बड़ा लॉलीपॉप चूस चूस कर गांड मरवाई – Gay Sex Story
Gay Sex Story: दोस्तो, मेरा नाम चुमन है और मुझे आप सबका प्यार पाकर बहुत खुशी हुई|आज मैं आपको मेरे आगे की लंड सकिंग स्टोरी बताने जा रहा हूं कि कैसे लकी भैया के दोस्तों ने मुझे अपना शिकार बनाया|
मैं आप सबको अपनी पहली कहानीअंधेरे में लॉलीपॉप चूसा और मलाई खाईमें बता चुका हूं कि ये बात उस समय की है जब मुझे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था|रात के अँधेरे में मैंने अपने पड़ोस के एक भैया लकी का लंड चूसा था|
लकी भैया का लॉलीपॉप चूसने के 4-5 दिन बाद का वाकिया है|मैं लकी भैया के घर गया हुआ था और वहां पर उनके दोस्त अरविन्द भैया आए थे|अरविन्द भैया देखने में किसी हीरो से कम नहीं थे| मैं तो कहूं हीरो भी फेल था|
वो एकदम गोरा रंग का मस्त लौंडे से थे| रितिक रोशन जैसी सॉलिड जिम वाली बॉडी थी|मैं उन्हें देखकर बिल्कुल लड़कियों की तरह शर्मा रहा था तो उन्होंने लकी भैया से पूछा- यह मुझसे इतना शर्मा क्यों रहा है?
लकी भैया ने उससे कहा- यह मेरा खास दोस्त है, इसे मैं बहुत प्यार करता हूं|उन्होंने पूछा- तू इसे कैसा व़ाला प्यार करता है?
लकी भैया ने कहा- जैसा प्यार लड़कियों से करते हैं, मैं इसे वैसा प्यार करता हूं|
ये कह कर लकी भैया हंसने लगे और अरविन्द भैया ने कहा- वाह रे … तेरी तो किस्मत खुल गई| इतना सुंदर माल मैंने आज तक नहीं देखा है|इस पर लकी भैया बोले- अरे नहीं यार, मैं तो मजाक कर रहा हूं| यह पड़ोस में रहता है और मेरा अच्छा दोस्त है|
पर इस बार अरविन्द भैया को उन पर शक हो गया कि लकी झूठ बोल रहा है और उन्होंने बात को वहीं पर छोड़ दिया|लकी भैया ने अरविन्द भैया से पूछा- क्या लेगा?अरविन्द भैया ने कहा- मैं तो चुमन की लूंगा|
इस बार वो दोनों जोर से हंसने लगे|लकी भैया बोले- अगर वो तुझे देता है, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है| अभी ये बता कि क्या पिएगा?अरविन्द भैया ने कहा- मुझे तो कोल्डड्रिंक पीनी है|
लकी भैया ने कहा- ओके तुम बैठो, मैं 10 मिनट में लेकर आता हूं|लकी भैया कोल्ड ड्रिंक लेने के लिए चले गए|अब रूम में मैं और अरविन्द भैया ही थे|मुझे बहुत शर्म आ रही थी|तभी अरविन्द भैया मेरे पास आकर बोले- मुझसे दोस्ती करोगे?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया क्योंकि मुझे अन्दर ही अन्दर शर्म महसूस हो रही थी|उन्होंने मुझसे दोबारा पूछा- कहीं तुम गूंगे तो नहीं हो?मैंने कहा- नहीं|इस पर उन्होंने कहा- थैंक गॉड कि तुम बोल सकते हो|
मैं तो डर ही गया था कि कहीं तुम गूंगे तो नहीं हो| चलो अब बता भी दो कि क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे?मैंने उनसे कहा,आप तो बहुत बड़े हो|अरविन्द भैया ने कहा,लकी भी तो बड़ा है, फिर भी तुम उसके दोस्त हो, तो मेरे क्यों नहीं बन सकते?
