बाप ने की बेटियों की अदला बदली (Baap Beti Ki Chudai)
मैं एक ऐसी कहानी लेकर आप सबके सामने आ रहा हूँ, शायद आप लोगों को पसंद आए?
मुझे आपकी कामेंट्स का इंतज़ार रहेगा ।
राज ने अब अपने को सम्भाल कर शालू के लिए जीने का फ़ैसला किया। रानी की मृत्यु पर सब रिश्तेदार आए थे , पर कुछ दिनों के बाद राज के माता पिता और राज की शादीशुदा बहन भी वापस अपने घर चली गयी , सबका अपना परिवार था और अपनी मजबूरियाँ थीं। आख़िर राज को ही अपनी बेटी का ध्यान रखना था ।राज ने सोचा अबतक १ महीने से शालू स्कूल नहीं गयी , शायद स्कूल जाने से उसका मन बहल जाएगा और उसके आँसुओं का बहाव भी रुक जाएगा
शालू पढ़ायी में ऐव्रिज थी और राज चाहता था की वो ख़ूब मेहनत करे और पढ़ाई में और अच्छा करे ।उसने शालू को ख़ुद घर में पढ़ाने का फ़ैसला किया ।
अब दोनों की दिनचर्या बिलकुल बदल गयी थी, पहले रानी शालू को सुबह तय्यार होने में मदद करती थी, अब उसके जाने की बाद ये ज़िम्मेदारी भी राज ने निभाने की सोची ।
अगले दिन सुबह वो उसके बेडरूम में पहुँचा तो वो अभी भी सो रही थी ,उसने कुछ देर अपनी बेटी के मासूम चेहरे की तरफ़ देखा और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा , और हिलाकर उठाया ।
शालू थोड़ा नींद में बोली, पापा अभी और सोना है।
राज- बेटा , अब उठो स्कूल जाना है ना ,चलो उठो, बाथरूम जाओ।
शालू उठ कर बैठ गयी और बाथरूम की तरफ़ गयी, उसने नाइट सूट पहना हुआ था। थोड़ी देर बाद वो बाथरूम se बाहर आकर हॉल में आयी ,वहाँ उसके पापा ने वहाँ उसे एक ग्लास दूध दिया, वो पीने लगी, फिर राज बोले, चलो नहा लो और फिर ड्रेस पहनो।
शालू- पापा, मेरे स्कूल के कपड़े तो माँ निकालती थी , अब माँ तो है नहीं, कौन मेरी हेल्प करेगा?
राज- बेटा , मैं निकाल देता हूँ, तुम चलो बाथरूम में जाओ।
शालू बाथरूम में चली गयी, राज ने उसके कमरे की आलमारी खोली , वहाँ थोड़ा ढूँढने पर उसकी स्कूल का टॉप और स्कर्ट मिल गयी,, फिर उसने उसकी पैंटी और शिमिज निकाली । राज जानता था कि वो अभी ब्रा नहीं पहनती है। तभी शालू बाथरूम से बाहर आयी , उसने तौलिया लपेटा था, उसने देखा, की उसके कपड़े वहाँ पलंग पर रखे थे, फिर राज कमरे से बाहर आ गया और वो अपने कपड़े पहन कर बाहर आइ ।राज ने उसके बाल बनाने मैं उसकी मदद की और उसको नाश्ता कराकर स्कूल की बस तक छोड़कर आया।
शालू के जाने के बाद अपने बेडरूम में जाकर। एक अल्बम निकाला और रानी की याद में खोने लगा, फिर उसने अपनी मोबाइल में क्लिप्स निकाली ,ये उसने रानी के साथ बनाई थी, उसमें उन दोनों के कामुक दृश्य थे, जिसे देखकर वो उत्तेजित हो गया और उसने अपना लंड अपने लोअर से बाहर निकाला और उसे सहलाने लगा, उसका ७ इन का मस्त लंड अब बुरी तरह से अकड़ गया था , फिर वो उसे ज़ोर ज़ोर से हिलाकर मूठ मारने लगा। अभी वो झड़ने के क़रीब ही था की घर की कॉलबेल बजी, वो झल्ला गया और उसने लोअर में लंड अजस्ट करके दरवाज़ा खोला, वहाँ एक अधेड़ औरत खड़ी थी, वो बोली,साहब आपका नो ७ है ना, वो बोला, ये आठ नो का मकान है, वो सामने ७ नो है। वो बोली, माफ़ करिए ७ नम्बर वालों ने मुझे काम के लिए बुलाया था, मैं ग़लती से आपके घर आ गई, फिर वो सामने वाले घर में जाने लगी, राज ne उससे कहा, की तुम किसी और बाई को जानती हो, मुझे भी एक बाई चाहिए घर के काम के लिए ।वो बोली, जी मैं अभी मोबाइल करके अपनी एक पड़ोसन को भेजती हूँ।
