फैमिली डॉक्टर ने चूत ने लंड निचोड़ दिया – Hindi Sex Story
Hindi Sex Story : नमस्कार दोस्तों ,घर के आंगन में सारे बच्चे खेल रहे थे और सब लोग बड़े ही खुश थे उनके खेल की आहट से घर का आंगन गूंज रहा था और माहौल रंगीन बना हुआ था मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं बच्चों की तरफ देख रही थी बच्चों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि हमारा बचपन लौट आया हो तभी मैंने अपनी जेठानी से कहा दीदी देख रही हो बच्चे कितनी खुशी से खेल रहे हैं और उनकी खुशी का अंदाजा लगा पाना इस वक्त मुमकिन नहीं है।
मेरी जेठानी कहने लगी हां सुहानी तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो मैंने उनसे कहा दीदी हम लोग भी बचपन में ऐसे ही खेला करते थे और बचपन में हमें काफी खुशी होती थी मुझे तो बच्चों को देखकर अपने पुराने दिन याद आ गए।
दीदी कहने लगी हां मुझे भी तो अपने पुराने दिन याद आ रहे हैं हम लोग भी तो लुका छुपी खेला करते थे।मैं और मेरी जेठानी आपस में बात कर रहे थे तभी मेरी सासू मां भी आ गई और वह कहने लगी कि चलो तुम लोग दोपहर का खाना बना लो पता है
ना आज घर में मेहमान आने वाले हैं। अपनी कड़क आवाज से उन्होंने हमें यह एहसास दिलाया कि वह घर की मुखिया हैं और हम लोग भी चुपचाप रसोई में चले गए और रसोई का काम करने लगे।
हम लोग अब खाना बनाने में लगे हुए थे और आपस में बातें कर रहे थे करीब दो घंटे बाद हमारे घर पर जो मेहमान आने वाले थे वह भी आ चुके थे और उनका अतिथि सत्कार बड़े ही अच्छे तरीके से मेरी सासू मां ने किया।
वह लोग मेरी सासू मां के पक्ष से ही ताल्लुक रखते थे इसलिए उन्होंने उनका स्वागत बड़े ही अच्छे तरीके से किया और जब हम लोग उनसे मिले तो उन्होंने हमारा परिचय भी करवाया।हम लोगों ने रसोई से खाना लाकर बाहर बैठक में लगा दिया था |
सब लोगों ने साथ में बैठकर भोजन किया बच्चों की छुट्टी थी तो बच्चे भी हमारे साथ ही खा रहे थे। उसके बाद रसोई की साफ-सफाई का काम शुरू हुआ जो कि लगभग 4:00 बजे तक चला 4:00 बजे हम लोग पूरी तरीके से फ्री हो चुके थे |
लेकिन अभी वह मेहमान घर पर ही थे और शाम के करीब 5:00 बजे वह लोग चले गए।मैं और मेरी सासू मां आपस में बात कर रहे थे तो उन्होंने मुझे बताया कि वह मेरे मायके की तरफ से हैं और उनसे काफी सालों बाद मेरी मुलाकात हो रही है।
मेरी सासू मां का भी अपने मायके से पूरा लगाओ है हालांकि उनका कोई भाई नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी वह हमेशा ही अपने मायके जाती रहती थी अब उनके परिवार में कोई भी नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अपने पुराने लोगों से
मेलजोल बनाकर रखा हुआ है।शाम के वक्त जैसे ही राहुल घर लौटे तो राहुल कहने लगे सुहानी मेरे लिए कुछ ठंडा बना दो मैंने उन्हें कहा कि मैं आपके लिए लस्सी बनाकर लाती हूं।
मैंने राहुल को लस्सी दी तो उन्होंने लस्सी पीते हुए कहा सही में आज तो मजा आ गया और इतनी गर्मी में काफी राहत मिल रही है। मैंने उन्हें कहा लेकिन आप इतने पसीना पसीना हो रखे हैं वह कहने लगे बाहर देखो कितनी ज्यादा गर्मी हो रही है |
वह जब मुझे अपने ऑफिस के बारे में बताने लगे तो वह मुझे कहने लगे कि मेरा प्रमोशन भी कुछ दिनों बाद शायद हो जाएगा।मैंने उन्हें कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है वैसे भी इस महंगाई के दौर में इतना बड़ा परिवार चला पाना मुश्किल ही है।
