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चुदक्कड़ गर्लफ्रेंड ने गैर मर्द से चूत चुदाई – Antarvasna

Antarvasna: हैल्लो दोस्तों । मेरा नाम चंदन है| मेरी उम्र २४आप लोगों को मेरी ज़िन्दगी से जुड़ी एक घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ। उस घटना को मैंने इस कहानी के रूप में पेश किया है।

भाइयों में उम्मीद करता हूँ कि आप लोग यह कहानी पढ़कर मेरी छिनाल गर्लफ्रेंड को याद करेंगे और उसके नाम की मुठ मारेंगे।मेरी एक गर्लफ्रेंड थी जिसका नाम है संजना उम्र 20।

कुछ दिन पहले ही मैंने उसके साथ ब्रेकअप किया था। ब्रेकअप करने की वजह यह थी कि छिनाल संजना मेरे पैसों से ऐयाशी करती थी और चुदाई किसी और से करवाती थी।

मेरे पिताजी का अपना व्यापार है जिसकी वजह से मुझे पैसों की कोई परवाह नहीं है। मैं अपने पिताजी के पैसों से संजना की हर इच्छा को पूरी करता था। इसके बावजूद संजना ने मुझे कभी उसे चोदने नहीं दिया।

इंजीनियरिंग कॉलेज में हमारा एक ग्रुप है जिसमें मैं और संजना को छोड़कर ४ लोग है। हम सब अच्छे दोस्त हैं और कॉलेज में खूब मस्ती भी करते हैं। हमारे ग्रुप में हाल ही में संतोष (उम्र २४) शामिल हुआ था।

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इस कुत्ते संतोष के साथ ही संजना को मैंने चुदाई करते देखा था। जबसे संतोष हमारे ग्रुप में शामिल हुआ था तबसे ही उसकी गंदी नज़र संजना पर पड़ी थी।

मैंने कई बार गुस्से में आकर संजना से पूछा था कि कहीं उसका कोई चक्कर तो नहीं चल रहा संतोष के साथ। लेकिन उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

ग्रुप में तो संतोष और संजना हसी-मज़ाक किया करते थे। इसे मैं कैसे तो भी बर्दाश कर लेता था। मगर मैंने संजना को काफी बार संतोष के साथ चैटिंग करते देखा था।

मैं और संजना जब अकेले होते थे तब भी संजना संतोष के साथ ही चैटिंग किया करती थी। मुझे देखना था कि संजना और संतोष के बिच में ऐसी क्या बातें होती हैं जिसकी वजह से संजना मुझे नज़रअंदाज़ करने लगी थी।

एक दिन मुझे किसीने बताया कि संजना और संतोष अब कॉलेज के पीछे वाले जंगल में साथ जाने लगे थे। इस जगह कॉलेज के कपल्स अक्सर छिपकर एकांत में चुदाई करने जाते थे। मैंने इस बात को अफवाह समझकर टाल दिया था।

जहाँ तक मैं संजना को जानता था, वह इस तरह की लड़की नहीं थी। यह बात बताने वाला मेरा दुश्मन था। जाहिर है कि मेरा दुश्मन मेरी गांड में चिंगारी फ़ूँकेगा।

फिर थोड़े दिन बाद मुझे जंगल में जाने वाली बात तो नहीं, लेकिन संजना और संतोष कॉलेज के बाद साथ घूमते है, यह बात सुनने को मिली।कॉलेज के बाद वैसे भी मुझे क्रिकेट खेलने जाना होता है

इसलिए मैं संजना के साथ नहीं घूमता था। मुझे इतना तो पता था कि संजना अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से निकलती है और फिर उनके साथ घुमकर अपने घर जाती है।

प्यार में शक होना तो ज़ाहिर-सी बात है, इसलिए मैंने सोचा कि एक दिन कॉलेज में रूककर देखता हूँ। उस दिन से ही संजना को देखकर मेरा खून खौलना शुरू हो गया था।

एक दिन मैं कॉलेज ख़तम हो जाने के बाद कैंटीन में रुख गया था। आधे घंटे के बाद संजना और संतोष कॉलेज से निकले और कॉलेज के पीछे के रास्ते पर चलने लगे। मेरा दिल वह नज़ारा देखकर ही घबरा गया था।

मैंने उन दोनों का पीछा किया और कुछ देर बाद कॉलेज के पीछे वाले जंगल में पहुँच गया। संजना और संतोष एक झाड़ के निचे साथ बैठे थे। मैं उन्हें दिख न जाऊ इसलिए दबे पाँव चलकर उनसे थोड़ा पीछे आकर खड़ा हो गया।

इस जगह पर खड़े रहकर मुझे देखने को यह नज़ारा मिला था – संजना और संतोष का हाथ एक दूसरे की कमर पर थी।संतोष अपने होठों से संजना के गले को चूमकर कुछ बातें कर रहा था|

जिसकी वजह से संजना शर्मा रही थी। संतोष अपने दूसरे हाथ को संजना की जांग पर से सरकाकर चूत के ऊपर लेकर जाता और संजना उसके हाथ को हटा देती।

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थोड़ी देर ऐसे ही बातें करने के बाद संतोष ने अपनी जेब से एक छोटा-सा पैकेट निकाला। उस पैकेट को देखकर संजना ने अपना मुँह संतोष के सीने पर रख दिया।

