके सायद बिठाये वो निजी पल सायद बड़े खास थे मेरे लिए|
कुछ देर बाद वो चूत का छेद खुल गया| मैं सहजता से अपनी जानेमन को लेने लगा| वो मुझसे लिपट गयी थी , जैसी मुझे अपना पति, अपना दिलबर मान चुकी थी| मैं उसे घपाघप पेल रहा था|
कभी उसे दर्द होता कभी नही, पर नए नए चूदाई का सुख तो मेरी बेबी उठा रही थी| उसकी नाजनीन पलकें कभी गिरती, कभी उठती, कभी उसकी भौहे फैलती, कभी सिकुड़ती|
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मैं भवरे की तरह, किसी मधुमख्खी की तरह बेबी का सारा नूर , उसका सारा पाराग लूट रहा था| फिर कुछ पलों बाद मैंने अपना अमृत बेबी की आत्मा में छोड़ दिया| हम दोनों प्रेमी प्रेमिका आज एक हो गए|
हम दो जिस्म थे, पर आज एक जान हो गए| हम दो शरीर थे, पर आज चुदाई के बाद हम एक आत्मा हो गए| मैं भी इधर पूरा हो गया, बेबी भी उधर आज चुदकर सम्पूर्ण नारी हो गयी|
समय से पहले ही उसे चोदकर मैंने उसके यौवन की कलि को फूल बना दिया| फिर हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और बाहर आ गए| अभी भी पार्टी चल रही थी|
हनी सिंह का ‘ आंटी पुलिस बुला ले गी, फिर पार्टी यूँ ही चलेगी’ ये गाना अभी भी बज रहा था| मेरी और बेबी की पार्टी को पूरी हो चुकी थी|दोस्तों, जिस बात का डर था वही हुआ, साधना मिस के पति को कहीं सरकारी नौकरी मिल गयी |
वो हमारा स्कूल छोड़ के चली गयी| मेरा प्यार मेरी मुहब्बत मुस्कान भी उसके साथ चली गयी| मैं बहुत रोया, कई दिन मैंने खाना नही खाया| पर मैं मजबूर था| आखिर में क्या करता|
मेरी मुहब्बत बेबी चली तो गयी पर उसका प्यार आज भी मेरे दिल में जिन्दा है और हमेशा जिन्दा रहेगा| अगर आपको मेरी मुहब्बत की दास्ताँ पसंद आई हो तो antarvasnastory.net.in पर अपनी कोमेट्स लिखना ना भूले|