मैंने कहा- वह तो मेरे घर के पास रहते हैं और मुझे आपका घर ही नहीं पता कि कहां है?उन्होंने कहा- यदि मैं तुम्हें अपना घर दिखा दूंगा, तो दोस्ती पक्की समझूं?मैंने कहा- हां|फिर उन्होंने मुझसे मेरा फोन नंबर मांगा|मैंने कहा- मेरे पास मोबाइल नहीं है|
उन्होंने कहा- अच्छा तो घर का नंबर दे दो|मैंने उन्हें अपना घर का नंबर दे दिया|फिर हम बातें करने में लग गए|इतने में लकी भैया कोल्ड ड्रिंक लेकर आ गए और हम सब कोल्ड ड्रिंक पीने लगे|
कुछ देर बाद लकी भैया और अरविन्द भैया को किसी काम से बाहर जाना था तो वे दोनों चले गए और मैं भी अपने घर आ गया|अगले दिन दोपहर को अरविन्द भैया का मेरे घर पर फोन आया और उन्होंने मुझसे बात की|
उन्होंने पूछा कि क्या कर रहा है, कैसा है?मैंने कहा- ठीक हूं, फिलहाल कुछ नहीं कर रहा हूँ|अरविन्द भैया ने कहा- मैं तो तुम्हें याद कर रहा हूं, क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आ रही है?मैंने कहा- नहीं तो|
इसी तरह दो-तीन दिनों तक अरविन्द भैया से मेरी बातें होती रहीं|अरविन्द भैया ने कहा- मेरे घर पर आ जा|मैंने कहा- मुझे आपका घर नहीं पता कि कहां है?अरविन्द भैया ने कहा कि मैं तुम्हें लेने आ जाऊं?
मैंने कहा- आप आ जाओगे तब मैं आपके साथ चला चलूंगा|अरविन्द भैया ने कहा- मैं कल दोपहर को 3:00 बजे तुम्हें लेने आऊंगा, तुम्हारे घर पर तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी अगर मैं तुम्हें लेने आऊं तो?
मैंने कहा- नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है|उन्होंने कहा- ठीक है, हम कल मिलते हैं| अब मैं फोन रख रहा हूं, कल फोन करूंगा|मैंने कहा- ओके|अगले दिन अरविन्द भैया का फोन आया|उन्होंने कहा- मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं| तुम रेडी हो न?
मैंने कहा- हां आ जाओ|वो मेरे घर पर मुझे लेने के लिए आ गए|मैंने मम्मी से कहा- मैं भैया के साथ बाजार जा रहा हूं|
मम्मी ने कहा- ठीक है, पर जल्दी आ जाना|हां ठीक है मम्मी|’मैं अरविन्द भैया के साथ बाइक पर चला गया|
कुछ देर बाद मैं अरविन्द भैया के घर पहुंच गया|उनके घर पर उनकी मम्मी और उनकी बहन थी|उनकी मम्मी ने पूछा- यह कौन है?अरविन्द भैया ने कहा- यह मेरे दोस्त का भाई है| वो सब कहीं गए हुए हैं|
तो उसने मुझसे कहा कि थोड़ी देर तू इसे अपने घर पर रख ले| इसलिए मैं इसे अपने साथ ले आया|उनकी मम्मी ने कहा- ठीक है बेटा|उनकी मम्मी ने मुझसे बातें की और मुझे खाने को फल दिए|
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फल खाने के बाद अरविन्द भैया ने कहा- चलो अब हम अपने कमरे में चलते हैं|हम दोनों ऊपर की तरफ चल पड़े| अरविन्द भैया का कमरा छत पर था|मैं अरविन्द भैया के कमरे में आ गया था|
अरविन्द भैया ने टीवी ऑन कर दिया और मुझसे बोले- लकी तुम्हारा दोस्त कब से है?मैंने कहा- वे तो हमेशा से मेरे दोस्त हैं|उन्होंने पूछा- तुम दोनों साथ में होते हो तो क्या करते हो, मतलब कैसे इंजॉय करते हो?