फिर राज बाथरूम मैं गया और वहाँ नंगा होकर अपनी मूठ मारा और फिर नहाकर तय्यार हुआ।तभी फ़र घंटी बजी, उसने दरवाज़ा खोला, वहाँ एक क़रीब ३० साल की औरत खड़ी थी, उसके गोद में एक छोटा सा बच्चा था,वो सारी में थी और उसका पूरा शरीर ढका हुआ था, सारी से। वो बोली, साहब आपको एक कामवाली चाईहे ना? राज bola, हाँ, अंदर जाओ।वो अंदर आयी ,फिर राज ne उसे बताया कि घर का सब काम करना होगा और खाना भी बनाना होगा,फिर काम का समय और तनख़्वाह तय करके कल आने का कहकर वो चली गयी। फिर राज अपने काम में लग गया, वो घर से ही काम करता था,ऑनलाइन । फिर राज ने खाना बनाया और शालू का इंतज़ार करने लगा ।एक बजे वो आयी और उसके पापा ने उसे अपने बाहों मैं लेकर प्यार किया , और फिर उसे चेंज करने को कहा, वो थोड़ी देर में एक फ़्रॉक पहनकर आइ और उसके पापा ने उसे प्यार से देखते हुए, खाने को कहा, वो दोनों खाने लगे और वो अपने स्कूल की बातें करने लगी, जिसे राज ध्यान से सुन रहा था। खाने के बाद वो दोनों tv देखने लगे और शालू अपने पापा की गोद में केट गयी,और वहीं थोड़ी देर में गोद मैं ही सो गयी। उसका मुँह अब राज के लंड के ऊपर था, राज ने अपने लंड में हलचल महसूस किया और वो शर्म से वहाँ से उठ गया।राज ने उसके ऊपर एक चद्दर दल दी और वो wahan से उठकर बेडरूम में चला गया।
राज अपने बेडरूम में आकर सो गया और शाम ४ बजे उसने चाय बनाई और शालू को उठाने गया, वो सोफ़े पर सो रही थी, उसकी चादर नीचे गिरी हुई थी, उसकी फ़्रॉक ऊपर चढ़ गयी थी, उसकी जवान जाँघें पूरी नंगी हो रही थी, और पैंटी उसके गोल गोल चूतरों को छुपाने में असफल थी। वो एकटक उसे देखता रहा, फिर उसकी आँखें उसके गोल अर्ध विकसित छातियों पर पड़ी, जो फ़्रॉक में फँसी हुए थे, और छोटी सी घुंडियों को भी देख रहा था। उसका लंड लोअर मेंतन गया ।फिर उसकी नज़र उसके मासूम चेहरे पर पड़ी, और उसे अपने आप पर शर्म आइ और उसने प्यार से शालू को उठाया और चाय दी।शालू ने अपने कपड़े ठीक किए, और वो बातें करने लगे। फिर उसने शालू को अपना होम वर्क करने को कहा और ख़ुद दूसरे कमरे में चला गया।
राज सोचने लगा की ये बार बार शालू के लिए उसके मन में एसे कुविचार क्यूँ आ रहे हैं? वो समझ गया की सेक्स ना मिलने के कारण शायद ऐसा हो रहा हो, shayad उसे सेक्स के लिए दूसरी शादी करनी चाहिए , पर फिर बेचारी शालू का क्या होगा? पता नहीं वो सौतेलि माँ उसके साथ कैसा व्यवहार करेगी?
तभी उसे शालू की आवाज़ आइ और वो उसके पास पहुँचा वो सोफ़े पर पैर उपरकर बैठी थी, और एक बुक से कुछ याद कर रही थी।उसकी पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी, राज ne बड़ी मुश्किल से अपनी आँखें वहाँ से आँखें हटायीं और पूछा, क्या हुआ?
