होली में बेटे ने माँ चोद दी part-1 (Holi Sex Story)
दोस्तों मेरा नाम रोशन है, और मैं मुंबई नासिक का रहने वाला हूं। ये कहानी इसी होली के दिन की है, जब मैं और मां दारु पीके बेहक गए। हमारी फैमिली में हम चार लोग हैं, मैं, डैड, मेरी बहन और मेरी मॉम। अब मैं सभी का परिचय देता हूं।
मेरे डैड का नाम रमेश है, और उनकी उम्र 52 साल है। डैड दिल्ली के बेहद अमीर व्यक्ति है। हमारा अपना मॉल और रेस्टोरेंट है, जिससे हमारी अच्छी इनकम होती है। इस्लीए हमारा लाइफस्टाइल बेहद पोर्श है। बावजूद इसके मॉम डैड के बीच रिश्ता अच्छा नहीं है।
खैर, मेरी बहन का नाम सिमा है, और वो 19 साल की है। बहन मुंबई के एक कॉलेज से बिजनेस मैनेजमेंट कर रही है, इसमें वो वही अपने कॉलेज हॉस्टल में रही है।
बहन भी मॉम की तरह ही बेहद सेक्सी है, और उसके अक्सर अफेयर होते ही रहते हैं।
अब मैं इस कहानी की लीड हीरोइन के बारे में बताता हूं। मेरी मां का नाम मलिका है, और मां की उम्र अब ४० साल है। हा मॉम डैड से लगभाग १५ साल छोटी है। जिस कारण वो डैड से सेक्सुअली कभी संतोष नहीं रहता है, और अक्सर बाहर जाके चुदवाया करती है।
मॉम का फिगर 48-38-48 है, और उनकी हाइट 5 फीट 9 इंच है। जिस कारण मॉम काफी हैवी माल लगती है। मेरा भी माँ पे बचपन से ही क्रश है। मैं मां को ही देख-देख के जवान हुआ हूं। और पिछले काफी टाइम से मैं मां को छोड़ने के फिरक में भी हूं।
अब मैं बिना देर किए कहानी पर आता हूं। बात होली के दिन की है। जब डैड अपने बिजनेस टूर पे द और बहन अपने हॉस्टल में। मैं और मां घर में अकेले द। यह मैं बताता हूं कि मैं और मां बहुत अच्छे दोस्त हैं, और आपस में अपनी हर बात शेयर करते हैं।
क्योंकि होली के दिन दारू की दुकान बंद ही रहती है। इसलिए मैंने पहले ही ब्लेंडर्स प्राइड की एक फुल बॉटल खरीदी ली थी। तकी फ्रेंड्स के साथ दारु पीके होली मन सकुंगा। और ये बात मैंने मॉम को भी नहीं बताई थी। ताकि वो अपने दोस्तों के साथ मिल के गटक न ले।
रात दो बजे का समय रहा होगा। मैं अपने कमरे में सोया हुआ था। की तबी मेरे कमरे में किसी ने प्रवेश किया। अब मैंने हल्की सी आंख खोल के देखा तो मां ही थी। शायद मॉम पार्टी से अभी-अभी ही आई थी। वो अक्सर देर रात दारू पीके अपनी किटी पार्टी से आती है।
मैं वैसे ही आंखें बंद करके लेता रहा, कि तभी मुझे कुछ गिरने की आवाज आई। मैंने आंख खोल के देखा तो मां झुक के अपना फोन उठा रही थी। अब मॉम सिर्फ ब्रा-पैंटी में ही थी, और उनके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने ही लटक रहे थे।
ये देख मेरी आधी खुली आंखें पूरी तरह से खुल गई, और मेरी धड़कने भी तेज चलने लगी। वाही अब मॉम की हैवी गांड मेरी तरफ थी, जिसे देख मेरा लंड बिल्कुल टाइट हो गया। मुझे जगता देख मॉम एक स्माइल पास की, और ‘गुड नाइट’ बोल के मेरे साथ ही सो गई।
माँ तो गई पर मेरी नींद वो उड़ चुकी थी। उनकी भारी गांड और मोटे चूचों को अब मैं मसाला चाहता था। पर ऐसा करने के लिए हिम्मत नहीं जूटा पा रहा था। पर मां की गांड सहलाते हुए अपने लुंड को रगड़ के उसका माल निकला दिया, और फिर सो गया।
जब आंख खुली तब 9 बज चुके थे। अब मैंने बहार निकल के देखा तो माँ बहुत पुरानी और पारदर्शी रात पहनने के किचन में काम कर रही थी। मैंने पीछे से जाके मां को गले लगा लिया और उन्हें हैप्पी होली विश कर दिया। मॉम ने भी बदले में हैप्पी होली विश की।
माँ: तो क्या प्लान है आज का तेरा?
