प्यार का असली रंग चुत के संग (Hindi Sex Story)
हाई दोस्तों,
मैं आज आपको अपनी ही घर की चुत – चुदाई के बारे में खुलकर बताने जा रहा हूँ | यह कहानी सुर्जिता नाम की लड़की की है जिससे मेरी पहली मुलाकात अपने ही मौहल्ले में चलते – फिरते हुए थी और मैंने उससे मौका मार कर पता लिया | आज कल की लड़कियों को भी तो केवल पैसा ही चाहिए और कोई ऐसा लड़का जो उन्हें अपनी गाडी पर इधर – उधर घुमा सके | मैंने भी सुरजीत को पटाकर कुछ दिन उसे साथ इसी तरह समय गुज़ारा जिसपर वो कभी – कभार अपने अपने होठों का रस मुझे चुसवाने देती | अब तो मैंने अकेले में पकड उसके चुचों को भी नहीं छोड़ता था और वहीँ अपने हाथों के तले निचोड़ देता था |
अब जब मेरी बेचैन बढ़ने लगी और अंदर की वासना भी आग – बबूला होने लगी तो मैंने एक दिन सुर्जिता को अपने घर के खाली होने पर बुलाया और पूर्री तैयारी कर ली | मैंने अब उससे कुछ देर बात करने के बार उससे मगजमारी मारते हुए अपने हाथ को उसके हाथ पर रखते हुए फेरने लगा और वो शर्म में डूबे हुए गरमाने लगी | अब मैंने उसके होठो की तरफ जाते हुए उसके होठों को चूसने शुरू कर दिया और उससे पूरा लिपट गया | कुछ देर बात ही जब मैंने धीरे – धीरे उसके कपड़ों को खोलने लगा और उसके टॉप को उतारते ही उसके चुचों मसलकर पिने लगा जिसपर वो हलके – हलके पगलाने लगी |
अब मैंने आगे बढते हुए उसकी स्कर्ट भी खोल नीचे कर उतार दिया और उसकी नंगी चुत को अपनी हथेली से सहलाते हुए मसलने लगा | कुछ ही देर में मैंने अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में देने लगा जिसपर वो झटपटाती हुई सिसकियाँ भरने लगी | मैंने अब उसकी चुत में अपने लंड को दे मारा और अंदर देने से पहले उसकी चुत के उप्पर ही मसलने लगा जिससे अब उसकी तड़प और बढ़ गयी और वो चुदाई के तरसने लगी | मैंने अचानक से ही अपने लंड का झटका मारा जिससे उसकी एक दम से आह्ह निकल पड़ी और उसके बाद तो जैसे मैं रुका ही नहीं और सांड की तरह उसकी चुत पर चढ़ता चला गया |
दोस्तों, उसने अपने हाथों को मेरे कन्धों पर रख लिया और मैं आगे बढाकर बस अपनी जाँघों को दम से उसकी चुत पर अपने लंड को चोदने के लिए छोड़े जा रहा था | हमें रोकने – टोकने वाला कोई ना था और वासना की चरम सीमा पर पहुँचने वाले थे | इससे पहले की मैं झड़ता मैं उसके बाजू में लेट गया और हमारी पोसिशन बदल उसकी टांगों को उप्पर उठकर चुत में लंड देना शुरू कर दिया | इसमें हमें पहले से ज्यादा मज़ा आ रहा था जिसको मैंने ५० मिनट तक लगातार चलाया और अंत में उसकी चुत के उप्पर ही झड भी गया | मैंने अब उसकी गांड को उठाया और पीछे उसकी गांड को चाटते हुए उसकी चुत में करने लग जिसके कुछ देर पश्चात ही उसी चुत का पानी भी निकल पड़ा और हम निढाल एक दूसरे के उप्पर लेट गए |