शालू- मुझे ये समझा दीजिए, मुझे कल टेस्ट देना है।
राज उसे समझाने लगा फिर क़रीब एक घंटे वो ऐसा ही पढ़ायी किए।
उस दिन और कुछ नहीं हुआ।
अगले दिन शालू के जाने के बाद सरिता , नई नौकरानी अपने बच्चे के साथ आइ, और अपने बच्चे को एक जगह सुला कर घर की सफ़ाई वग़ैरह में लग गयी, राज भी अपने लैप्टॉप पर काम में व्यस्त था, तभी बच्चा रोने लगा,वो उसे देखने गयी, थोड़ी देर में राज भी उस कमरे मैं कुछ ढूँढते हुए पहुँचा, और वो दृश्य देखते ही रह गया। वो ज़मीन पर बैठी थी और उसका एक दूध बच्चे के मुँह में था। और उसका वो दूध पूरा गोल गोरा और मस्त था, राज लंड एकदम से खड़ा हो गया,तभी उसको अहसास हुआ की कोई वहाँ खड़ा है , उसने बिना झिझके मुझसे कहा, कुछ चाहिए साहब?
राज- हाँ मैं अपना पेन खोज रहा हूँ।
सरिता- साहब, वहाँ टेबल पर है, नीचे गिरा था, मैंने वहाँ रख दिया है।
राज- ओह ठीक है। बच्चा बहुत रो रहा था, सब ठीक है ना?
उसने बच्चे के बहाने उसकी चुचि घूरते हुए कहा।
सरिता- अरे साहब ये जब भूक लगती है तब बहुत हल्ला करता है।
तभी बच्चे ने अपना मुँह चुचि से हटा लिया और उसका गीला मोटा दूध बड़े निपल के साथ उसकी आँखों के सामने था। सरिता ने बिना शर्माए आराम से अपनी चुचि को ब्रा के अंदर किया, और उसको ज़मीन पर ही एक बिस्तर पर सुला दिया, और उठने लगी, आह , उसके मस्त भरे हुए चूतरों को देखकर राज एकदम मस्त हो गया और उसने सोच लिया कि इसको तो चोद कर ही रहेगा।
उधर शालू के स्कूल में भी सब नोर्मल चल रहा था, उसने भी पढ़ायी में ध्यान देना शुरू किया। पर वो देखती थी की कुछ लड़के उसको घूरते हैं, ख़ास कर उसकी छोटी छातियों को ।कई बार उसे लगता था कि कुछ टीचर भी उसको घूरते हैं, और बात बात में उसकी पीठ सहलाते हैं,और एक दो तो गाल पर भी हाथ रख देते हैं, शाबाशी देते हुए। फिर उसने ग़ौर किया की उसकी क्लास मैं दो लड़कियाँ थीं, नेहा और निलू जिनको टीचर और सब लड़के ज़्यादा लाइन मारते थे।उसको समझ में आ गया था की वो दोनों सेक्सी दिखतीं थीं, उनकी चूचियाँ शालू से काफ़ी बड़ी थीं , और उनके चूतरों में भी मस्त उभार था। वो दोनों भी मज़े से सबको छेड़ने देती थीं। धीरे धीरे शालू की उन दोनों से दोस्ती होने लगी।वो उसे बेबी कहती थीं,सच में उनके सामने शालू बच्ची ही लगती थी , हालाँकि उम्र में वो दोनों उससे कुछ महीने ही बड़ी थी।
फिर बातों बातों मैं शालू को पता चला कि उन दोनों की भी माँ नहीं हैं।नेहा की माँ कैन्सर से चल बसी थी, और निलू की माँ का तलाक हो चुका था और वो पापा के साथ रहती थी। इस तरह बिन माँ की तीन लड़कियों में bahut दोस्ती हो गयी।
यही हमारी कहानी की नायिकाएँ हैं
इसी तरह जीवन बीतने लगा , और राज की प्यास बढ़ती गयी, और उधर शालू अपनी उन दो सहेलियों के साथ घुल मिल गई । अब तक राज ने सरिता की झिझक दूर कर दी थी,और वो दोनों काफ़ी बातें करने लगे थे। सरिता ने राज को बता दिया था की उसका पति एक कारख़ाने में मज़दूर है और उससे दुगुनी उम्र का है। सरिता से उसने अपनी पहली पत्नी की मृत्यु की बाद शादी की थी । आज राज बहुत उत्तेजित था ,उसने सोचा कि अब शायद सरिता को पटाने का वक़्त गया है। उसने सोफ़े पर बैठकर अपने लोअर में लंड को सेट किया और सरिता से पानी माँगा। वो पानी लेकर आइ।सरिता को देखते हुए उसने ध्यान दिया की वह अब कपड़ों के बारे में थोड़ा लापरवाह हो गई थी।उसकी एक चुचि ब्लाउस से ढकी हुई साड़ी के बाहर थी। उसने पानी पीकर kaha की ज़रा बैठो ना , कुछ बातें करनी है , वो ज़मीन पर बैठने लगी, राज उसका हाथ पकड़कर उसको अपने बग़ल मैं ही सोफ़े पर बैठा लिया और बोला, अब तुम यहीं सोफ़े पर बैठा करो आगे से। फिर बोला, एक बात बताओ तुम्हें पैसे वग़ैरह की कोई ज़रूरत तो नहीं!