हम दोनों बाजार जाते हैं और वह मुझे कैंडी चॉकलेट और लॉलीपॉप दिलाते हैं| फिर हम घर पर आकर उसे खाते हैं और टीवी देखते हैं|उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हें लॉलीपॉप पसंद है?मैंने कहा- हां|तो उन्होंने पूछा- तुझे लकी कौन सी लॉलीपॉप खिलाता है?
मैंने कहा- मार्केट से मिलती है और एक अंधेरे वाली लॉलीपॉप!मेरे मुँह से निकल गया|उन्होंने पूछा- अंधेरे वाली कौन सी लॉलीपॉप है?मैं चुप रहा, मैंने कुछ नहीं कहा|फिर उन्होंने मुझसे दो बार पूछा- बताओ ना प्लीज?
मैंने कहा- लकी भैया ने मना किया है क्योंकि यह एक सीक्रेट है, इसीलिए मैं किसी को नहीं बता सकता|तब अरविन्द भैया ने कहा- ऐसा थोड़ी होता है, दोस्तों के बीच कोई सीक्रेट नहीं होता| इसलिए तुम मुझे बता सकते हो|
मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं बताऊंगा|तब लकी भैया ने कहा- मैं भी तुम्हें अंधेरे वाली लॉलीपॉप खिलाऊंगा|मेरे मुँह से एकदम से निकला- नहीं, मुझे नहीं खानी … उसमें बहुत दर्द होता है| गला दर्द करने लगता है|
इस पर उन्हें लंड सकिंग वाली सारी बात समझ आ गई|अरविन्द ने पूछा कि लॉलीपॉप खाने से गला कैसे दर्द होता है?मैंने कहा- मुझे नहीं पता वह अंधेरी वाली लॉलीपॉप बहुत बड़ी होती है| वह बहुत देर तक चूसने पड़ती है|
फिर अरविन्द भैया ने कहा- तुमने कितनी बार अंधेरे वाली लॉलीपॉप चूसी है?मैंने कहा कि एक ही बार चूसी है, तब बहुत दर्द हुआ था|इस तरह से मैंने धीरे धीरे सारी बातें बता दीं कि उन्होंने मुझे अंधेरे वाली लॉलीपॉप कैसे चुसाई थी|
भैया ने पूछा- क्या तुमने कभी अंधेरे वाली लॉलीपॉप देखी है?मैंने कहा- नहीं, क्योंकि वह तो अंधेरे में ही निकलती है, तो दिखाई नहीं देती|अरविन्द भैया ने कहा- ठीक है मेरी जान मैं तुम्हें कभी दिखाऊंगा कि यह कैसी दिखती है|
मैंने कहा- पर यह तो रोशनी में खराब हो जाती है|उन्होंने मुझसे कहा- नहीं, जो मैं लेकर आऊंगा … वह खराब नहीं होगी और तुम्हें दिखाई देगी|मैंने कहा- ओके ठीक है भैया|हम दोनों टीवी देख रहे थे|
तभी भैया ने मुझे एक छोटी सी किस की और वो नीचे चले गए|थोड़ी देर बाद अरविन्द भैया वापस ऊपर आए और उन्होंने मुझसे कहा कि एक दिन कहीं बाहर का प्रोग्राम बनाते हैं और हम घूमने चलते हैं|
मैंने कहा- मुझे स्कूल जाना होता है, तो मैं कहीं नहीं जा सकता|उन्होंने कहा- हम संडे को चलते हैं| उस दिन तुम्हारी छुट्टी होती है| हम बहुत एंजॉय करेंगे|तब मैंने पूछा- हम कहां चलेंगे?तो उन्होंने कहा- हम मोटर हाउस में चलेंगे|
मुझे नहीं पता था कि यह क्या होता है तो मैंने पूछा- मोटर हाउस क्या होती है?उन्होंने कहा कि ये खेत में लगी होती है|मैंने पूछा- आपके पास खेत हैं?उन्होंने कहा- हां|मैंने कहा- मुझे दिखाओगे?