संतोष ने संजना की कमर पर से हाथ निकालकर संजना की गांड पर रख दी और उसे सहलाने लगा।संजना ने संतोष की पैंट की ज़िप उतारदी और अपनी हथेली को अंदर घुसा दिया।

अंदर से संतोष का लौड़ा बाहर निकालकर उसके साथ खेलने लगी। संतोष भी मस्त होकर अपना हाथ संजना की कमर पर से हटाकर उसकी गांड पर रख दिया।

थोड़ा सहलाने के बाद संतोष ने संजना की पैंट के अंदर अपना हाथ घुसाया और उसकी गांड को दबाने लगा।शायद संतोष संजना की गांड की छेद में अपनी उंगली घुसा रहा था इसलिए संजना खिलखिला उठी।

संजना और संतोष एक दूसरे की होठों की चुम्मियाँ लेने लगे। कामुकता की वजह से दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगे।संजना ने संतोष का लौड़ा हिला-हिलाकर पूरा खड़ा कर दिया था।

संतोष ने संजना की पैंट में से अपना हाथ निकाला और उँगलियों को सूँघने लगा। उसने अपनी उँगलियाँ चाटी और फिर संजना को भी उनका स्वाद चटाया।

संतोष ने अपनी पैंट का बटन खोलकर अपने लौड़े और गोटियों को संजना के मुँह के सामने रखा। संजना संतोष के पैरों पर बैठकर उसका लौड़ा चूसने लगी।

संतोष ने संजना की टी-शर्ट के अंदर अपना दोनों हाथ घुसाया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।संतोष ने वह छोटा पैकेट संजना को दिया और संजना ने उस पैकेट को अपने दाँतों से खोला।

वह कंडोम था जो संजना संतोष के लौड़े पर चढ़ा रही थी। संतोष के लौड़े पर कंडोम चढ़ाकर संजना खड़ी हो गई।अपनी पैंट का बटन खोलकर उसने अपनी पैंट और चड्डी को घुटनों तक उतार दिया।

संजना की चूत पूरी साफ़ थी। उसने अपनी बिना झाटों वाली चूत को संतोष के मुँह के ऊपर रखा। जैसे कुत्ता हड्डी चाटता है, वैसे संतोष संजना की चूत को चाटने लगा।

संजना संतोष के बाल खींचकर, सिसकियाँ भरकर मस्त हो रही थी। फिर संतोष ने संजना को घुमाकर उसके चुत्तड़ो को फैलाया और उसकी गांड चाटने लगा। संजना संतोष के मुँह पर अपनी गोरी गांड पटकने लगी।

कुछ देर ऐसा करने के बाद संजना संतोष के तनकर खड़े हुए लौड़े पर बैठ गई। अपने हाथों से लौड़े को अपनी चूत पर घिसकर उसे अंदर घुसा दिया।

३-४ बार लौड़े पर उठकर बैठकर संजना ने पूरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर घुसा दिया।संतोष के लौड़े पर संजना अब ज़ोर-ज़ोर से उछल रही थी। संतोष संजना की टी-शर्ट को उठाकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

संजना अब तक किसी से भी चुदी नहीं थी, मुझसे भी नहीं।फिर भी संजना की चूत से खून नहीं निकला तब मैं समझ गया था कि यह इन दोनों की पहली चुदाई नहीं है।

छिनाल साली मेरे पैसों से ऐयाशी करती थी और लौड़ा दूसरे का चुस्ती है।पहले संजना खुद से लौड़े पर उछल रही थी, फिर संतोष ने अपने हाथों से संजना की नंगी गांड को पकड़कर उसे उछालना शुरू किया।

दोनों एक दूसरे की चुम्मियाँ लेते हुए मज़े कर रहे थे।संजना अब घूमकर संतोष के लौड़े पर बैठ गई। उसने अपनी गांड को संतोष की ओर करके उसके लौड़े पर उछलने लगी।

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संतोष ने अपनी उँगली को संजना की गांड की छेद में घुसा दिया था। दूसरे हाथ से वह संजना की चूची दबा रहा था।थोड़ी देर के बाद संतोष ने संजना को घोड़ी बनाकर बिठा दिया।

उसकी गांड को पकड़कर संतोष ने संजना की चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।कुछ देर ज़ोरदार धक्के मारने के बाद संतोष ने संजना की गांड पर अपना लौड़ा चिपका दिया। वह झड़ चूका था।

संतोष उठकर अपनी पैंट ठीक कर रहा था। संजना ने रुमाल से अपनी गीली चूत को साफ़ किया।वह रूमाल देखकर मैंने पहचान लिया था कि वह रुमाल मैंने संजना को भेंट दी थी।

अपनी चूत को उस रुमाल से साफ़ करने के बाद संजना ने उस रुमाल को वहीं फेंक दिया। दोनों ही दुबारा एक दूसरे की कमर पर हाथ डालकर वहाँ से चले गए।

रुमाल के साथ संजना ने मेरे प्यार को भी फेंक दिया था। ऐसी कयामत भरी चुदास कहानी पढ़ने के लिए www.antarvasnastory.net.in  पर बने रहना।

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