मैं: अभी दोस्तों को कॉल करूंगा, और आपका?
माँ: हमारी होली रात को ही हो गई, वो भी दारु से।
मैं: मतलब आपने रात को ही होली खेल ली?
माँ: हा बेटा, वो दोस्त यूएसए जा रहे थे, इसलिए हम रात को ही होली खेल लिए।
मैं: अच्छा, यानी आप आज होली के दिन भी रंग नहीं लगाने वाली?
माँ: कोई है ही नहीं रंग लगाने वाला।
मैं: मैं हूं ना मां।
माँ: अच्छा ठीक है, लगा लेना बज गया।
अब मैंने मॉम को और ज़ोर से गले लगाया, तो पता लगा कि मॉम ने नाइटी के अंदर ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। अब मेरा लंड टाइट हो गया, जिसको मॉम भी फील करने लगी। तब भी मेरा फोन बजा, तो मैं मां से अलग हो गया और अपने कमरे में फोन पे बातें करने लगा।
भले ही मैं बात फोन पर कर रहा था, पर दिमाग में तो मां के साथ होली खेलने का प्लान चल रहा था। मैंने फ्रेंड्स को बहाना दे दिया कि मुझे फीवर था, इसलिए मैं नहीं आऊंगा। और मन में माँ को छोड़ने का प्लान भी बनाने लगा।
तब भी एक आइडिया आया कि क्यों ना मॉम को दारू पिलाने के बाद और होली खेलने के बहाने छोड़ दें। अब मैं मां को बस छोड़ देना चाहता था। यही सोचते हुए अब मैं मां के पास पाहुंचा, और एक-दम उदास चेहरा बना के बोला-
मुख्य: मेरे दोस्त भी गद्दार निकले।
माँ: क्यों, ऐसा क्या कर दिया उन्हें?
मैं: वो भी होली खेलने नहीं आ रहे।
माँ: क्यों?
मैं: वो सब बिना बताए ही गोवा चले गए।
माँ: कोई नहीं, हम आपस में ही होली खेल लेते हैं।
मैं: मां, एक बात बोलू, आप गुस्सा तो नहीं करोगी ना?
माँ: नहीं, बोलो बेटा।
मैं: मैंने दारू खड़ी ली थी, ताकी फ्रेंड्स के साथ पियूंगा होली पे।
माँ: अच्छा तो कोई बात नहीं, मैं हूं ना।
मैं: अच्छा, आप साथ कुत्ते मेरा?
माँ: ज़रूर दूंगी, पर किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
मेन: ज़रूर माँ।
माँ: चल पहले कुछ खायेंगे। उसके बाद अपनी महफ़िल जमायेंगे।
मेन: ठीक है माँ। और मैंने मॉम के गाल पे एक किस कर दिया।
माँ के चेहरे पर अब एक मुस्कान आ गई थी, जो उन्हें और खूबसूरत बना रही थी। मैं अब रंग और गुलाल लाने के लिए बहार चला गया। लौट के देखा तो मॉम नाइटी उतार के फ्रॉक पहन ली थी, जो साइज में बेहद छोटी थी।
अब माँ की मोती-मोती जाँघों को देख मेरा बुरा हाल हो रहा था। वही उनके 75% बूब्स भी ऊपर से दिख रहे थे। फ्रॉक उनकी भारी गांड को भी धक नहीं पा रहा था। ऐसे में मां की गांड को भी मैं देख पा रहा था। अब मेरे जाते ही मॉम ने मुझे ब्रेकफास्ट करवा दिया