उन्होंने कहा- हां वही तो कह रहा हूं कि प्रोग्राम बनाओ, हम दोनों चलते हैं|तब मैंने ओके कहते हुए कहा कि ठीक है भैया … संडे को चलते हैं|उन्होंने मुझे शनिवार को फोन किया और कहा कि हम कल सुबह 9:00 बजे खेत में चलेंगे|
मैंने कहा,ठीक है|तब भैया ने कहा- हम लेट हो जाएंगे, तो घर पर कह देना कि मैं अरविन्द भैया के साथ मैरिज में जा रहा हूं और शाम तक आऊंगा|मैंने कहा- ठीक है भैया|मैंने मम्मी से ऐसा ही कह दिया|
अब अगले दिन हम दोनों गाड़ी में बैठ कर उनके खेत में चले गए जो हिसार से थोड़ी दूर था|भैया मुझे एक कमरे में लेकर गए जहां पर मोटर लगी थी और उसके साथ एक छोटा सा कमरा बना था|वहां पर आसपास कोई मकान नहीं था, सभी दूर-दूर थे|
मुझे वहां बहुत अच्छा लग रहा था|चारों तरफ हरियाली थी, सब कुछ देख कर बहुत मजा आ रहा था| वहां बड़ी सी पाइपलाइन में पानी भी चल रहा था|भैया खड़े हुए और गाड़ी में से कुछ नमकीन निकाल कर ले आए|हम दोनों नमकीन खाने लगे|
तभी भैया ने गाड़ी में से एक दारू की बोतल निकाली और मुझसे कहा- पियोगे?मैंने कहा,नहीं, मैं नहीं पीता|उन्होंने कहा- एक बार पीकर देखो, बहुत मजा आएगा|मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं पियूंगा| मुझे मम्मी मार डालेगी|
तब भैया ने कहा- मम्मी को कुछ नहीं पता चलेगा| थोड़ी सी लेकर देखो|फिर भी मैंने कहा- नहीं|भैया दारू पीने लगे और मैं उन्हें देख रहा था|उन्होंने मुझसे फिर से कहा- एक घूंट ले कर तो देखो, कितना मजा आता है|
उनके बार-बार कहने पर मैंने थोड़ी सी पी ली और मुझे चक्कर आने लगे|अब मैं पूरे होश में नहीं था और मुझे ऐसा लगने लगा जैसे धरती गोल गोल घूम रही है और मैं गिर जाऊंगा|
अरविन्द भैया मुझे छोटे से रूम में लेकर चले गए और वहां चारपाई पर बैठ गए|वो मुझे किस करने लगे|पता नहीं मुझे क्या हुआ| मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था| ऐसा लग रहा था, जैसे मैं जन्नत में हूं| बहुत मजा आ रहा था|
अब वह मेरी गर्दन पर किस कर रहे थे व मुझे बहुत मजे आ रहे थे|मैं उन्हें पीछे करना चाहता था पर नहीं कर पा रहा था|बहुत ज्यादा अच्छा फील हो रहा था|अरविन्द भैया बोले- जिस तरह से तुमने लकी को प्रॉमिस किया है |
कि तुम उसकी बात किसी को नहीं बताओ, उसी तरह से मुझे भी प्रॉमिस करो कि हमारी बात भी किसी को नहीं बताओगे|
मैंने कहा- ठीक है भैया प्रॉमिस करता हूं| मैं कभी किसी को कुछ नहीं बताऊंगा|
भैया ने कहा- ठीक है मेरी जान, आ जाओ एंजॉय करें|मुझे कुछ नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है|अरविन्द भैया ने कहा- मैं तुम्हें अंधेरे वाली लॉलीपॉप चुसवाता हूं और दिखाता हूं कि वह कैसी होती है|मैंने कहा- ओके भैया|
इस पर भैया ने एक बार मेरी आंख पर पट्टी लगा दी और मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था|भैया ने धीरे से मेरे कान में आकर कहा कि तुम्हें इसे जोर-जोर से तब तक चूसनी है … जब तक इस में से मलाई ना आ जाए|
