कोरोना काल में जवान कस्टमर को चोदा (Corona Sex Story)
मैं रिश्तो की कहनियाँ अन्तर्वासना पर हमेशा चुदाई की कहानी पढता रहता हूँ। मुझे ये कहानियां बहुत पसंद है। मैं हमेशा से ये सोचता था कई शायद कभी मेरे साथ भी ऐसा कुछ हो जिसे मैं लिख सकूँ। मैंने चुदाई तो बहुत की है पर ऐसा कभी कुछ हुआ नहीं जिसे लिखा जा सके। पर पिछले महीने मेरे साथ एक बहुत हसीं घटना घटी, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता। पता नहीं मैंने गलत किया या सही पर करने में मजा बहुत आया। आइए सीधे आपको कहानी की तरफ ले चलूँ।
मेरा नाम गौतम है और मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र २७ साल है। मेरा रंग गोरा और हाइट पांच फुट ग्यारह इंच है। मैंने जिम में मेहनत कर के अपनी बॉडी बहुत अच्छी बनाई हुयी है। मैं एक फाइनेंसियल बैंक में सेल्स की जॉब करता हूँ। मैंने अपनी स्मार्ट पर्सनालिटी और अच्छी नौकरी का फायदा उठा कर चुदाई का भरपूर आनद लिया है। आज कल मेरी एक सहेली तो ऑफिस की ही है जिसे मैं रोज पेंट्री रूम में चोदता हूँ और वो भी गांड हिला हिला कर चुदवाती है। पर ये कहानी उसकी नहीं है। हम सब जानते पिछले सात महीनो से दुनिया में कोरोना फैला हुआ है जिसकी वजह से करोड़ो लोग बेरोजगार हो गए है। ऐसे मैं हमारे बैंक ने लोगो के लिए लोन की नयी नयी स्कीम्स निकाली है। मैंने अपने फेसबुक पर पोस्ट डाली उन स्कीम्स के बारे में।
अगले दिन मुझे एक औरत का मेसेज आया कि उसे लोन की जरुरत है। मैंने उसे अपना नंबर दिया और कॉल करने को बोला। हमारी कॉल पर बात हुयी। आवाज से लग रहा था कि अभी जवान ही है औरत और उसकी फोटो में भी बहुत खूबसूरत लग रही थी वो। खेर अगले दिन मैंने उसे अपने ऑफिस बुलाया सारे कागजात लेकर। अगले दिन ठीक समय पर वो ऑफिस आ गयी। उसे देखते ही मेरी आँखे खुली रह गयी। सफ़ेद रंग का सूट सलवार। काम से काम ३६ की चूचियां होंगी जो कि टाइट सूट की वजह से ऐसा लग रहा था जैसे जेल में कैद हो। पैजामी भी स्किन फिट थी जिसकी वजह से उसकी गांड और जाँघे अपना साइज खुद ही बता रही थी। सिर्फ मैं ही नहीं ऑफिस के सारे लोंडे उसे ताड़ रहे थे। मैं तो बस उसे देखे जा रहा था और उसने गुड मॉर्निंग बोल कर मेरा ध्यान तोड़ दिया। मैंने भी झिझकते हुए बोलै यस यस गुड मॉर्निंग , बैठिये आप क्या लेंगी।
उसने सिर्फ पानी पीने की फरमाइश की और मैंने चपड़ासी को बुला कर उसके लिए पानी मंगवा दिया। मैंने उसे कागजात मांगे और उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम सुनीता तिवारी बताया। उसके कागजात के मुताबिक उसकी उम्र अठाईस साल थी पर देखने में वो सिर्फ तेईस चौबीस की लग रही थी और ये बात मैंने उसे बोली भी। उसने हंस कर मेरी बात पर अपना रिएक्शन दिया। फिर मैंने उस से उसकी सैलरी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कोरोना की वजह से उसकी नौकरी चली गयी है और पिछले चार महीनो से उसके सर पर बहुत कर्जा चढ़ गया है। उसका उसके पति से तलाक हो गया है और उसके माँ बाप ने भी उसे अपने साथ नहीं रखा। मुझे लगा शायद इसकी ही गलती होगी , पर मुझे उसकी निजी जिंदगी से क्या मतलब। खेर ये सब बातें हुयी तो मैंने उसे बोला ठीक है सुनीता जी एक बार हम आपके घर पर तहकीकात करेंगे फिर कोशिश करते है जो भी हो सके।