सरिता- जी, मैं समझी नहीं?
राज- मैं दो तीन दिन से तुमहें परेशान देख रहा हूँ , इसलिए सोचा की पूछ लूँ।
सरिता- जी , अब मैं क्या बोलूँ, इनकी फ़ैक्टरी में हड़ताल हो गयी है और इनको तनख़्वाह नहीं मिली है, इसके कारण पैसे की तंगी चल रही है। उसकी आँखों में आँसूआ गए।
राज ने उसके आँसु पोछते हुए, उसके गाल सहलाए और राज बोला, सरिता मेरे होते तुम्हें पैसे की कभी कमी नहीं होगी ।और उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर उसके हाथ और कंधे सहलाने लगा। उसका नरम स्पर्श राज के लंड मेंहलचल मचा रहा था । सरिता बोली, साहब , आप बहुत अच्छे हैं। उसने राज का हाथ नहीं हटाया , और और बोली , साहब नहा लो, फिर मुझे कपड़े धोने है। राज ने कहा , ठीक है, मैं नहाने जा रहा हूँ, और वो दोनों उठाकर कमरे से निकल गए।
राज बाथरूम में जाकर प्लान बनाया की वो तौलिया सरिता से माँगेगा और उसको अपना नंगा बदन दिखाएगा। उसने तौलिया बेड पर रखा और नहाने के बाद अपने लंड पर ठंडा पानी डाला ताकि वो खड़ा ना हो, और उसने सरिता को अवार्ड दी, और तौलिया माँगा। सरिता ने तौलिया लेकर दरवाज़ा खटखटाया और राज ने दरवाज़ा खोला, सामने सरिता तौलिया लेकर खड़ी थी, और उसकी निगाहें जैसे ही राज के नंगे बदन पर पड़ी वो काँप उठी, ख़ास कर उसका लम्बा लंड लटका हुआ भी मस्त दिख रहा था। वो शर्माकर भाग गयी।राज ने कपड़े पहनकर किचन का रूख किया जहाँ वो सब्ज़ी bana रही थी, उसने सरिता को कहा- सारी, तुमने मुझे नंगा देख लिया, तुम नाराज़ तो नहीं हो ना मुझसे?
सरिता- मैं क्यूँ नाराज़ होंगी।आपने जानबूझकर ऐसा थोड़े किया है।
राज- सच तुम बहुत अच्छी हो, मुझे लगा तुम नाराज़ हो गयी होगी।
सरिता ने नहीं मैं सर हिलाया , फिर राज उसको धीरे से बोला- तुम्हें मेरा नंगा बदन कैसा लगा?
सरिता शर्मा कर बोली- धत्त, कोई एसा सवाल भी करता है क्या?
राज- मैं तो इसलिए बोला की मेरे बदन में थोड़े बाल ज़्यादा है ना, मुझे मेरी बीवी भालू कहती थी।
सरिता- ठीक तो कहती थी , सच आपके बाल बहुत हैं।
राज- अच्छा एक बात पूँछु नाराज़ नहीं होना।
सरिता- पूछो।
राज- मेरा लिंग कैसा है? तुमहे पसंद आया?
सरिता शर्माकर बोली- हाय राम ऐसे भी कोई पूछता है क्या?
राज- प्लीज़ बताओ ना, कैसा है?
सरिता- अच्छा है।
राज- सिर्फ़ अच्छा है?
सरिता- अच्छा बाबा बहुत अच्छा है।
राज- तुम्हारे लाती का ज़्यादा अच्छा है या मेरा?
सरिता- शर्माकर- आपका।
राज- क्या अच्छा है मेरे में, जो तुम्हारे पति के में नहीं है?
सरिता- आपका बहुत बड़ा है।अब आप जाओ मुझे काम करने दो।
राज- आख़िरी सवाल? तुमने इसे देखकर कुछ हुआ!