हम लोग संयुक्त परिवार में रहते है और सयुंक्त परिवार में रहने के कुछ फायदे तो हैंलेकिन कुछ नुकसान भी हैं हम लोगों को अपने मर्जी से कुछ करने को नहीं मिल पा रहा था और हर चीज के लिए मुझे सासू मां से पूछना पड़ता था |
जिस वजह से मुझे कई बार लगता कि जैसे हम उनके हाथ की कठपुतली हैं और वह हमेशा ही हम पर रौब जताती रहती थी।मैंने और राहुल ने तो कई बार सोचा कि हम लोग अलग रहने के लिए चले जाएं लेकिन माजी के होते हुए |
ऐसा संभव ना हो सका और हम लोग अभी सब साथ में ही रहते हैं। मैंने राहुल से कहा कि राहुल बच्चों की फीस भरनी है वह कहने लगे ठीक है तुम मुझे बता देना की कितनी फीस भरनी है कल मैं पैसे ले आऊंगा।
मैंने राहुल से कहा ठीक है आप कल पैसे ले आइएगा मैं आपको बता दूंगी की कितनी फीस भरनी है क्योंकि बच्चों की फीस हर महीने बदलती रहती थी इस वजह से अभी तक कुछ सही तरीके से पता नहीं चल पाया था कि इस बार कितनी फीस हुई है।
मैं और राहुल एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते हैं और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार भी करते हैं हमारे प्यार की वजह सिर्फ हम दोनों के बीच का विश्वास है हम दोनों एक दूसरे पर बहुत भरोसा करते हैं।
राहुल ने कभी मेरे भरोसे को टूटने नहीं दिया और ना ही मैंने राहुल के भरोसे को कभी टूटने दिया हम दोनों की शादी को आज 8 वर्ष होने आए हैं लेकिन आज भी हम दोनों के बीच वैसा ही प्यार है जैसा कि पहले था।
मेरी सासू मां राहुल पर बहुत ही भरोसा करती थी और राहुल ही तो घर के लिए ज्यादा पैसे दिया करते थे घर का खर्चा वही चलाया करते थे मेरे जेठ जी की इतनी तनख्वाह नहीं थी इसलिए उनसे ज्यादा उम्मीद कर पाना मुश्किल होता था।
राहुल एक अच्छी नौकरी थे राहुल पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी लग गए थे और उसके बाद से ही उन्होंने घर की जिम्मेदारी का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया था और मुझे भी इस चीज की खुशी की थी |
कि राहुल घर की सारी जिम्मेदारियों को अपना मानते हैं। उन्हें बच्चों से बड़ा लगाव था और एक बार राहुल अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए रोहतक जाने वाले थे राहुल ने मुझे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए रोहतक जा रहा हूं |
यदि कोई भी समस्या हो तो तुम मुझे फोन कर के बता देना।मैंने राहुल ने कहा हां यदि कोई समस्या या परेशानी होगी तो मैं तुम्हें जरूर फोन कर दूंगी। राहुल को घर की चिंता हमेशा ही रहती थी इसलिए वह घर को लेकर चिंतित रहते थे |
हमेशा ही घर के बारे में वह बहुत सोचते थे।राहुल भी अपने काम के लिए रोहतक जा चुके थे और उसी दौरान मेरी बच्ची की तबीयत खराब हो गई मैंने राहुल को फोन किया तो राहुल कहने लगे मैं अभी आ जाता हूं|
फिर मैंने सोचा राहुल को बुलाना ठीक नहीं रहेगा वह अपने काम के सिलसिले में गए हुए हैं। हमारे पड़ोस में ही रहने वाले भाई साहब हैं उनका नाम गौतम मिश्रा है उनकी राहुल के साथ अच्छी बातचीत है
तो मैंने उन्हें जब इस बारे में बताया तो वह कहने लगे अरे भाभी जी कैसी बात कर रही है मैं अभी बच्ची को ले चलता हूं।उन्होंने अपनी कार मे मुझे और मेरी बच्ची को अस्पताल तक पहुंचाया उसके बाद हमने बच्ची को डॉक्टरों को दिखाया |