अगले ही दिन हम उसके घर चले गए। मेरे साथ दो लोग और थे। घर जाकर पता चला उसकी एक पांच साल की बेटी भी है और उनकी हालत बहुत ही दर्दनिया थी। पर उस दिन उसने सिर्फ टीशर्ट और पजामा पहना हुआ था जिसकी वजह से मेरा ध्यान सिर्फ उसके बदन पर था। मेरा ध्यान ही नहीं गया कि किन मुश्किलों से गुजर रही है वो। खेर उस दिन हम तहकीकात कर के आ गये पर उसका लोन होना बहुत मुश्किल था क्यूंकि उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था। उसी दिन रात में उसका व्हाट्सप्प पर मेसेज आया मुझे और उसने पूछा गौतम जी लोन हो जायेगा ना। मुझे समझ नहीं आया क्या जवाब दूँ तो मैंने बोला सुनीता जी मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा। फिर वो बहुत गिड़गिड़ाई। खेर किसी तरह मैंने उसे समझाया। पर अगले दिन से हमारी रोज काफी बातें होने लगी। बात शुरू होती थी लोन से और ख़तम होती थी पर्सनल बातो पर।
मैंने अपनी पूरी कोशिश की और उसका लोन करवा दिया। अब बस एक आखिरी काम बचा था , लोन के फार्म पर उसके साइन करवाना और उसके लिए सिर्फ एक ही दिन था। मैंने उसे फ़ोन किया ऑफिस आने को। वो बोली गौतम जी बारिश बहुत तेज है और मेरे पास टैक्सी के पैसे नहीं है। अगर आप आ जायेंगे तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी। बारिश बहुत तेज थी और उस दिन मैं कार लेकर नहीं गया था। बाइक थी उस दिने । तो मैंने किसी तरह से सारे कागजात पन्नी में संभल लिए और निकल गया। पंद्रह मिनट में उसके घर पहुँच गया मैं पर पूरी तरह भीग चूका था। सुनीता भी शायद अभी नहा कर ही आयी थी। गीले खुले बालों में आज तो पहले से भी ज्यादा कातिल लग रही थी।
मुझे भीगा हुआ देख कर वो तौलिया ले आयी और बोली आप चेंज कर लीजिये आपके कपडे मैं सूखा कर प्रेस कर देती हूँ। मैंने बोला आपके पास तो सारे लेडीज कपडे होंगे। तो उसने बोला टीशर्ट और शॉट्स पहन लीजिये वो तो लड़का लड़की दोनों का एक जैसा ही होता। वो मुझे तौलिया और कपडे देकर जाने लगी चाय बनाने। जाते हुए पता नई किस तरह उसका मोबाइल निचे गिर गया और वो उसे झुक कर उठाने लगी। उसने गहरे गर्दन की टीशर्ट पहनी थी जिसकी वजह से उसकी चूचियां मुझे साफ़ नजर आने लगी और पता चल गया कि इसने ब्रा नहीं पहनी है। खेर वो तो मोबाइल उठा कर चली गयी पर उसकी चूचियां देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मेरे लण्ड का साइज भी आठ इंच है और जब मैंने कपडे चेंज किये तो लण्ड ने शॉट्स में तम्बू बना लिया।
उसके आने से पहले मैं खड़ा लण्ड किसी तरह छुपाने की कोशिश कर रहा था पर छुपा नहीं पाया। पता ही नहीं चला कब सुनीता रूम में आ गयी और मैं सिर्फ शॉट्स में थे , टीशर्ट पहनी नहीं थी मैंने। पहले तो वो मेरा शरीर देखने लगी और बिलकुल खामोश हो गयी। फिर धीरे धीरे उसकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर गयी जो कि शॉट्स को तम्बू बना चूका था। इसे देख कर वो हंसने लगी और मैं शर्मा गया। वो चाय रख कर बाहर चली गयी और मैं टीशर्ट पहन कर बाहर सोफे पर आ गया। उसने मेरे कपडे मशीन में डाल दिए । कपडे सूखने डाल कर वो मेरे पास आकर बैठ गयी और बोली बताइए कहाँ साइन करने है। मैंने बैग से कागजात निकाले और फिर उसे बताने लगा। वो मेरे बगल में आकर बैठ गयी और साइन करने लगी। मेरा लण्ड अभी भी खड़ा हुआ था और अब तो वो बिलकुल मुझसे चिपक कर बैठी थी।
मैं खुद को रोक न पाया और उसे अपनी बाँहों में जकड कर चूमने लगा। वो मुझे खुद से दूर करने लगी पर मैं रुकने को तैयार नहीं था और लगातार उसे चुम रहा था कभी गालों पर कभी गर्दन पर। उसके बार बार मना करने से भी न रुका और अब तो उसके होंठो को चूसने लगा। मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी , वो बहुत कोशिश कर के भी खुद को छुड़वा न पायी। पर कुछ ही देर मैं मुझे लगा कि अब वो जोर लगाना बंद कर चुकी है और उसने भी मुझे जकड लिया है और अपनी जीभ निकाल कर मेरी जीभ को किस कर रही है। इसके बाद फिर मैं न रुका और सीधे उसकी चूचियों पर हाथ रख कर मसलने लगा। उसने भी मुझे न रोका और अब तो उसके हाथ मेरे बालो में थे और वो भी मुझे चूस रही थी। अब वो भी गर्म ही चुकी थी और मैं भी पुरे जोश में था। मैंने उसकी टीशर्ट के अंदर हाथ डाल लिया और उसकी चूचियां दबाने लगा। उसकी चूचियां सच में बहुत टाइट थी। मैं उन्हें पुरे जोर से दबाने लगा और वो हल्का सा चीखने लगी आआअह्ह आआह्ह्ह और ज्यादा गर्म होने लगी।