सरिता- जयिये हमें काम करने दीजिए ना।
राज ने आगे बढ़कर उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने तने लंड को उसके चूतरों पर चिपका दिया, और उसके कमर और पेट को सहलाने लगा। वह आह कर उठी, बोली, छोड़िए ना, ये क्या कर रहे हैं? राज ने उसके गाल और गर्दन में चूमना शुरू किया , वो मचल उठी, पर राज ने अपनी पकड़ ढीली नहीं की, और अपने हाथ उसके मस्त चूचियों पर रख दिए और उसने धीरे से सहलाने लगा। अब उसका विरोध कम होने लगा, फिर राज ने उसको अपनी ओर घुमाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो अब मस्त हो चुकी थी, उसने राज के चुम्बन जवाब देना शुरू किया। राज ke हाथ अब उसके मोटे चूतरों पर पहुँच गए और वो उनका मर्दन कारने लगा।फिर राज ने उसका हाथ अपने लोअर के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया, सरिता ने उसे मज़े से पकड़ लिया और दबाने लगी।राज समझ गया अब सब ठीक है, तो उसने सारी के ऊपर से उसकी चूत दबायी, वो आह कर उठी। fir राज ne उसे अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम की ओर chal पड़ा।
बेडरूम में राज ने सरिता को बिस्तर पर लिटाया,और अपने कपड़े खोलने लगा, सिर्फ़ चड्डी में आने के बाद वो सरिता के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूसने लगा और उसकी ब्लाउस के ऊपर से चूचियाँ मसलने लगा, सरिता आह कर उठी।फिर उसने सरिता का ब्लाउस खोल दिया और ब्रा के ऊपर से नंगी चूचियों को चूमने लगा,फिर उसने ब्रा भी खोल दी, और उसके दूध से भरे हुई छतियाँ को चूसने लगा, उसके मुँह में दूध आ गया और राज बोला- आज मुझे वो दिन याद आ गए जब शालू पैदा हुई थी और मैं रानी का दूध पिता था, आह कितना मज़ा रहा है।
सरिता- हाय आप तो बच्चे बन गए, चलिए अब बस करिए, मेरे बेटे के लिए भी कुछ छोड़ दीजिए।
राज ने उठकर उसकी साड़ी और पेटिकोट एक झटके में उतार दिया और अब वो सिर्फ़ पैंटी में थी, पुरानी सी, कई छेद वाली, जिसमें से उसकी झाँटें दिख रही थी। उसने पैंटी भी खोल दी, और झांतों से भरी उसकी गुलाबी चूत का छेद देखकर वो उत्तेजित हो गया, और बोला- ये तुमने इतने बाल क्यूँ उगा रखे हैं?
सरिता- क्या करूँ समय ही नहीं मिलता aur इनको तो फ़र्क़ ही नहीं पड़ता, ये तो आते हैं, सिर्फ़ साड़ी उठकर डालते हैं, आठ, दस धक्के मारते हैं, और झड़ जाते हैं,और पलटकर सो जाते हैं। बाल किसके लिए साफ़ करूँ?
राज- सरिता, इसका मतलब तुम्हारा पति तुम्हें शांत नहीं कर पाता? चलो, मैं तुमको आज चूदाइ का asli मज़ा दूँगा, तुम्हें मस्त कर दूँगा, फिर तुम्हारी झाँट भी साफ़ करूँगा, रानी की भी मैं ही साफ़ करता था।
ये कहते हुए उसने अपनी चड्डी खोलकर अपने मस्त लंड main थूक लगाया और चूत पर लंड सेट कर पेल दिया।
वो आह कर उठी, फिर उसने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया, उसके होंठ चूसते हुए aur उसकी निपल्ज़ मसलते हुए, सरिता मज़े से भर गयी, और उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थी, फ़च फ़च की आवाज़ से कमरा गरम हो गया। क़रीब २० मिनट्स की चूदाइ के बाद वो दोनों साथ ही झड़ गए। और राज और सरिता लेट गए।
उधर शालू अपनी दोनों सहिलयों के साथ बाते कर रही थी, नेहा आज ख़ुशियों मैं थी, उसके पापा ने उसको स्कूटर ख़रीद कर दिया था, शायद दसवीं कक्षा कि वो अकेली लड़की थी, जिसके पास स्कूटर हो गया था, वो बड़े गर्व से अपने पापा की बारे में बता रही थी, की उसके पापा उसको बहुत प्यार करते हैं ।उधर निलू भी अपने पापा की तारीफ़ करने लगी की वो भी उसे बहुत प्यार करते हैं, और उसने अपनी नयी स्पोर्ट्स वॉच उनको दिखायी। शालू को अजीब लगा की उसके पापा ने तो कभी उसको ऐसी महँगी गिफ़्ट नहीं दी।उसके मन में यह विश्वास जागने लगा की शायद उसके पापा उसको इतना प्यार नहीं करते जितना उसकी सहेलियों के पापा उन दोनों से करते हैं। ये बातें उसको परेशान कर रही थीं।