डॉक्टर ने कहा कि आज बच्ची को यहीं रखना पड़ेगा। उस दिन रात को उसे वहीं एडमिट करवाना पड़ा और अगले दिन सुबह मैं उसे लेकर घर लौट आई राहुल का भी मुझे बार-बार फोन आ रहा था मैंने राहुल से कहा तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक है।
उन्होंने गौतम जी से भी बात की तो वह कहने लगे कोई बात नहीं यह तो मेरा फर्ज था हम लोग एक दूसरे के सुख दुख में काम तो आएंगे ही ना।गौतम जी ने मेरी बहुत मदद की और उसके बाद भी हमारी कई बार मदद कर दिया करते थे।
राहुल अपने काम के सिलसिले मे ज्यादा ही बाहर रहने लगे थे और उन्हें बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था मैं इस बात को समझ सकती थी कि वह कितने ज्यादा बिजी रहने लगे हैं लेकिन मुझे भी यह लग रहा |
कि उन्हें थोड़ा बहुत समय तो मेरे लिए निकालना चाहिए।मैंने राहुल से इस बारे में बात की तो वह मुझे कहने लगे सुहानी बस कुछ समय की बात है उसके बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन मुझे नहीं लगता था|
कि यह कुछ समय की बात है क्योंकि राहुल के पास बिल्कुल भी टाइम नहीं था और हम दोनों के बीच में दूरियां बढ़ती जा रही थी।मेरे अंदर भी कुछ फीलिंग थी जो अधूरी रह गई थी मैं अपनी गर्मी को बुझा नहीं पा रही थी एक दिन मैं घर पर ही थी |
गौतम जी आए हुए थे गौतम जी आए थे तो मेरा पैर अचानक से फिसला और मेरे स्तन उनके मुंह से जा टकराए यह बड़ा ही अजीब था लेकिन इस वाक्या के बाद गौतम की धारणा मेरे लिए पूरी तरीके से बदलने लगी और मैं भी गौतम को चाहने लगी थी।
हम दोनों के दिलों में एक दूसरे को लेकर सेक्स करने की इच्छा जाग उठी थी और हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे। जब हम दोनों एक दूसरे से मिलते तो हम दोनों की नज़रे टकराती और आखिरकार हम दोनों की सहमति बनी गई
जब पहली बार में गौतम के साथ अपने अंतर्वस्त्रों में थी तो मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन गौतम ने मेरे कपडो को उतारते हुए अपनी जीभ से मेरी चूत को चटना शुरू किया तो मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी थी।
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गौतम भी रह नहीं पा रहे थे गौतम ने अपने लंड को बाहर निकाला और मैंने उसे अपने मुंह में समा लिया मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया था।जिस प्रकार से मै गौतम के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी |
उससे मेरे अंदर की बेचैनी और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी और मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मेरी योनि से लगातार पानी निकल रहा था और गौतम ने भी अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया |
अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बड़े ही अच्छे से महसूस कर रहे थे।यह पहला मौका था जब मैंने किसी गैर के साथ संबंध बनाए थे लेकिन मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था |
गौतम ने भी अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था। जब गौतम ने मुझे घोड़ी बनाकर धक्के देने शुरू किए तो मैं और भी ज्यादा बेचैन होने लगी थी और मेरी योनि से पानी निकलने लगा।
मैं अपनी चूतडो को गौतम के लंड से मिलाने लगी थी और मेरी योनि से भी लगातार पानी बाहर की तरफ निकल रहा था और जैसे ही मेरी योनि से कुछ ज्यादा ही गरम पानी बाहर निकलने लगा तो गौतम ने अपने वीर्य को मेरी योनि में गिरा दिया और मेरी गर्मी को शांत कर दिया।