हम अभी भी एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे जीभ से जीभ पर किस कर रहे थे और पुरे चेहरे को चाट रहे थे। मेरा लण्ड और तनता जा रहा था अब तो ऐसा लग रहा था कि आजाद नहीं किया तो शॉट्स फाड़ कर बाहर आ जायेगा। मैं बार बार अपने एक हाथ से लण्ड को सेहला रहा था और सुनीता ने शायद ये देख लिया। उसने मेरे हाथ लण्ड से हटाए और दोनों अपनी चूचियों पर रख कर खुद ही शॉट्स के अंदर हाथ डाल कर हिलाना लगी। अब तो साफ़ हो चूका था कि वो अपनी मर्जी से चुदवाना चाहती है। मैंने बिना देर किये उसकी टीशर्ट उतार दी और उसकी गोरी गोरी मुलायम चूचियों का रस पीना शुरू कर दिया। मैंने एक एक कर के उसकी चूचियों को चाटना और खाना शुरू किया। वो और ज्यादा तड़पने लगी और जब भी मैं उसकी चूचियों के दाने को काट ता वो फिर से हलक सा चीखने लगती आअह्ह्ह आअह्ह्ह आअह्ह्ह। दस मिनट तक मैं उसकी चूचियां अपने मुँह में भर के चुस्त रहा और उसके बाद मैंने उसके पैजामे में हाथ डाल लिया और महसूस हुआ उसने पेंटी भी नहीं पहन रही और उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी है।
अब पहले तो मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और अभी भी हम अपने होंठो को शांत नहीं बैठने दे रहे थे और लगातार एक दूसरे को चाट रहे थे। उसका हाथ मेरी शॉट्स में था और मेरा उसके पैजामे में। हम दोनों अपनी चुदाई के हथियार से खेल रहे थे। अब न मुझसे बर्दाश हो रहा था और न ही उस से। अब उसने अपन हाथ बाहर निकाल लिया और मेरा हाथ पकड़ कर भी मुझे रोक दिया। उसने खुद ही मेरी टीशर्ट भी उतार दी और मेरी छाती पर किस करने लगी। अब वो मुझे तड़पा रही थी और मेरी छाती से लेकर मेरी कमर तक चाट चाट कर अपने थूक से गिला कर रही थी। मैंने फिर से अपना लण्ड दबाना शुरू कर दिया और इस बार फिर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और हटा कर खुद ही हिलाने लगी। मुझे चूमते चूमते वो अब बिलकुल निचे पहुँच चुकी थी और अब तो वो पूरी तरह जमीन पर बैठ गयी, मेरे पर फैला कर टेबल पर रख दिए और बिच में बैठ गयी । उसने शॉट्स उतार दी थी और मैं अब पूरा नंगा था।
जमीन पर बैठ कर पहले तो हाथ से मेरा लण्ड सहलाया और अपनी टीशर्ट से साफ़ किया। अब लण्ड हाथ में पकड़ कर पहले लण्ड के आस पास चाटने लगी जैसे कुत्ता चाटता है। मेरा आठ इंच का लण्ड उसने छोटे हाथों में बस आधा ही पकड़ा हुआ था। और धीरे धीरे हिला रही थी। मैं बहुत तड़प रहा था और बार बार उसके बाल पकड़ कर अपने लण्ड के पास उसका मुँह ला रहा था। पर उसने तो जैसे ठानी हो कि मुझे तड़पायेगी। पुरे पांच मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चाट रही और फिर बड़ा सा मुँह खोल कर लण्ड को मुँह में भर लिया। उसके मुँह में जाते ही मुझे ऐसा लगा जैसे में स्वर्ग में आ गया हूँ। अब उसने धीरे धीरे अपना मुँह ऊपर निचे करना शुरू किया और मेरे लण्ड से अपना मुँह चुदवाने लगी। दो तीन मिनट बाद ही इसने स्पीड बढ़ा दी और अब तो ऐसे लण्ड चूस रही थी जैसे लण्ड उसके मुँह में न हो चूत में हो। अब मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी ओह्ह्ह ओह्ह ओह्ह्ह है सुनीता और चूस यार सुनीता ऐसे ही चूस यार। वो दस मिनट तक इसी तरह मेरा लण्ड चुस्ती रही और फिर खड़ी होकर अपना पजामा उतरने लगी।