मैंने कहा- पर मुझे अंधेरे वाली लॉलीपॉप से दर्द होता है|इस पर भैया ने कहा- तुम्हें कुछ नहीं होगा मेरी जान|मैंने कहा- ठीक है भैया|भैया ने मुझे अपना लॉलीपॉप पकड़ा दिया|जैसे ही इसे हाथ लगाया, मैं डर गया|यह तो लकी भैया से भी बड़ा था|
मैंने भैया से कहा- यह लॉलीपॉप तो लकी भैया से भी बहुत बड़ा है| मैं इसे नहीं चूस सकता|इतना कहते ही वह अपने लॉलीपॉप को मेरे होंठों से रगड़ने लगे और मुँह में डालने लगे|मैंने भैया से कहा- यह नहीं जाएगा|
भैया ने कहा- कोशिश तो करो|फिर भैया ने थोड़ा सा लॉलीपॉप मेरे मुँह में डाल दिया और जोर से सिसकारियां भरने लगे|वो बोलने लगे- आह … तू तो मेरी जान है आज तुझे मैं जन्नत की सैर करवाऊंगा … तुम्हें बहुत मजा आएगा|
इतना कहते ही उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और सर को धीरे धीरे हिलाने लगे|मुझे गले में दर्द महसूस होने लगा और मैं अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगा, पर जैसे ही मैं अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करता|
भैया और जोर से लॉलीपॉप मेरे मुँह में डाल देते|अब मुझे बहुत जोर से गले में दर्द होने लगा|दर्द के मारे मैं चिल्लाने लगा|पर मुँह में लॉलीपॉप घुसी थी तो चिल्ला नहीं सकता था|उन्होंने लॉलीपॉप मेरे मुँह से नहीं निकाली और जोर से मेरे सर को हिला रहे थे|
मेरी आंखों से आंसू आ गए थे, पर उन्होंने फिर भी मुँह से लॉलीपॉप को बाहर नहीं निकाला|अब वो रुके और बोले- कुछ नहीं होगा थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहने दे| अभी तो सिर्फ आधा लॉलीपॉप अन्दर गया है|
अब भैया ने 2 मिनट तक लॉलीपॉप को ऐसे ही डाल कर रखा|उसके बाद फिर से वो मेरे सर को पकड़ कर झटके देने लगे|इस बार उनकी लॉलीपॉप मेरे गले से भी आगे चली गई और मुझे बहुत ही ज्यादा दर्द होने लगा|
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मगर भैया ने मुझे नहीं छोड़ा और जोर-जोर से झटके मारने लगे|मेरी आंखों से फिर से आंसू निकलने लगे|वे लगातार करते चले गए|दस मिनट ऐसे ही करते रहे और उन्होंने फिर मेरे मुँह में लिक्विड डाल दिया जो गले से सीधा नीचे उतर गया|
अब भैया ने लॉलीपॉप को मेरे मुख से निकाला तब मुझे चैन की सांस आई|भैया ने फटाफट से आंखों से पट्टी हटाई और मैंने देखा अरविन्द भैया केवल अंडरवियर में खड़े थे|वो मुँह पीछे करके कुछ कर रहे थे|
मैंने आंखों में आंसू लेकर अरविन्द भैया से कहा- मुझे घर जाना है|भैया ने कहा- अभी नहीं, अभी तो तुम्हें अंधेरे वाली लॉलीपॉप देखनी है|मैंने कहा- हां दिखा दो फटाफट|
उन्होंने कहा- थोड़ी देर रुकते हैं क्योंकि लॉलीपॉप को दुबारा बड़ी होने में टाइम लगता है|मैं कुछ समझा नहीं|इसके बाद वो मुझे फिर से किस करने लगे|“कुछ नहीं होगा यार मैं तुम्हारे साथ हूं| अभी थोड़ी देर में देखो, तुम्हें कितना मजा आता है|
तुम तो कहोगे मैं तो हर रोज ऐसा मजा करूंगा|”दोस्तो उसके बाद अरविन्द भैया ने लॉलीपॉप कैसे मेरे अन्दर डाली, यह मैं आपको बाद में बताऊंगा|थैंक्यू दोस्तो और अंतर्वासना|आप सभी को मेरी रियल लंड सकिंग स्टोरी कैसी लगी, जरूर बताएं|