अब वो बिलकुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी। अभी तक उसने अपने मुँह से कुछ नहीं बोला था, एक दो बार कामुक आवाजे निकाली थी। अभी भी उसने बिना कुछ बोले ही मुझे थोड़ा सा आगे खींचा ताकि वो मेरी गोद में बैठ सके। वो खुद ही मेरी गोद में आकर बैठ गयी और और अपने हाथ से ही मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी। आठ इंच का लण्ड उसकी चूत में इतनी आराम से तो जाता नहीं इसलिए वो खुद ही धीरे धीरे निचे हो रही थी और लण्ड को अपनी चूत में घुसा रही थी। उसने फिर से मुझे होंठो पर चूमना शुरू कर दिया ताकि वो दर्द सेहन कर सके। दो मिनट में उसने अपनी चुत में मेरा लण्ड पूरा घुसवा लिया और कुछ देर ऐसे ही बैठी रही और मुझे चूमती रही। एक मिनट बाद उसने मुझे चूमना बंद किया और मेरी जांघो पर हाथ रख कर सहारा लिया और अब लण्ड पर धीरे धीरे उछलना शुरू किया।
मैंने उसकी गांड पर हाथ रखे हुए थे और उसे उछलने में मदद कर रहा था। कुछ ही देर में सुनीता जोर जोर से मेरे लण्ड पर उछलने लगी और अब उसकी आवाज से पूरी तरह उसकी हवस बाहर आ रही थी। आआह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह आआह्ह्ह्ह आअह्ह्ह आआह्ह्ह और वो मेरे मुँह से भी कुछ इस तरह की ही आवाज निकल रही थी। ओह्ह्ह ओह्ह्ह सुनीता ओह्ह्ह सस्शह्ह्ह ओह्ह्ह्ह सुनीता बहुत मजा आ रहा है यार ओह्ह्ह ओह्ह्। उसने एक हाथ उठाया और मेरे मुँह पर रख लिया और ऐसे ही लण्ड पर उछलती रही। दस मिनट तक ये सिलसिला चलता रहा और फिर वो थक कर मुझपे गिर गयी। मैंने उसे ऐसे ही अपनी गोद में उठा लिया और लण्ड अभी भी अंदर था।
अब मैंने उसे सोफे पर बिठा दिया और उसे अपनी तरफ खींच कर उसके पैर उठा लिए। वो सिर्फ अपनी पीठ तक सोफे पर लेटी हुयी थी और उसकी चूत और पैर हवा में थे। मैंने ऐसे ही अब उसको चोदना शुरू किया। मेरी चोदने की स्पीड कुछ ज्यादा तेज थी और इसलिए अब उसकी आवाज और कामुक हो गयी। आअह्ह्ह आआह्ह्ह गौतम जी आआअह्ह्ह आआह्ह्ह गौतम जी और तेज करो आआह्ह्ह आआह्ह्ह आअह्ह्ह गौतम जी बहुत मजा आ रहा आअह्ह्ह आआह्ह्ह्ह। उसकी टाँगे पीछे हवा में झूल रही थी और चूत ठुक रही थी। उसकी हवस ने उसके हाथ उसकी चूचियों पर पहुंचा दिए और वो जितना तेज चुद रही थी उतना ही जोर से अपनी चूचियां दबा रही थी।
वो झड़ चुकी थी और अब बिलकुल शांत पड़ गयी थी। बस उसने इतना बोला गौतम जी अंदर ही गिरा देना माल अपना। और मैं उसे चोदता रहा जब तक मेरे लण्ड ने हार नहीं मानी। पंद्रह मिनट बाद मेरे लण्ड ने सारा रस उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसकी चूत मेरे लावे से भर गयी। मैंने उसके पैर टेबल पर रखे और ऐसे ही उसके बगल में बैठ गया। पांच मिनट बाद सुनीता होश में आयी और आज शायद उसके चेहरे पर असली हंसी थी। उसने मुझे चूम कर बोला गौतम जी आप मेरी लाइफ में फरिश्ता बन कर आये। अपने मेरी पेसो की भी मदद की और मेरे शरीर की भी जरुरत पूरी की। थोड़ी देर बाद मैंने कपडे पहने और बारिश रुक गयी थी तो कागजात साइन करवा कर वहाँ से निकल गया। दो दिन में उसका लोन पास हो गया और उसके बाद एक महीना हो गया मैं उस से मिला भी नहीं। उसके हमेशा फ़ोन आते हैं पर मैंने कभी उठाया नहीं। पर आज मुझे ऐसा लग रहा बहुत अच्छी औरत है। शायद मुझे उस से शादी कर लेनी चाहिए क्यूंकि मुझे भी उस से प्यार हो गया है।
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